मित्रों, जुलाई माह सभी रेल यात्री को पता होता है, रेलवे टाइमटेबल नया आएगा। टाइमिंग्ज बदलेंगे। न सिर्फ यात्री बल्कि रेल कर्मचारियों और रेल फैन्स के लिए भी यह बड़ी उत्सुकता का विषय रहता है। आप मे से कइयोंको शायद पता नहीं पर लोग टाइमटेबल के अभ्यास में घंटो बिता सकते है।
इस बार रेलवे अपने टाइमटेबल को ज़ीरो बेस बनाने जा रही है। अब आप के मन मे यह उत्सुकता जागृत हुई होगी कि यह ज़ीरो बेस टाइमटेबल याने क्या? तो उसका मतलब यह है कि टाइमटेबल की सारी ट्रेन्स को ज़ीरो कर के एक एक गाड़ी की, उनके शेड्यूल की पुनर्रचना करना। जो भी गाड़ियाँ बहुत ज्यादा स्टापेजेस लेती है या जिनको यात्रिओंका रिस्पॉन्स कम है उनको टाइमटेबल से हटाना याने उनका चलन बन्द करना। तेज गाड़ियाँ चलाने के लिए ज्यादा जगह बनाना ताकी गाड़ियाँ बिना रुके लम्बे अन्तर तक चलती रहे। निजी गाड़ियाँ चलाने के पीछे भी यही कारण है।
एक एक ज़ोन इस झीरो बेस टाइमटेबलिंग पर काम कर रहा है। हाल ही में हमने पश्चिम और दक्षिण रेलवे के परीपत्रक की जानकारी आपको दी थी। इन झोन ने अपनी कई सवारी गाड़ियाँ रद्द कर दी है और साथ ही मेन लाइनपर चलनेवाली कुछ ऐसी एक्सप्रेस गाड़ियाँ भी रद्द की है जो बहुत अधिक स्टापेजेस लेती थी और जिनके स्टार्टिंग पॉइंट से एन्ड पॉइंट तक चलने में एवरेज स्पीड काफी कम था। आपको ज्ञात होगा मध्य रेलवे पर भी कई ऐसी एक्सप्रेस और सुपरफास्ट गाड़ियाँ भी है जिनके हर 25 किलोमीटर पर स्टापेजेस है। महाराष्ट्र एक्सप्रेस, सेवाग्राम एक्सप्रेस, संहयाद्री एक्सप्रेस यह कुछ उदाहरण है।
अब इस जीरो बेस टाइमटेबल के असर देखते है। यदि आप किसी छोटे गांव या शहर में रहते हो, यज्ञपि आप के गांव में रेलवे स्टेशन है, दिनभर में दो चार सवारी गाड़ी या एखाद एक्सप्रेस रुकती हो फिर भी आपके गांव में गाड़ी अब शायद ही रुकेगी। क्योंकि सभी पैसेंजर गाड़ियोंको एक्सप्रेस में बदला जा रहा है। पैसेंजर जैसी एक्सप्रेस / सुपरफास्ट एक्सप्रेस को या तो बन्द किया जा रहा है या फिर उनके स्टापेजेस रद्द कर उन्हें एक्सप्रेस की परिभाषा में लाया जा रहा है।
हो सकता है, की अब आपको हवाई जहाज की यात्रा करने के लिए जिस तरह कुछ किलोमीटर की यात्रा कर एयरपोर्ट पर जा कर अपनी यात्रा शुरू करनी पड़ती है, उसी तरह अब किसी ओर रेलवे जंक्शन पर ट्रेन की सवारी करने जाना होगा। या ऐसा भी हो सकता है की भले ही आप जिला मुख्यालय के स्टेशनपर रहते हो पर आपका रेलवे स्टेशन किसी ओर गांव 5-50 किलोमीटर दूर से आपको उपयोग में लाना पड़े। जी हाँ मित्रों, हम जलगाँव, पाचोरा, चालीसगांव, नांदगांव, नासिक इधर मलकापुर, नांदुरा, शेगांव, अकोला, बुराहनपुर, खण्डवा, हरदा जैसे स्टेशन्स की बात कर रहे है। इन स्टेशनोंपर भी एक्सप्रेस गाड़ियोंके स्टापेजेस रद्द किए जा सकते है।
एक बात हम आपको बताना चाहते है, यह ज़ीरो बेस टाइमटेबल के शुरुआती झटके रहेंगे। जैसे जैसे गाड़ियाँ अपने रूटीन में आते जाएगी वैसे स्टापेजेस में भी बदल हो सकते है और जो जो सवारी गाड़ियाँ बन्द हो रही है उनकी जगहोपर इंटरसिटी एक्सप्रेस, डेमू, मेमू या सबर्बन गाड़ियाँ जरूरत के हिसाब से शुरू की जा सकती है। अब आप इस बात की चिंता छोड़ दीजिए कि कोई गाड़ी आपके स्टेशन को स्किप करती जा रही है। यदि आपको उसी गाड़ी से यात्रा करनी है तो उसे अपने पास के किसी ऐसे स्टेशन से पकड़ेंगे जहाँ वह रुक रही हो।
हमारी रेल प्रशासन से भी यह गुजारिश है, EFT एक्स्ट्रा फेयर टिकट प्रणाली जारी रखे और हो सके तो उसे कम्प्यूटराइज भी कर लें। ताकी छोटे स्टेशनोंसे सफर करनेवाले या गाड़ी बदल कर यात्रा करने वाले यात्रिओंको लम्बी दूरी की रेल यात्रा करने का ‘टेलिस्कोपिक किराए’ का फायदा और सहूलियत दोनोंही मिले।
वैसे भी इस महामारी ने हमको काफी कुछ पाठ पढ़ाए है। ज्यादा जरूरी न हो तो लोग आजकल यात्रा टाल देते है। कई रेल गाड़ियाँ बन्द होने की वजह से यात्री अपनी रेल यात्रा के लिए दूर दूर से जहाँ ट्रेन सेवा उपलब्ध है, वहाँ जाकर अपनी यात्रा का प्रारंभ कर रहे या वहाँ गाड़ी छोड़ रहे है। ऐसे में आशा है, ज़ीरो बेस टाइमटेबलिंग से रेल यात्रिओंको ज्यादा परेशानी नही होना चाहिए।