“अरे, रतन काहें परेशान होते हो, बस अभी बैठते है और पुरा के पूरा हिसाब निकलते है, जो सही बैठेगा तय हो जाएगा।” सुखलालजी बोले।
रतन आज सुबह ही राजस्थान से लौटा था। उसके छोटे भाई मखनी का रिश्ता राजस्थान में श्रीगंगानगर के पास 17 किलोमीटर की दूरीपर डूंगरी गाँव मे तय हो रहा था। मखनी विदेश में आईटी इंजीनियर था और वहीं साथ मे काम करनेवाली लड़की से उसका चक्कर चल गया। खास बात तो यह थी की लड़की अपने जाती की, और ठेठ राजस्थान के रईस खानदान की थी।
रतन के समधी, ठाकुर रणविजय इस रिश्ते से थोड़े नाराज़ ही थे, लेकिन आजकल की आबोहवा को समझते थे। मखनी का परिवार उन्हें अपनेसे उन्नीसा लग रहा था, अतः थोड़े अड़ाकर अपनी बात मनवाने की जिद कर रहे थे। उनका कहना था, “शादी इसी गांव में, पूरे रस्मोरिवाज के साथ 4 दिन तक चलेगी, हमारे परिवार में 40 साल बाद एक लड़की की विदाई होने जा रही है।”
इन्हीं बातों से परेशान रतन, सुखलालजी से सलाह मशविरा करने आया था। सुखलालजी रेलवे के रिटायर्ड स्टेशन प्रबंधक थे, और रेलवे की काफ़ी जानकारी रखते थे।
काफी मेहनत मशक्कत के बाद, सुखलालजी ने रतन के सामने ऑप्शन रखे, ” देख भई रतन, रेलवे से बारात ले जाने के तीन तरीके है। पहला टिकट निकालो और बैठ जाओ। लेकिन भुसावल से श्रीगंगानगर इतना 1614 किलोमीटर, बिना आरक्षण के जाना, इसे तो छोड़ ही दे।
दूसरा है, 150 लोगोंके जाने और आने के रिजर्वेशन बनाना। तो इसके लिए गाड़ी छूटने के 120 दिन पहले अग्रिम आरक्षण के नियमोंके तहत, हम टिकट बनवा सकते है। एक, चलने वाले 150 बरातियोंकी लिस्ट, दो कॉपी में बनवाई जाए, लिस्ट में यात्री का पूरा नाम, उम्र, लिंग और आई डी दर्ज होना चाहिए। अब यह लिस्ट, प्रोग्राम की याने लगन पत्रिका और अपने विभाग के वरिष्ठ विभागीय वाणिज्य अधिकारी के नाम अर्जी, यह सब लेकर रिजर्वेशन दफ्तर चलते है। वहाँसे हमे पार्टी की याने ग्रुप बुकिंग की परमिशन मिलेगी, रिज़र्वेशन सुपरिटेंडेंट हमे एक निर्धारित समय देंगे, उस के बाद ही हम इतने रिजर्वेशन कर सकते है।
अगला ऑप्शन है स्पेशल कोच करने का, इसके लिए वही कागजात याने लग्नपत्रिका, 150 लोगोंकी डीटेल लिस्ट और अपने क्षेत्र, मुम्बई के मुख्य परिचालन अधिकारी CPTM के नाम एक अर्जी। यह अर्जी हमे स्टेशन मैनेजर के पास देनी होगी। अर्जी में, हमारा पूरा प्रोग्राम, जाने आने की तारीख, गाड़ी, और वहाँ रुकने समय पूरा लिखित में देना होगा। फिर हमें गाड़ी की, कोच की उपलब्धता और हमारे द्वारा तय गाड़ी की क्षमता याने सभी तकनीकी बाते जानकर यह निश्चित किया जाएगा की हमारा प्रोग्राम कैसे सेट होगा। जब जाने और आने की गाड़ियाँ तय हो जाए तब हमें कोच के पंजीकरण की आर्डर मिलेगी। प्रति कोच ₹ 50,000/- मात्र अमानत के तौर पे भरना होगा। जैसे हम दो शयनयान बुक कर रहे है तो ₹ एक लाख डिपोजिट कराने होंगे।
इसके बाद गाड़ी छूटने के कमसे कम 48 घंटे पहले हमारा 144 क्षमता वाले दो शयनयान का टिकट बन जाना चाहिए। टिकट बनाते वक्त, हमारे डिपोजिट की आधी 50% रकम किराए के मूल्य में समाहित हो जाएगी। बची आधी रकम, जब हम कोच वापसी यात्रा पूर्ण करके रेलवे को सौंप देंगे तब जो भी कम ज्यादा हिसाब करके बची रकम हमे वापस मिल जाएगी।
अब किराए के नियम समझ ले, पार्टी कोच के टिकट में एक तरफ का कमसे कम अंतर 500 km चार्ज किया जाएगा। किसी भी यात्री को कन्सेशन याने सीनियर सिटीजन कन्सेशन या बच्चोंको आधा किराया, कन्सेशन नहीं मिलेगा। सभी लोगोंका या डिब्बे की क्षमताका, जो भी ज्यादा है उतने संख्यामे पूर्ण वयस्क का किराया देय रहेगा। डिब्बे की क्षमतासे ज्यादा लोग जा रहे है तो यात्रा शुरू करनेसे पहले ही उन एक्स्ट्रा लोगोंका टिकट बनवाना होगा, वरना यात्रा के दौरान अतिरिक्त लोग पाए जाने पर पेनाल्टी भरनी पड़ेगी। जाने आने के कुल किराया में, सर्विस चार्जभी जोड़ा जाएगा, जो की अभी बेसिक किराए के 30% चल रहा है।
गाड़ी के दोनों डिब्बे, हमारी एक तरफ की यात्रा पूरी होने से लेकर वापसी यात्रा शुरू होने तक जितनी देर खाली खड़े रहेंगे, उसका डिटेंशन चार्ज ₹ 900/- प्रति घंटा या कमसे कम ₹1500 /- जो भी ज्यादा हो, देना होगा।
यही नही, यदि हमारी गाड़ीमे डिब्बे कहीं दूसरे स्टेशन से लग के आ रहे है तो उसका एम्प्टी हौलेज चार्ज जो की कमसे कम 200 km या वास्तविक अंतर जो भी ज्यादा हो, उसका बेसिक किराया प्लस रिजर्वेशन चार्ज लागू रहेगा।
इसके बाद IRCTC का कुल किराए पे 5% फेसिलिटेशन चार्ज भरना होगा।
अब, रतन भाई आप इत्मीनान से, हर बात समझ के बताना की क्या करना है। कुछ और पूछना हो तो आ जाना हमारे पास, चलेंगे रेलवे स्टेशन पर और जानकारी लेने।
बहोत बढीया जानकारी
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Thanks, trying to deliver better
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