आजकल मीडिया में “रेलवे की यात्रिओंकी वेटिंग लिस्ट जल्द ही समाप्त हो जाएगी, यात्रियों की डिमांड पर आतिरिक्त गाड़ियाँ चलाई जाएगी” ऐसी बातें सुनने को मिलती है। हमने सोचा, जरा हमारे पाठकोंको भी इन दावोक़े पीछेकी असली हकीकत समझा देते है।
इन बड़े बड़े दावोक़े पीछे असल में है, DFCCIL और इसका लॉन्ग फॉर्म है, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड। यह एक पब्लिक सेक्टर कम्पनी है, जिसकी स्थापना 2006 मे की गयी और यह कम्पनी मिनिस्ट्री ऑफ इंडियन रेल्वेज के तहत आती है। यह कम्पनी के पूर्ण ऑपरेशनल होनेसे, आनेवाले 2, 3 वर्षोंमें भारतीय रेलवे के यात्री यातायात में कभी सोचा नही होगा ऐसी तब्दीलियाँ लेकर आएगी।
फिलहाल, यह कम्पनी अपने दो प्रोजेक्ट पश्चिम कॉरिडोर दिल्ली मुम्बई जो दादरी उत्तर प्रदेश से JNPT मुम्बई 1468 km और पूर्वी कॉरिडोर दिल्ली हावड़ा जो की लुधियाना, पंजाब से दानकुनी पश्चिम बंगाल 1760km रूट पर जोर शोर से काम कर रही है। जिसमे कई सारे अलग अलग हिस्से रेल यातायात अपना योगदान देना शुरू कर दिए है।
जनवरी 2018 में इन्ही दो बड़े प्रोजेक्ट को लिंक करने वाले 4 और नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गई।
1: पूर्व – पश्चिम डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, कोलकाता से मुंबई 2000 km
2: ऊत्तर – दक्षिण डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दिल्लीसे चेन्नई 2173 km
3: पूर्वतटीय डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, खरगपुर से विजयवाडा 1100 km
4: दक्षिण पश्चिम डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, चेन्नई से गोवा 890km
अब इस प्रोजेक्ट की भव्यता जानिए, जो आपको भारतीय रेल के प्रति गौरवान्वित कर देगी।
एक फ्रेट ट्रेन याने मालगाड़ी जो डेढ़ किलोमीटर लंबी रहेगी। जिसमे दो मंजिला कंटेनर्स लोड किए जाएंगे। कुल 400 कंटेनर्स जिनका कुल वजन 15000 टन रहेगा और इस गाड़ी को खींचने वाले 800 इलेक्ट्रिक लोको इंजिन विशेष रूपसे बनाए जाएंगे जिनकी शक्ति 12000 HP की रहेंगी।
यह हाई स्पीड फ्रेट ट्रेन कमसे कम 100 km/h गतिसे चलाई जाएगी।
यह पूरा नेटवर्क GSM और रेडियो कम्युनिकेशन से ट्रैक किया जाएगा। पूरे कॉरिडोर में कहींभी लेवल क्रॉसिंग नही होगी।
यह पूरा प्रोजेक्ट याने दोनों कॉरिडोर इलेक्ट्रीफाइड होनेसे इकोफ्रेंडली प्रदूषण रहित और किफायती रहेंगे।
लेकिन इससे यात्री परिवहन को फायदा कैसे होगा, आइए जानते है। फिलहाल सभी प्रमुख रेल मार्ग का दोहरीकरण हो चुका है और इन्ही अप एन्ड डाउन लाइनोंपर यात्री गाड़ियोंके साथ साथ मालगाड़ी भी चलाई जाती है। मालगाड़ियों की गति कम, लम्बाई ज्यादा होने से यह गाड़ियाँ यात्री गाड़ियोंके मार्ग में बाधा खड़ी कर देती है और वजह से यात्री गाड़ियोंको रोक रोक कर चलाना पड़ता है।
आज जो हालिया रेल मार्ग है उनपर क्षमतासे 150 से 200 % लोड है जो की फ्रेट कॉरिडोर की वजह से काफी हद तक कम हो जाएगा। गाड़ियाँ तीव्र गतिसे चलाई जा सकेगी, अतिरिक्त डिमांड रहनेपर एक्स्ट्रा गाड़िया किसी भी समय छोड़ी जा सकेगी।
आजकल की वेटिंग लिस्ट की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी। उल्टे नॉनस्टॉप पॉइंट टू पॉइंट तेज गाड़ियाँ भी इस फ्रेट कॉरिडोर से निकली जा सकती है।
बस! 2 – 4 वर्षोंका इंतजार कीजिए भारतीय रेलवे के यात्रिओंके सिर्फ अच्छे ही नही बहोत अच्छे दिन आने वाले है।