नान्देड वासियोंके लिए बड़ी खबर है, मनमाड़ और मुम्बई के बीच चलने वाली 22101/22102 राज्य रानी एक्सप्रेस का हुजूर साहिब नान्देड तक प्रस्तवित विस्तार मंजूर हो गया है। नान्देड वासी तो मुम्बई की सीधी गाड़ी मिलने से बड़े आनन्दित है। इन दोनों स्टेशनोंको बीच फिलहाल 3 जोड़ी डेली चलने वाली तपोवन, नन्दीग्राम और देवगिरी एक्सप्रेस गाड़ियाँ है और 3 जोड़ी साप्ताहिक गाड़ियाँ है। जिसमे तपोवन एक्सप्रेस पुर्णतया सिटिंग क्षमता वाली इण्टरसिटी ट्रेन है तो बाकी दोनों गाड़ियाँ, नंदीग्राम और देवगिरी एक्सप्रेस ओवरनाइट, स्लिपर कोचेस वाली गाड़ियाँ है।
राज्यरानी एक्सप्रेस के नान्देड विस्तार से क्या कुछ बदल सकता है इस पर चर्चा करते है। कई रेलवे जानकारोंका यह मत था, यह गाड़ी बड़ी आसानीसे भुसावल के लिए विस्तारित हो सकती थी। भुसावल विस्तार के लिए उनके मुद्दे काफी सटीक और महत्वपूर्ण है। इस ट्रेन का नान्देड और भुसावल विस्तार में कितना फर्क है यह देखना अभ्यासपूर्ण होगा।
मनमाड़ से भुसावल का अंतर है 184km और नान्देड है 348km, याने लगभग दुगुना।
मनमाड़ भुसावल रेल मार्ग दोहरा, विद्युतीकरण और 130 – 160 km/h स्पीड मान्यता प्राप्त है याने मनमाड़ भुसावल अंतर काटने को किसी भी सुपरफास्ट गाड़ी को ज्यादा से ज्यादा 150 मिनट लगेंगे वही मनमाड़ से नान्देड मार्ग सिंगल, एकहरी रेल मार्ग, नॉन इलेक्ट्रिक डीज़ल लोको से चलाए जाने वाला मार्ग है। 384 किलोमीटर चलने के लिए किसी भी सुपरफास्ट गाड़ी को साढ़े छह घंटे, 400 मिनट दिए गए है। सिंगल लाइन वर्किंग की वजह से यहां गाड़ियाँ ज्यादा समय लेती है।
मुम्बई मनमाड़ भुसावल के बीच गाड़ी के लोको याने इंजिन, गार्ड, लोको पायलट और कमर्शियल, चेकिंग स्टाफ़ याने TTE भी सीधे एक ही रन में चल सकते है। वहीं मुम्बई मनमाड़ नान्देड के लिए मनमाड़ में सारा स्टाफ़ बदलेगा, लोको भी डीजल से इलेक्ट्रिक का बदलेगा। इस स्टाफ़ चेंजिंग और लोको शंटिंग में 20 से 30 मिनट मनमाड़ में जाया होंगे।
मुम्बई से भुसावल कुल अंतर 445 km 7 से 8 घंटे में पूरा होने से यह गाड़ी एक ही रेक में चलाई जा सकती है और इसके समय मे भी फेर फार नही होगा इससे मनमाड़ और नासिक से रेग्युलर अपडाउन करनेवाले यात्रिओंको समय परिवर्तन की कोई अनचाही तकलीफ़ नही होगी। लेकिन वही यह गाड़ी जब नान्देड के लिए विस्तरित हो रही है तो इसे कुल 610 km चलने के लिए कमसे कम 11 से 12 घंटे लगने है, जिसमे डबल रेक लगना तय है।
अब बात करे टाईम टेबल की, यदि राज्यरानी का नान्देड विस्तार भी हो और मनमाड़ – मुम्बई के बीच का समय भी न बदले तो यह गाड़ी ओवरनाइट ट्रेन बनती है और जब ओवरनाइट ट्रेन बनेगी तो इसका डिब्बा फॉरमेशन भी बदलेगा चेयरकार से सारी गाड़ी स्लिपर डिब्बो में बदलेगी। यदि डिब्बा संरचना नही बदलेगी और दोनों तरफ से याने मुम्बई और नान्देड से भी दिन में चले तो मनमाड़ नासिक मुम्बई के अपडाउन करने वालोंकी बड़ी आफ़त हो जाएगी।
मुम्बई से जलगाव, भुसावल की कनेक्टिविटी की जब भी बात होती है तो इस मार्ग पर ढेरों गाड़ियाँ चलती है यह कहकर केवल इन दो स्टेशनोंके बीच सीधी गाड़ी चलाने की आशा और अपेक्षा पर घडाभर पानी डाल दिया जाता है। प्रशासन यह नही देखता की भुसावल, जलगाँव, पाचोरा, चालीसगांव से कितने यात्री मुम्बई के लिए चलते है, उनके लिए लम्बी दूरी से आने वाली गाड़ियोंमे कहीं कोई जगह उपलब्ध नही रहती, खड़े खड़े यात्रा करनेके लिए मजबूर होना पड़ता है।
पहले काशी एक्सप्रेस में दो जनरल कोच, शालीमार एक्सप्रेस में दो स्लिपर कोच, हावड़ा मेल में एक स्लिपर कोच, सेवाग्राम एक्सप्रेस में एक जनरल कोच भुसावल से लगता था, चूँकि रेलवे द्वारा बीच के स्टेशनोंपर कोचेस का शंटिंग बन्द किया गया है इसलिए भुसावल से यात्रिओंके लिए जनरल कोच तो पूर्णतया बन्द हो गए और स्लिपर कोच की बुकिंग 120 दिन पहले ही लम्बी दूरी के यात्री IRCTC के ऑनलाइन बुकिंग के जरिए अटका लेते है, इस स्थिति में भुसावल से मुम्बई के लिए दिन में चलनेवाली इण्टरसिटी एक्सप्रेस की माँग एकदम वाज़िब लगती है। प्रशासन हुतात्मा एक्सप्रेस की ओर इशारा करता है तो यात्रिओंकी दलील भी सुन लीजिए, यह गाड़ी भुसावल से कल्याण, पनवेल के लिए ओवरनाइट ओर वापसी में इण्टरसिटी जैसी है। यदि यही गाड़ी भुसावल वासियोंके लिए है तो इसका समय परिवर्तन भी होना चाहिए, इसे दोनों ओरसे या तो ओवरनाइट कर दीजिए या दोनों ओरसे इन्टरसिटी रहने दे।
भुसावल, जलगाँव के यात्रिओंकी तो यह धारणा बनते जा रही है कि लोकप्रतिनिधि उनके प्रति घोर अनास्था और उदासीनता बरत रहे है और वह अपनी बेचारगी के साथ, लम्बी दूरीकी गाड़ियोंके, जनरल डिब्बों में खड़े खड़े यात्रा करने के लिए मजबूर है।