मित्रो, ऐसे तो रेल टिकट खरीदे, गाड़ी में बैठे, यात्रा पूरी हुई की हम चले अपने रस्ते और रेलवे अपने रास्ते। चूँकि आजकल मीडिया में बहोत सारी बाते आम जनता के पढ़ने में सुनने में आती है तो मन मे ढेर सारे सवाल भी पैदा होते है। ट्रेन में लाईट, पंखे, AC कैसे चलते है? यह गाड़ी में जनरेटर क्यों लगा होता है। थोड़ा टेक्निकल विषय है लेकिन आज इसी विषय को लेकर बात करते है, ताकी आपको भी कुछ नई जानकारी मिले।
वर्षों पहले रेल गाड़ियाँ जब भाँप के इंजिनोंसे चलती थी, रेल गाड़ी के डिब्बों के नीचे बैटरी, डायनामो लगे रहते थे और बेल्ट के जरिए गाडी की गति से बैटरियों को चार्ज करके डिब्बे की लाईट, पंखे चलते थे। वातानुकूलित डिब्बों का दौर रेल गाड़ी में शुरू नही हुवा था। मजे की बात यह थी की गाड़ी तेज चलती रहती थी तो लाइटें फुल्ल और पंखे तेज रहते थे और जैसे गाड़ी की स्पीड कम हुई पंखे धीरे धीरे धीमे और लाइटें डिम हो जाती थी। गाड़ी रुकी की लाइटें बन्द।खैर, यह बहोत पुरानी और बीती बात हो गयी।
अब तो LHB डिब्बेवाली गाड़ियाँ चलने लग गयी है, इसमें गाड़ी के रेक के याने संरचना के दोनों सिरोपर जनरेटर डिब्बा लगा होता है। पूरे गाडीकी लाइटिंग सिस्टम याने लाइट, पंखे, वातानुकूलित यंत्रणा और पेंट्रीकार के साजोसामान इसी जनरेटर पर चलते है। इसको EOG याने एन्ड ऑन जनरेशन कहते है। जब 24 डब्बोंकी गाड़ी में दो सिरे के डिब्बे जनरेटर में चले गये तो LHB कोच की बढ़ी यात्री क्षमता का फायदा नही मिल पा रहा था। और तो और गाड़ी भलेही इलेक्ट्रिक से चले लाइटिंग सिस्टम को चलाने जनरेटर का डीजल जलाया जा ही रह था। खर्चा जस का तस। फिर एक नई प्रणाली लायी गयी HOG हेड ऑन जनरेशन। यह HOG हेड ऑन जनरेशन, जो इलेक्ट्रिक लोको गाड़ी को चलाता है, उसमें से ही नई टेक्निक से डिब्बोंकी लाइटिंग सिस्टम चलाई जाती है।
अब आपको इसका टेक्निक याने तंत्र बताते है। गाड़ी के तमाम लाइटिंग सिस्टम चलाने वाले यंत्रणा को कहते HLC याने होटल लोड कनवर्टर. गाड़ी के ऊपर 25 KV बिजली की तारें होती है जो गाड़ी चलाने के लिए डली है, इंजिन याने इलेक्ट्रिक लोको, जिसमे भिन्न भिन्न प्रकार के ट्रेक्शन ट्रांसफॉर्मर रहते है, 25 किलो वोल्ट, अल्टरनेट करंट, सिंगल फेज से गाड़ी का इंजिन चलता है और उसमेंसे ही एक ट्रांसफॉर्मर द्वारा बनाए गए होटल लोड कनेक्शन से आगे 970 वोल्टमें कन्वर्ट किए गये, सिंगल फेज करंट उस HLC प्रणाली को जाता है। अब इस 970 AC करंट को DC में कन्वर्ट किया जाता है जो आगे लगे इनवर्टर में जाता है जो उसको सिंगल फैज DC टू थ्री फेज AC इन्वर्टर में बदलता है। उसके आगे एक इलेक्ट्रिक फ़िल्टर लगा होता है जो 970 वोल्ट AC को एक फिक्स फ्रीक्वेंसी 50 हर्ट्ज और स्टेबल वोल्ट 750 AC में तब्दील करता है। इसके उपरांत हर डिब्बे के इलेक्ट्रिक पैनल बोर्ड में 750 वोल्ट को स्टेपडाउन ट्रांसफॉर्मेर द्वारा 450 वोल्ट वातानुकूलित और पेंट्री के डिब्बों के लिए और गाडीके लाइट पंखोंके लिये 110 वोल्ट करंट सप्लाई किया जाता है।
इस HOG प्रणाली से भारतीय रेलवे ने अपने डीजल की खपत में उल्लेखनीय कमी लायी है और कार्बनका उत्सर्जन कम किया है। भारतीय रेल की कई गाड़ियाँ न सिर्फ यातायात के खर्च में बचत कर रही है बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी कर रही है। भारतीय रेलवे की सभी मार्गोंका विद्युतीकरण तेजी से किया जा रहा है, इसके चलते कुछ ही वर्षोंमें हमारी रेल सेवा ग्रीन रेल सेवा कहलाएंगी।