3 मई को लॉक डाउन – 2 की अवधि खत्म होने जा रही है। ऐसे मे सभी के मन मे यह जानने की उत्कंठा हो रही है, क्या लॉक डाउन आगे जारी रहेगा या इसमे अंशत: छूट का दायरा बढ़ेगा, सबसे बड़ा सवाल, रेल्वे की यात्री सेवाएं शुरू की जाएगी? और यदि हुई तो किस तरह, क्योंकी हर किसी को अब सोशल डिस्टेनसींग का अटूट महत्व समझ मे आ गया है।
कई सारी खबरें, लेख इस विषय पर बन रहे है और रोज नितनई बातें पढ़ने मे आ रही है। रेल्वे प्रशासन ने इस लॉक डाउन की अवधि मे करीबन 20,000 पुराने स्लिपर क्लास के कोचेस जो LHB डिब्बों के चलते रेलवे की साइडिंग पे पड़े थे, उनकी मिडल बर्थ निकालकर, उन्हे आइसोलेशन कोच के लिए तैयार किया है। याने रेग्युलर कैबिन में दो दो अपर, मिडल और लोअर ऐसे 6 बर्थ की जगह अपर और लोअर ऐसी 4 बर्थ की कैबिन बनी है। अब इन संक्रमण की हालातों मे रेल्वे के वातानुकूलित डिब्बे सेंट्रल एयर कंडीशनिंग होने की वजह से यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं माने जा रहे। आगामी रेल यात्रा के लिए यही आइसोलेशन वाले कोचेस लगा कर गाडियाँ चलाने की सम्भावनाओं पर चर्चे चल रहे है।


अब फ़ैक्ट समझने की कोशिश करते है। यह पुराने स्लिपर कोच 72 बर्थ क्षमता के होते है। हर कैबिनसे 2 बर्थ हटा दिये जाते है तो हर डिब्बे की 9 कैबिन मे से कुल 18 बर्थ निकाल कर 54 बर्थस रह जायेंगे। हम यह समझकर चलते है, की सोशल डिस्टेनसिंग को आधार रखकर गाड़ियाँ केवल इन्ही स्लिपर डिब्बों के साथ चलायी जाएगी। यह तो हो गई आसन व्यवस्था अब गाड़ियोंकी स्थिति देखते है। दुरांतों, राजधानी, और इन्ही तरह की प्रीमियम गाडियाँ छोड़ दें तो रेल्वे की लगभग 60 से लेकर 70 % गाडियाँ हर 50 किलोमीटर चलने के बाद स्टेशनोंपर रुकती है। उपनगरीय याने लोकल गाडियाँ और सवारी गाड़ियोंकी तो फिलहाल हम बात ही नही कर रहे है।
कई सारे मेल एक्सप्रेस रुकने वाले स्टेशन्स ऐसे है जहाँपर अभी भी पूर्णतया: अनावश्यक प्रवेश के लिए प्रतिबंध नहीं है या यूँ कहिए कोई भी व्यक्ति स्टेशन एरिया मे, प्लेटफॉर्म्स पर बिना किसी बंधन के, रुकावट के आ जा सकता है। गाड़ियाँ अब तक भी स्टेशनों के बाहर सिग्नल के इन्तजार मे खड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति मे गाड़ीमे कोई भी अवांछनीय व्यक्ती प्रवेश कर सकती है या गाडीसे उतर सकती है। गाड़ी मे अभी भी प्रतीक्षासूची के आरक्षण बुकिंग पर कड़े नियम नहीं है। अभी तक PRS याने काउंटर से छपा प्रतीक्षासूची वाला टिकट, यात्री बिना रद्द किए गाड़ी मे यात्रा करते पाया जाता है। क्या सोशल डिस्टेनसिंग की इन स्थितियों मे हम आरक्षण के इन नियमोमे सुधार होता या कोई प्रशासनिक कारवाई होती देख सकते है?
यदि गाडियाँ चलाने का निर्णय लिया जाता है तो सबसे पहले रेल प्रशासन को अपने कुछ नियम और कायदे सुधारने होंगे और उनपर कड़ाई से अमल भी करना होगा। सारे स्टेशन्स या शुरुवात में मुख्य स्टेशन्स केवल परिचयपत्र और उचित अनुमतिपत्र के साथ ही प्रवेश के लिए प्रतिबंधित किए जाए। अनुमतिपत्र पर व्यक्ति स्टेशन के कौनसे एरिया में जाने के लिए पात्र है उसकी जानकारी लिखी जानी चाहिए। जैसे की स्टेशन का आहाता, आरक्षण कार्यालय, टिकटघर, प्लेटफॉर्म्स, गाड़ी का डिब्बा आदि। आगे सबसे महत्वपूर्ण गाड़ी मे आरक्षण किए जाने वाले प्रत्येक यात्री के पास यात्रा करने के उचित कारण हो और किसी भी राजपत्रित अधिकारी का साक्ष्यंकित अनुमतिपत्र हो तभी यात्री को आरक्षण और प्रवेश दिया जाए।
1: रेल प्रशासन को चाहिए की अपनी किसी भी रेग्युलर गाड़ी चलाने के बजाय विशेष गाड़ियों को चलाना होगा। ताकी उनका अलग से टाइम टेबल, अलगसे गाड़ी की संरचना, अलग सुरक्षात्मक दृष्टिकोण रखते हुए मेडिकल जाँच करने वाला स्टाफ और सैनिटेशन किया जा सके ऐसी समुचित व्यवस्था हो इन्ही स्टेशनों पर स्टोपेज दिए जा सके। ऐसी गाड़ियोंके किराए भी अलग दर से याने तत्काल / प्रिमियम तत्काल रेट्स से लिए जा सकते है और यात्री किरायोंमे दी जाने वाली रियायत भी अपनेआप रद्द हो जाएगी।
2: स्टेशन पर गाड़ी मे प्रवेश दिए जाने के लिए हवाई अड्डे पर के सारे मानक अपनाए जाए। गाड़ी मे यात्री चढ़ने के बाद डिब्बे के दरवाजे लॉक होने की सुविधाए हो या मैन्युअली लॉक किए जाए और स्टोपेज आने के उपरांत गाड़ी प्लेटफ़ॉर्म पर पहुंचे तब ही खोले जाए। इसमे भी पूरी गाड़ी यात्री प्रतिबंधित वेस्टिबुल हो याने सभी डिब्बे एक दूसरे से जुड़े हो लेकिन कर्मचारियों के लिए ही एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में जाने की अनुमति हो, केवल एक ही डिब्बे याने गाड़ी के आखिरी डिब्बे से सारे यात्रीओंका का प्रवेश और एक ही, सबसे पहले डिब्बे से निकास हो।
3: गाड़ी के हर डिब्बे मे एक सुरक्षा कर्मी और एक टीटीई जिनके पास गाड़ी के गार्ड और लोको पायलट से सीधी संपर्क व्यवस्था हो। गाड़ी “अलार्म चेन पुलिंग सिस्टम” के बजाय केवल रेल्वे के नुमाइन्दे से निवेदन किए जाने पर ही रोकी जा सके ऐसा नियम बने।
4: गाड़ी में प्रवेश किए जाने वाले यात्री का सामान स्कैन किया गया है ऐसा प्रमाणपत्र आवश्यक किया जाना चाहिए। बिना प्रमाणपत्र के यात्री को गाड़ी में प्रवेश की अनुमति नही रहेगी।
इतने बन्धनोंके उपरान्त ही रेल गाड़ियाँ चलाए जाना ठीक रह सकता है।