फिर से पंचायत बैठ गयी है। अब विषय है, रेल प्रशासन ने जो 20,000 यात्री डिब्बों को आइसोलेशन वॉर्डस में कनवर्ट किया है उसपर। पंचायती कह रहे है, इन डिब्बों को जोड़कर रेल गाड़ियाँ बनाई जाएगी और उंन्हे 15 अप्रेलसे चलाई जाएगी।
यह आइसोलेशन वाले जो डिब्बे है, उनकी मिड्ल बर्थ निकाली गई है। 6 बर्थ की कैबिन में अब 4 ही बर्थ है। हर कैबिन पर प्लास्टिक कर्टन/ पर्दा लगाया गया है। और आगे यह भी चर्चा उछाली जा रही है की इन डिब्बों का एक अलग श्रेणी का टिकट भी बनाया जाएगा जिसे नॉन एयर कंडीशन 2 टियर स्लिपर क्लास कहा जाएगा और उसका किराया स्लिपर क्लास और AC 3 टियर के बीच की रेंज का रहेगा। यात्री को 4 घंटे पहले स्टेशनपर आना पड़ेगा, खुद का मेडिकल चेकअप कराना होगा, तभी गाड़ी में यात्रा कर पाएंगे।
मित्रों, इन सारी पंचायतोंको अब आप बस टाइमपास की तरह लेते चलिएगा, क्योंकी रेल प्रशासन ने बार बार यही कहा है, जब भी फैसला होगा तब उसकी घोषणा कर दी जाएगी।
अब रही बात आइसोलेशन डिब्बों की, तो यह वहीं पारंपरीक डिब्बे है जिन्हे कई मेल एक्सप्रेस गाड़ियोंके पुराने डिब्बे बदल कर LHB डिब्बे लगाए गए थे। जहाँ गाड़ियोंकी गति 110 kmph से बढाकर 130 kmph और 160 kmph करने के लिए एक निश्चित कार्यक्रम के तहत बदला जा रहा है। यह पुराने डिब्बे जगह जगह के यार्डोंमे खाली पड़े थे, उन डिब्बों का सदुपयोग हो इसीलिए उनमें मिड्ल बर्थ काटे गए, ऑक्सीजन सिलेंडर्स के लिए स्टैंड्स बनाए गए, टॉयलेट को कन्वर्ट कर बाथरूम बनाया गया, एक एक कैबिन में 3-3 डस्ट बिन लगाए गए। अब आप बताइए, क्या यह डिब्बे किसी गाड़ी में कैसे भला लगाए जाएंगे? खैर।
हम अभी उचित घोषणा का इंतजार करेंगे। तब तक खयाली पुलाव का मज़ा लीजिए।