मई की 3 तारीख याने लॉक डाउन – 2 का आखरी दिन, तमाम रेल यात्रीओं के मन मे रेल गाड़ियाँ शुरू की जाने की उम्मीद है। आगे आने वाले दिनोंमें क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता पर यदि गाडियाँ चलाई जाती है तो उसके लिए हम यहाँ हमारे पाठकों के लिए केवल चर्चा स्वरूप एक फॉर्मैट, प्रारूप रखना चाहेंगे।
यह बात तो तय है की रेड झोन से गाडियाँ नहीं चलाई जाएगी या वहाँपर यात्रिओंका आवागमन नही किया जाएगा। यहाँ तो लगभग सभी बड़े टर्मिनल्स मुंबई, दिल्ली, हावड़ा, सिकंदराबाद, चेन्नई, जयपुर, भोपाल, करीब करीब सभी राज्यों की राजधानियाँ संक्रमण के दायरों मे अटकी पड़ी है। देश मे हर तरफ जिलों की सीमाएं सील की गई है। ऐसी स्थितियों मे कौनसी गाडियाँ चल पायगी और रेड झोन के स्टेशनों को छोड़ कहाँ स्टोपेजस दिए जाए और इतनी पाबन्दियाँ लगाकर क्या यात्रिओंके लिये रेल में यात्रा करना आसान होगा? और तो और रेल प्रशासन के लिए भी कितना कठिन कार्य रहेगा, लेकिन किसी एक दिन तो इसकी शुरुआत करनी होगी और हमेशा के भाँती कोई भी पहला दिन मुश्क़िलोंसे भरा ही रहेगा।
फिलहाल कोई भी गाड़ी नही चल रही है, तो उदाहरण के तौर पर समझिए मुंबई हावड़ा दुरन्तो विशेष गाड़ी चलाई जाती है। गाड़ी को मुम्बई रेड झोन में है, वहाँसे शुरू करना है। इसके लिए मुम्बई का छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, या फिर पनवेल, दादर जो भी उचित और सुव्यवस्थित लगे वहाँ से गाड़ी शुरू की जा सकती है। आगे इगतपुरी (नासिक), भुसावल (जलगाँव), अकोला, बडनेरा (अमरावती), धामणगाँव (यवतमाल), वर्धा, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, झारसुगुड़ा, टाटानगर, खड़गपुर, हावड़ा इस तरह के स्टापेजेस के साथ चलाया जा सकता है।
कहने का तात्पर्य यह की गाड़ी के कमसे कम स्टॉपेज, केवल अनुमतिपत्र के साथ कन्फर्म आरक्षित यात्री ही गाड़ी में यात्रा करेंगे। गाड़ी छूटने के समय से केवल 24 घंटे पहले घोषित होगी और तभीसे बुकिंग शुरू होगी। बुकिंग स्पेशल किरायोंमे ही की जाएगी जिसमें हर स्तर पर प्रिमियम बढ़ता जाएगा। केवल 12+2 डिब्बों की गाड़ी रहेगी जिसमे केवल गैर वातानुकूलित श्रेणी के डिब्बे रहेंगे और एक कैबिन में 4 लोग, LHB कोच में 10 कैबिन होते है अतः केवल 480 यात्री सफर करेंगे। जो 2 SLR डिब्बे रहेंगे उसमे चेकिंग और सिक्युरिटी के लिए RPF स्टाफ़ की व्यवस्था रहेगी।
गाड़ी के स्टॉपेज बुकिंग पर निर्धारित होंगे। बीच के स्टेशन्स पर यात्रिओंको चढ़ने उतरने की अनुमति नही होगी या बुकिंग पर आधारित सिलेक्टेड स्टापेजेस दिए जा सकते है। एक्चुअल गाड़ियाँ ही दुरन्तो, राजधानी इस टाइप की चले जिनके स्टॉपेज पहले ही लिमिटेड हो।
अब गाड़ी मे बुकिंग हो गयी और समझिए की गाड़ी उसके स्टार्टिंग स्टेशन से दिन में 11 बजे चलने वाली है। सारे डिब्बे वेस्टिब्यूल रहेंगे और दरवाजे लॉक्ड रहेंगे। केवल आखरी डिब्बे से यात्री गाड़ीमे चढ़ेंगे और यात्रिओंकी बुकिंग भी उसी प्रकार से की जाएगी, जो यात्री सबसे पहले उतरने वाले होंगे वह सबसे पहले याने इंजिन से पहले डिब्बे में बैठेंगे और सबसे आखरी में उतरने वाले आखरी डिब्बे में। गाड़ी शुरू होने से पहले हर डिब्बे में एक TTE, और 2 RPF होंगे। सभी डिब्बे के दरवाजे लॉक किए जाएंगे। यात्री अपने निर्धारित गन्तव्य स्टेशन पर गाड़ी पहुंचने के बाद अपने डिब्बेसे उतरने के जगह पर आगे वाले सबसे पहले डिब्बे से ही उतर पाएगा। याने पूरी गाड़ीमे एण्ट्री और एग्जिट के लिए केवल एक एक ही डिब्बा होगा। बीच के सारे डिब्बे लॉक्ड रहेंगे। किसी भी तरह की असुविधा हो तो यात्री TTE या RPF से सम्पर्क करेंगे। कोई भी यात्री बिना आरक्षण के यात्रा नही कर पाएगा और ना ही बीच के किसी स्टेशन पर यात्री का उतरना या चढ़ना हो पाएगा। यह सीधा एयरवेज के रूल्स की तरह है। उसी की तरह यात्री के आवागमन पर कड़ी निगरानी रहेगी।
यात्री को अपनी बेडिंग, खाना इत्यादि की व्यवस्था खुद करनी होगी। अतिरिक्त लगेज साथ मे ले जाने की अनुमति नही होगी। गाड़ी में पीने के लिए पानी की बोतल खरीदी जा सकेगी। गाड़ी को विशेष व्यवस्था और निगरानी के साथ किसी स्टेशन पर पूर्वनियोजित कर चाय, नाश्ते की उपलब्धता कराई जा सकती है।जिसके लिए हर 2 डिब्बे के बीच एक ऐसे 6 वेंडर लोग गाड़ी में चलाए जा सकते है।
गाड़ी का कमर्शियल और सिक्युरिटी स्टाफ स्टार्ट टू एन्ड तक चलाया जा सकता है और ऑपरेटिंग स्टाफ जैसे गार्ड और लोको पायलट रूटीन के जगहोंपर बदला जा सकेगा। यात्रिओंके योग्य आचरण और उचित अनुशासन के चलते गाड़ियोंके स्टापेजेस और बीचके स्टेशनोंसे यात्रिओंका आवागमन शुरू किया जा सकता है।
यह सब हमारी ओरसे रेल प्रशासन के लिए सुझाव है और संक्रमण के हालात देख कर इसमें रेल प्रशासन उचित फेरबदल कर के और भी यथासंभव, सुसंगत निर्णय ले सकती है। बस, गाड़ियाँ चलनी चाहिए।