2016 में अलगसे रेल बजट आखरी रेल बजट था, उसके बाद 2017 से आम बजट में ही रेल के लिए बजट निधि की घोषणा की जाती है। किस विभाग को कितना निधि मिला है इसके लिए पिंक बुक का इंतजार करना होगा। फिर भी मुख्य घोषणाओंके सहारे रेलवे को इस बजट से क्या मिला यह हम समझ सकते है।
रेलवे को सौर ऊर्जा के जरिए अपनी कॉस्ट कटिंग का संदेश दिया गया है। रेलवे की अपनी खाली जगहोंमें, ट्रैक के बाजुमे सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का उत्पादन करने कहा गया है।
चार स्टेशनोंका, ग्वालियर, नागपुर, गांधीनगर और अमृतसर बुनियादी विकास करके उन्हें वर्ल्ड क्लास बनाना और 150 गाड़ियाँ तेजस या हमसफ़र गाड़ियोंके तर्ज पर चलाना और यह सब काम PPP मॉड्यूल पर करना है। यह भी कॉस्ट कटिंग का एक तरीका है।
बंगालुरु के लिए 148 km मार्ग की उपनगरीय परिवहन योजना, मुम्बई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन वर्ष 2023 तक कार्यान्वित करना, देश के प्रमुख तीर्थस्थलोंको तेजस जैसी गाड़ियोंके जरिए जोड़ना इस तरह की घोषणाएं की गई है।
मित्रों रेल्वेज के कई सारे प्रोजेक्ट शुरू है, चूँकि बजट संयुक्त रहता है इसलिए कौनसे प्रोजेक्ट को क्या निधि मिलेगा यह जानने के लिए समय लगेगा। फिरभी मनमाड़ – इंदौर रेल प्रोजेक्ट, भुसावल – जलगाँव – इगतपुरी तीसरी लाइन, भुसावल – वर्धा तीसरी लाइन, कश्मीर में रेल का विकास, उत्तराखंड में चार धाम रेल लाइन, पूर्वोत्तर में काठमांडू नेपाल रेल्वेसे जोड़ना, फार ईस्ट के राज्योंमें रेल विकास करना प्रोजेक्ट ही प्रोजेक्ट्स है।
150 गाड़ियाँ जो PPP मॉड्यूल में शुरू की जाएगी। यह समझ लीजिए की रियायतोंका दौर खत्म होने जा रहा है। इन प्राइवेट गाड़ियोंके किरायोंमे न तो कोई रियायत होगी और न ही अनावश्यक स्टोपेजेस। सीधे सीधे कमर्शियल अप्रोच रहेगा। जहाँ ट्रैफिक पोटेंशियल है, वहीं यह गाड़ियाँ चलेगी, वहीं स्टोपेजेस लेंगी। जैसे यात्रिओंकी जरूरत रहेगी, डिमांड्स रहेगी वैसे इनके टाइमटेबल रहेंगे।
आइए, देखते है आने वाले दिनोंमें भारतीय रेलवे का प्रोफेशनल एप्रोच क्या रंग लाता है।
