आखिरकार आम आदमी के लिए रेल के पहिए घूमने लगे है, शुरवात नई दिल्ली से 15 गन्तव्यों के लिए की गई है। हावड़ा, मुम्बई, अहमदाबाद, पटना, बेंगालुरु, डिब्रूगढ़, बिलासपुर, भुबनेश्वर, जम्मूतवी, चेन्नई, राँची, मडगांव, सिकन्दराबाद, तिरुवनंतपुरम और अगरतला ऐसे यह 15 स्टेशन्स है।
माना यह प्रशासन की ओरसे प्रयोगात्मक शुरुआत हो सकती है, लेकिन सिर्फ 15 राजधानियोंसे काम चलना मुश्किल है। हमने हमारे पुराने पोस्ट में, राजधानी, दुरन्तो, गरीबरथ, शताब्दी, गतिमान आदि सभी तेज एवं कम स्टापेजेस वाली गाड़ियाँ शुरू की जाने के दरख्वास्त की थी। इन श्रेणीमे कमसे कम दुरन्तो तो शुरू की ही जा सकती है।
सिर्फ इन 15 गाड़ियोंके चलने से बहुत सारे भूभाग सम्पर्क के बिना रेलवे की राह तकते रह गए है। जिसमे सबसे प्रमुख मार्ग पुणे – मुम्बई से नागपुर होते हुए हावड़ा यह है। बीकानेर – जोधपुर – अहमदाबाद भुसावल होते हुए चेन्नई, बेंगालुरु । मुम्बई से भुसावल, जबलपुर होते हुए प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और मुम्बई से झांसी होते हुए कानपुर, लखनऊ से गोरखपुर यह ऐसे मार्ग है जिनकी यात्रिओंमें प्रचण्ड माँग है।
देश के बहुतांश नागरिकों ने कोरोना के संक्रमण से किस तरह लड़कर जीना है इसकी जानकारी अपने जीवन मे अपना ली है। आज लगभग 90% मोबाईल फोन्स स्मार्ट फोन है, इसमें भी लोग अपने फोन पर “आरोग्यसेतु” ऐप डाऊनलोड कर के उसका संक्रमण से बचने के लिए फायदा ले रहे है। ऐसी हालात में अब गाड़ियाँ बढ़ाई जानी चाहिए, भलेही उनके स्टापेजेस कम हो लेकिन देश का कोई भाग अछूता न रहे। रेल सम्पर्क बढ़ाए जाना बेहद जरूरी है।
जिस तरह से राजधानी और दुरन्तो लम्बी दूरी के शहरोंसे सम्पर्क बनाए रखेंगी उसी तरह शताब्दी और गरीबरथ गाड़ियाँ दो राज्योंकी राजधानीयोंको या महत्वपूर्ण शहरोंके सम्पर्क को बढ़ाएंगी। हम ऐसी आशा करते है, आने वाले दिनोंमें जरूर इसकी घोषणा की जाएगी।