भारतीय रेल नेटवर्क के विस्तार का इतिहास समझना हो तो रेलोंके भारत मे शुरू होने के दिनोंसे शुरवात करनी होगी। ब्रिटीशोंने अपने देश से कई कम्पनियों को भारत मे रेल नेटवर्क शुरू करने के लिए आमंत्रित किया था। अलग अलग संस्थानोंने यहाँ आकर रेल निर्माण के लिए कम्पनियां स्थापित कर, अपनी लाइनोंको बनाने में जुट गई और एक साथ कई जगहोंपर रेल पटरी बिछने का काम शुरू किया गया। आज भारतीय रेल भी अपना नेटवर्क इसी तर्ज पर PPP पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडयूल लाकर अपने संसाधनोंका, अपने रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण का विस्तार करने का प्रयास कर रही है।
हाल ही में आपने सुना होगा, रेलवे ने प्रायोगिक तौरपर प्राइवेट गाड़ियाँ चलाना शुरू कर दिया है। लखनऊ से नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस शुरू हो चुकी है और मुम्बई अहमदाबाद तेजस शुरू होने में चंद ही रह गए है।
इन प्राइवेट गाड़ियोंको मिलने वाले अच्छे रिस्पॉन्स को देखते रेल प्रशासन ने अपने 4 सबर्बन नेटवर्कों, दस रेल मार्गों और 5 नॉन सबर्ब रेल मार्गोंको प्राइवेट भागिदारोंके लिए खोलना निश्चित किया है। यह स्ट्रेटेजिक नीति है। इसके कई उद्देश्य निकल सकते है, जैसे यात्रिओंको बेहतर सुविधा अधिमूल्य पर प्रदान करना, रेल कर्मचारीओंके कामकाज में एक तरह का व्यापारिक दृष्टिकोण निर्माण करना, सेवाओं में स्पर्धाओं का निर्माण कर उनका स्तर बढाना, यात्रिओंको उच्चतम दर्जे की सेवाओंसे अवगत कराना।
आज ही टाइम्स ग्रुप के मुम्बई मिरर संस्करण के इस विषय पर एक विस्तृत लेख आया है। उस लेख में मुम्बई के लिए पनवेल स्टेशन को प्राइवेट ट्रेनोंका हब बनाए जाने की चर्चा की है। पनवेल से 11 जोड़ी प्राइवेट गाड़ियाँ शुरू करने की तैय्यारियाँ भी शुरू है।
इन 11 जोड़ी गाड़ियोंमे मुम्बई – भुसावल – इटारसी मार्गकी 5 गाड़ियाँ आ सकती है। पनवेल – कानपुर, मंडुआडीह, प्रयागराज इलाहाबाद, पटना। भुसावल होते हुए अजनी नागपुर। मनमाड़ होते हुए औरंगाबाद। मुम्बई – पुणे – सोलापुर मार्गपर पनवेल – चारलापल्ली सिकन्दराबाद, चेन्नई, कलबुर्गी और कोंकण रेलवे से मडगांव।
इस विस्तार कार्यक्रम के लिए वर्ष 2023 की समयसीमा तय की गई है। जैसे जैसे पार्टनर्स तय होंगे वैसे ही यह गाड़ियाँ चल पड़ेंगी। वर्ष 2022 तक सारी लाइनों का विद्युतीकरण का लक्ष्य निर्धारित है। लगभग सभी मेन लाइनोंका दोहरीकरण से बढ़ाकर तीन और चार लाइनोंमें विस्तार का काम युद्व स्तर पर किया जा रहा है। मालगाड़ियोंके लिए अलगसे ‘ DFC डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ का निर्माण हो गया है, कुछ मार्गपर गाड़ियोंके ट्रायल्स शुरू हो गए है। मुख्य मार्गोंके प्लेटफार्म 26 डिब्बोंके बनाए जा रहे है, जहाँ प्लेटफार्म कम है वहाँ नए प्लेटफार्म का काम चल रहा है, रेल प्रशासन की अतिरिक्त जगहोंपर मेमू ट्रेनोंके कारख़ाने, LHB कोच मेंटेनेंस के कारखाने, अतिरिक्त पिट लाइनें, गाड़ियाँ खड़ी करने, उनके रखरखाव के लिए विस्तरित ट्रेन टर्मिनल स्टेशन बन रहे है। आप देख सकते है आने वाले वर्षोंमें रेलवे में अमूलचूल परिवर्तन आने जा रहा है।
यह बातें रेल में होने वाले विकास की है। कही कही कुछ विस्तार गाड़ियोंकी फ्रीक्वेंसी याने साप्ताहिक की जगह हफ्ते में दो दिन, तीन दिन या रोजाना चलाकर होता है, कहीं गाड़ियोंके टर्मिनल स्टेशनोके बदलकर होता है तो कहीं गाड़ी को ही अपने पुराने गन्तव्य स्टेशन से विस्तरित किया जाता है। परिवर्तन नए सृजन का आभास है। जब जब कुछ नया आना है, पुराने को अपना स्थान छोड़ना है। कुछ यात्रिओंको लगता है, उनकी नियमित गाड़ियाँ उनसे छीन जाएंगी, उंन्हे यात्रा करने में संघर्ष करना होगा, यह लेख रेलवे में आनेवाले ट्राइमेंड्स, लोकविलक्षण बदलाव का आईना है।
आनेवाला हर बदलाव रेलयात्रिओंको नई नई सौगातें ही लेकर आए, यही आशा रेलयात्रीओंको रेल प्रशासन से है।