पुणे के घर की बैठक, पटेल साहब अपने इंजीनियर बेटे समीर को नसीहत दे रहे, “बेटे, रांची में आपका इंटरव्यू है। क्या आप मंगलवार तक रांची सही समय पोहोंच जाओगे?” समीर बोले, “हाँ पापाजी, इतवार को सीधी गाड़ी है, सोमवार को शाम पोहोंचा देगी मंगलवार को सुबह 10 बजे इंटरव्यू अटेंड हो जाएगा। मोअर देंन सफिशिएंट टाइम टू रिच।”
लेकिन होता क्या है, सुबह स्टेशनपर पहुंचे तो पता चला, ट्रेन कैंसल हो चुकी है। हैरान, परेशान समीर स्टेशन मास्टर के गया और बहस करने लगा, हम रांची कैसे जाएंगे? पता चला कल रात 10 बजे sms भेजे गए, की बिलासपुर विभाग में नॉन इंटरलॉकिंग के कार्य के चलते रेल प्रशासन ने पुणे हटिया एक्सप्रेस जो बिलासपुर होकर चलती है, रद्द कर दी है, जो उसने चेक ही नही किया था। वह पूरे भरोसेमे था की गाड़ी पुणे स्टेशन से शुरू होने वाली है तो लेटवेट होने का तो कोई झंझट ही नही है।
समीर को अब अपना भविष्य खतरे में दिखाई देने लगा। उसे याद आ रहा था, पिताजीने दो दिन पहले ही उसे जल्दी पोहोंचने के सलाह दी थी। अब पुणे से रांची सीधे जानेवाली कोई भी गाड़ी नही थी और रौरकेला तक जानेवाली दूसरी गाड़ियोंमे उसे आरक्षण उपलब्ध नही था। अब जनरल क्लास के अलावा उसके पास कोई चारा नही था और इसके बावजूद समयपर रांची पहुंचने की कोई गारंटी भी नही।
यह तो सिर्फ एक उदाहरण था, ऐसे कई लोग अपनी अपनी व्यथा लेकर स्टेशनपर रेलवे को और अपनी किस्मत को कोस रहे थे। किसीने 2-2 महीने पहले आरक्षण किया था तो कोई अपने तत्काल आरक्षण के भरे हुए प्रिमियम की दुहाई दे रहा था। यह सब परेशानी और दुविधा अकस्मात लिए गए ट्रैफिक ब्लॉक की वजह से थी।
एक बात तो निश्चित है, भरोसा किसी बात का नही किया जा सकता। भाईसाहब, भरोसे में जीना छोड़िए। आजकल रेल सफर बिना किसी अग्रिम सूचना के, शार्ट नोटिसपर रद्द किया जा रहा है। यह मैंटेनेंस विभाग को अपने कामोंको निपटाने फ्री हैंड दिए जाने की वजह से हो रहा है। माना की 12 घंटे पहले सूचना याने रेल सेवा से मोबाइल पर कन्फर्म टिकट धारकोंको मेसेज आया लेकिन क्या 12 घंटे में कोई अपनी इतने लंबे रेल यात्रा की आननफानन में पर्यायी व्यवस्था कर पाता है?
क्यों होता है ऐसा? क्या रेल प्रशासन अपने मेंटेनेन्स ब्लॉक 2 महीने पहले शेड्यूल क्यों नही कर सकता? दुर्घटनाए, अकस्मात आयी नैसर्गिक आपदा जैसे जलभराव, चट्टानोका पटरी पर आ जाना तब तो ट्रैफिक ब्लॉक होना समझा जा सकता है, वहाँ कोई भी पर्याय नही होता। लेकिन जो मेंटेनेन्स वर्क है, जिसके लिए ब्लॉक लिए जाने है उसके लिए पर्याप्त पूर्व सूचना दी जा सकती है, नियोजन करके पर्यायी मार्ग से गाड़ियाँ गन्तव्य तक ले जाई जा सकती है या फिर गन्तव्य के ज्यादा से ज्यादा पास के जंक्शन तक ले जाने की व्यवस्था हो सकती है।
रेल प्रशासन पर यात्रिओका भारी दबाव है। रेल मार्गोपर क्षमतासे 150 से 250% तक ट्रैफिक चलाई जा रही है। ऑपरेटिंग विभाग, इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी विभाग अपने काम में जिम्मेदारी और सजगता के साथ जुटे हुए है। गाड़ियाँ बढ़ाने, उनकी क्षमता और गति बढ़ाने के लिए हर दिन नए नए प्रयास और प्रयोग किए जा रहे है। नई अत्याधुनिक गतिमान एक्सप्रेस, नए LHB डिब्बे, गति बढाने के लिए नई पुश पुल लोको तकनीक, जगह जगह पर ट्रैकोंका विद्युतीकरण, स्टॉपेज समय कम हो इसलिए गाडीके डिब्बोमे पानी भरने हेतु उच्च क्षमता की वाटरफिलिंग तकनीक, बड़े बड़े जंक्शन स्टेशनपर गाड़ियोंकी भीड़ हो जाती है, उसके लिए अलगसे टर्मिनल स्टेशन्स और बायपास ट्रैक का निर्माण ऐसे कई कार्य रेल प्रशासन पूरे जोर शोर से कर रहा है। यह सब बुनियादी सुविधाएं अपना उपयोग देनेके काबिल होने में समय तो लगता ही है और तब तक ऐसे ब्लॉक्स आना लाज़मी भी है।
लेकिन, हमारी यात्रिओंकी ओरसे विनंती है, तकनीकी रखरखाव वाले ब्लॉक्स के लिए समुचित पूर्वसूचना दी जानी चाहिए और क्या क्या पर्याय उपलब्ध कराए गए है उसकी जानकारी भी यात्रिओंको दी जानी चाहिए।