मित्रों, उपरोक्त व्यवस्था फिलहाल प्रयोगात्मक अवस्था मे है और रेल प्रशासन इसे पेपरलेस वर्किंग के दृष्टिकोण से देख रही है। रेल दुनिया हमेशा से ई टिकिटिंग के लिए आग्रही रही है। प्रायोगिक तौर पर ही सही लेकिन पेपरलेस टिकट शुरू किए जा रहे है।हमारा उद्देश्य न सिर्फ पेपरलेस वर्किंग का है, बल्कि पूरे टिकट बुकिंग प्रणाली में बदलाव कर के उसे डिजिटलाइज करना चाहिए ऐसा है।
PRS टिकट पूर्णरूपसे ई टिकट में बदल देना चाहिए। टिकट विंडो पर भी यात्री को मैन्युअल टिकट के जगह ई टिकट ही जारी हो। याने जिस तरह चार्ट बनाने के बाद ई टिकट यदि वेटिंग रह जाता है तो उसे अपने आप रद्द कर दिया जाता है, उसी तरह PRS काउंटर से लिए जाने वाले टिकट भी यदि चार्ट बन जाने के बाद वेटिंग रह जाते है तो अपने आप रद्द समझे जाए और यात्री को समयावधि में रिफण्ड दिया जाए।
मुख्यतः तकलीफ यही है, रेल की तिकिटोंपे दोहरी नीति। रेलवे में टिकट दो तरीकों से निकलते है, PRS टिकट और E टिकट। PRS टिकट रेलवे के आरक्षण केंद्र पर मैन्युअली, पेपर पर छपकर मिलते है। यह टिकट निकालने वाले का कोई सत्यापन, या प्रमाण नही होता, ना ही उसका कोई बैंक खाता रेलवे के पास होता है, क्योंकी सारा व्यवहार, लेनदेन रोकड कैश में होता है। शायद आपको नोट बन्दी का वक्त याद हो तो आपको बता दे, उस वक्त लोग ज्यादा से ज्यादा मूल्य के उच्च श्रेणी के यात्री टिकट निकाल कर अपने बड़े नोट जमा कर रहे थे और यात्रा की तारीख़ के पहले उसे रद्द कर किसी चेक या डिमांड ड्राफ्ट के भाँति कैश कर लेते थे। वहीं ई टिकट केवल IRCTC के रजिस्टर्ड यूजर ही निकाल सकते है। यह पंजीकृत यात्री की पूरी जानकारी याने नाम, पता, बैंक अकाउंट नम्बर सब रेल प्रशासन के पास मौजूद रहता है। पूरा लेनदेन डिजिटलाइज होता है। चार्टिंग के बाद वेटिंग ई टिकट अपनेआप रद्द हो कर रिफण्ड बैंक खाते में जमा हो जाता है और यात्री को अपनी यात्रा के लिए दूसरी व्यवस्था करनी पड़ती है। वहीं PRS वेटिंग टिकटधारी अपना मैन्युअल टिकट बिना रद्द करें आरक्षित डिब्बों में यहाँ वहाँ बैठकर अपनी यात्रा पूरी कर लेता है।
हमारा रेल प्रशासन से आग्रह है, सिर्फ पेपरलेस टिकिटिंग के बजाय डिजिटलाइज टिकिटिंग पर अपना ध्यान केंद्रित करें। यह सिर्फ रेल के आरक्षित यात्रिओं के ही फायदे मे नही बल्कि देश के सुरक्षा में हित मे भी जरूरी है।

न्यूज कटिंग, साभार : पत्रिका 08/2/2020