कल रेलदुनिया पर ‘ प्राइवेटाइजेशन, रेलवे की हतबलता ‘ इस शीर्षक से एक आर्टिकल प्रकाशित किया गया था। उसी थ्रेड को आज आगे बढाते है।
कल के आर्टिकल के साथ तेजस एक्सप्रेस में मांगनेवाले की फोटो थी और हमने रिजर्व डब्बोंमे अनाधिकृत प्रवेश का विषय छेड़ा था। रिजर्व क्लास में AC के फर्स्ट क्लास , 2 टियर, 3 टियर, चेयर कार, 2S और स्लिपर क्लास के डिब्बे आते है। इन सबमे, सबसे ज्यादा परेशानी स्लिपर क्लास के कन्फर्म टिकट धारकोंको होती है।
रोजाना अप डाउन करनेवाले MST पास, सीजन टिकट धारक, वेटिंग लिस्ट के PRS टिकट धारी यात्री, अनाधिकृत विक्रेता, तृतीयपंथी, मांगने वाले, और तो और सेकंड क्लास के टिकट धारी यात्री यह सब लोग स्लिपर क्लास के डिब्बामे चलते रहते है। यह अधिकृत यात्रिओंके लिए बहोत बड़ी समस्या है, जिसपर नाही रेल मंत्री और नाही प्रशासन गौर करना चाहते है।
ह्यूमिनिटी ग्राउंड या कहें मानवता के आधार पर प्रतिक्षासूची के यात्री स्लिपर क्लास में अधिकृत यात्रिओंके साथ, उनकी अप्पर बर्थपर या पैसेज में बैठ कर सफर करते रहते है। तकलीफ यह है की PRS की टिकट वेटिंग रहने के बावजूद ऑटोमेटिक कैंसल नही होती और एक कन्फर्म टिकट जितना ही किराया दे चुके यात्री किसी हालात में स्लिपर डिब्बा छोड़ने को तैयार नही रहते। किसी न किसी मजबूरी में, इमरजेंसी में व्यक्ति को यात्रा के लिए निकलना पड़ता है। कोई नही सोचता की उसे वेटिंग टिकट पे यात्रा करनी पड़े। जब टिकट चार्टिंग के बाद भी वेटिंग रह जाए तो वह भी क्या करे? और कन्फर्म यात्री भी कभी न कभी इस दौर से गुजरा होता है, इसी ख़ातिर यह सब 72 और LHB में 81 व्यक्तियोंकी क्षमता के डिब्बो में दुगुने लोग डिब्बेके फर्श पर, पैसेजेस में, यहाँ तक की बर्थ के नीचे घुसकर अपनी यात्रा किसी तरह पूरी करते है।
प्रशासन की समस्या यह है, PRS में वेटिंग लिस्ट रहने वाले कितने लोग अपना टिकट कैसल करेंगे यह उन्हें पता नही रहता। याने गाड़ी में निश्चित रूपसे कन्फर्म यात्रिओंके साथमे और कितने सेकंड क्लास के यात्री, वेटिंग लिस्ट के यात्री सफर कर रहे है। जनरल डिब्बे में भी क्षमता से कितनेही ज्यादा लोग सफर करते रहते है, इसकी कोई भी निश्चित ख़बर रेल प्रशासन को है ही नही। सुनने में ही कितना भयावह लगता है?
मानवता के आधार पर सोचें तो, प्रतिक्षासूची के और सेकेंड क्लास के यात्रिओंने क्या रेलवे में बैठ कर जाने का, या शांति से सफर करने का सोचनाही नही चाहिए?और MST/QST धारक तो रेलवे के अग्रिम किराया दे चुके यात्री है, एखाद दो घंटे का सफर करते है, क्या इनके बैठ के जाने का कोई हक नही है?
इसके लिए कुछ हल, हम प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे है।
1) सर्व प्रथम PRS सिस्टम को पूर्णतया e टिकट में बदलने की जरूरत है, ताकी वेटिंग लिस्ट टिकट चार्टिंग के बाद अपनेआप रद्द हो जाए और रद्द हुवा टिकट धारी यात्री अपनी यात्रा की कोई दूसरी व्यवस्था की ओर ध्यान दे।
2) MST धारकोंको लिए विशेष डिब्बे का प्रावधान हो, ताकी वह इधर उधर बैठनेकी खड़ा होने की कोशिश न करके केवल अपने डिब्बे में ही सफर करेंगे।
3) अनाधिकृत विक्रेता, भीख मांगनेवाले और तृतीयपंथी से निपटने के लिए RPF कृतिदल बनाया जाए।
यह सब शीघ्रतासे बदलने की जरूरत है। आज इस लेख के माध्यम से हम रेल मंत्रीजी से गुजारिश करते है, उपरोक्त समस्योंमे दख़ल दे और इसका निराकरण अग्रक्रम से करें।