हाल ही में भास्कर ग्रुप के मराठी न्यूजपेपर ” दिव्य मराठी ” में एक न्यूज छप के आयी। न्यूज का विषय यह था, रेलवे प्रशासन जल्द ही छपे हुवे PRS टिकट बन्द करने जा रहा है और यात्री को यदि टिकट छपा हुवा ही चाहिए तो उसपर अतिरिक्त शुल्क वसूलने की घोषणा कर सकती है। यह शुल्क ₹25/- से ₹50/- तक लगाया जा सकता है और अलग श्रेणी के हिसाब से इसके रेट्स भी तय किए जा सकते है।
PRS काउन्टर पर टिकट लेने वाले यात्री को अपना मोबाइल नम्बर देना आवश्यक रहेगा। टिकट छपने के बजाय मोबाइल में E टिकट के स्वरूप में SMS के जरिए आ जाएगा। यदि यात्री टिकट पेपर स्वरूप में ही चाहता है तो उसके लिए उसे अतिरिक्त शुल्क, जो अभी तय नही है, देना होगा।
यह निश्चित ही यात्रिओंको PRS टिकट से E टिकट की धारा में ले जाने का प्रयास है। रेल दुनिया वर्षोँसे, कई बार PRS टिकटोंकी जगह के टिकट जारी किए जाने की सूचनाएं, प्रशासन से अपने लेख के जरिए करते आ रहा है। उदाहरण के तौर पर रेलदुनिया के 22 अक्तूबर 2019 के एक लेख का कुछ हिस्सा यहाँ हम दे रहे है। पूरा लेख का लिंक भी साथ मे है।
इमरजेंसी में व्यक्ति को यात्रा के लिए निकलना पड़ता है। कोई नही सोचता की उसे वेटिंग टिकट पे यात्रा करनी पड़े। जब टिकट चार्टिंग के बाद भी वेटिंग रह जाए तो वह भी क्या करे? और कन्फर्म यात्री भी कभी न कभी इस दौर से गुजरा होता है, इसी ख़ातिर यह सब 72 और LHB में 81 व्यक्तियोंकी क्षमता के डिब्बो में दुगुने लोग डिब्बेके फर्श पर, पैसेजेस में, यहाँ तक की बर्थ के नीचे घुसकर अपनी यात्रा किसी तरह पूरी करते है।
प्रशासन की समस्या यह है, PRS में वेटिंग लिस्ट रहने वाले कितने लोग अपना टिकट कैसल करेंगे यह उन्हें पता नही रहता। याने गाड़ी में निश्चित रूपसे कन्फर्म यात्रिओंके साथमे और कितने सेकंड क्लास के यात्री, वेटिंग लिस्ट के यात्री सफर कर रहे है। जनरल डिब्बे में भी क्षमता से कितनेही ज्यादा लोग सफर करते रहते है, इसकी कोई भी निश्चित ख़बर रेल प्रशासन को है ही नही। सुनने में ही कितना भयावह लगता है?
मानवता के आधार पर सोचें तो, प्रतिक्षासूची के और सेकेंड क्लास के यात्रिओंने क्या रेलवे में बैठ कर जाने का, या शांति से सफर करने का सोचनाही नही चाहिए?और MST/QST धारक तो रेलवे के अग्रिम किराया दे चुके यात्री है, एखाद दो घंटे का सफर करते है, क्या इनके बैठ के जाने का कोई हक नही है?
इसके लिए कुछ हल, हम प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे है।
1) सर्व प्रथम PRS सिस्टम को पूर्णतया e टिकट में बदलने की जरूरत है, ताकी वेटिंग लिस्ट टिकट चार्टिंग के बाद अपनेआप रद्द हो जाए और रद्द हुवा टिकट धारी यात्री अपनी यात्रा की कोई दूसरी व्यवस्था की ओर ध्यान दे।
उपरोक्त लेख की लिंक – https://wp.me/pajx4R-oU
और यह है वह दिव्यमराठी की न्यूज –

दिव्यमराठी से साभार