22 मार्च से 12 मई तक एक भी यात्री गाड़ी भारतीय रेल पर नही चली। 12 मई से 30 राजधानी गाड़ियाँ पटरी पर आयी तो यात्रिओंके साँस में साँस आयी, की चलो! कुछ तो ट्रैफिक शुरू हुवा। लेकिन यह सारी गाड़ियाँ नई दिल्ली से देश के अन्य भागों को जोड़ने वाली और कुछ ही स्टापेजेस पर रुकनेवाला राजधानी स्पेशल गाड़ियाँ थी, जिनसे कई यात्रिओंको बिल्कुल भी फायदा नही हो पा रहा था। यहाँतक के जिन मार्गोंसे यह गाड़ियाँ गुजर रही थी उन मार्गोंके यात्री भी इन मे यात्रा करने से वंचित थे उसकी वजह थी एक तो यह गाड़ियाँ पूरी तरह से वातानुकूलित थी, इनके किराए बहोत ज्यादा थे और स्टापेजेस बेहद कम।
फिर 1 जून से 200 गाड़ियाँ मेल / एक्सप्रेस स्पेशल्स के रूप में पटरी पर उतारी गई। इससे यात्रिओंका तालमेल काफी हद तक बैठ गया, और यातायात शुरू हुई। इसके बाद भी कई ऐसे मार्ग अभी भी बचे है जिन पर कोई गाड़ियाँ नही चल रही है और यात्री फिर से और 100-150 गाड़ियाँ चलाने का इंतज़ार कर रहे है।
रेलवे बोर्ड के हाल ही में एक बयान आया है। उन्होंने स्पेशल गाड़ियोंमे यात्री कितने यात्रा कर रहे है इसका लेखाजोखा प्रस्तुत किया। कुल 230 गाड़ियोंमेसे केवल 68 गाड़ियाँ अपनी पूर्ण यात्री क्षमता से चल रही है और 34 गाड़ियाँ 75 से 100 % क्षमता से चल रही है। याने कुल मिलाकर आधी से ज्यादा गाड़ियाँ खाली चल रही है। आगे वह यह वादा भी कर रहे है, यदि जरूरत हो तो और भी गाड़ियाँ चलाई जा सकती है।

आप बताए, केवल आरक्षित यात्री ही यात्रा करेंगे, महाराष्ट्र जैसे राज्य में कोई अन्तरराज्यीय यात्रा नही कर सकता, बंगाल, ओडिशा, झारखंड, कर्णाटक, तमिलनाडु जैसे राज्योंने अपने स्टापेजेस पर गाड़ियाँ नही रुकेंगी ऐसा फरमान जारी किया है तो कई गाड़ियाँ रद्द या फेरे घटाए है ऐसी स्थिति में यात्री कैसे निश्चिंत हो कर आरक्षण कराए और यात्रा करें? बिहार राज्य ने कहा है, गाड़ियाँ बराबर चलेंगी लेकिन स्टेशन से घर तक जाने की व्यवस्था यात्री, अपने आप करे, अब बताइए।
हमारे पास एक मैप है, आप उसमे देख सकते है, भारतीय रेल के मार्ग कितने व्यग्र याने बिझी है। अपनी क्षमता से 100 से 150% काम कर रहे है। कुछैक मार्ग ऐसे है जो 150% से भी ज्यादा पर काम कर रहे है। गिने चुने ही मार्ग है जिनका इस्तेमाल 100% से कम हो रहा है। उसकी भी वजहें यह है कि उनकी कनेक्टिविटी गेज कन्वर्शन की वजह से कट गई है। मतलब यह है, की इस संक्रमण के तहत रेल बन्द के पहले यह हालात थे। अब जल्द ही फिर से स्टेशनोंपर बहारें लौटने के दिन आनेवाले है। ज्यादासे ज्यादा 4-6 महीनोंमें फिर गाड़ियाँ यात्रिओंसे लद लद कर जानेवाली है।

तब विषय हमारे रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का आता है। हर कोई फिर वह आम आदमी हो, सामाजिक कार्यकर्ता हो, विधायक, सांसद, मंत्री हो चाहता है की उसके क्षेत्र में बेहतर रेल परिवाहन हो, गाड़ियाँ चले। लेकिन आप रेल मार्ग तो देखिए। कहाँ चलाएंगे आप गाड़ियाँ, कहाँ खड़ी करेंगे उन्हें? उसके लिए अतिरिक्त लाइनोंकी आवश्यकता है। अतिरिक्त प्लेटफार्म की जरूरत है। चल स्टॉक याने डिब्बे, लोको याने इंजिन तो आप निजी लोगोंको आमंत्रित कर व्यवस्था कर ही रहे है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, जगह जगह पर शुरू तीसरी और चौथी लाइनोंके काम, अतिरिक्त मार्गोंके लिए यूनिगेज के तहत बड़ी लाइनोंकी उपलब्धता, जंक्शनोंपर ज्यादा प्लेटफॉर्म्स, टर्मिनलोंपर गाड़ियाँ खड़ी करने पिट लाइन, उनका रखरखाव करने वॉशिंग लाइन, यार्ड्स यह सब की भी जरूरत है।
यह सारे काम भारतीय रेल के नेटवर्क पर एक लक्ष्य पाने, हासिल करने के उद्देश्य से चल रहे है। युनिगेज के कारण बिझी मेन लाइनोंके अलावा अलग मार्ग गाड़ियाँ आगे बढ़ाने में काम आएंगे। तीसरी, चौथी लाइने अलग अलग गति की गाड़ियाँ चलाने के काम करेंगी, जैसे 130 – 160 kmph वाली गाड़ियोंके मार्ग अलग होंगे। यह गाड़ियाँ 200, 300 किलोमीटर बगैर रुके चलेंगी तो हर 25-50 किलोमीटर पर रुकनेवाली हमारी मेल, एक्सप्रेस, सवारी गाड़ियाँ, मालगाड़ियाँ अलग पटरी पर दौड़ेगी।
नए टर्मिनल्स बनाए जा रहे है। मुम्बई के लिए मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल, दादर, लोकमान्य तिलक टर्मिनल यह विद्यमान तो पनवेल नया टर्मिनल बनेगा। उधर पश्चिम रेलवे में मुम्बई सेंट्रल, बांद्रा टर्मिनल, दादर पश्चिम के साथ और एखाद टर्मिनल विकसित होगा। दिल्ली के लिए दिल्ली जंक्शन, नई दिल्ली, हज़रत निजामुद्दीन, आनंदविहार, दिल्ली सराय रोहिल्ला, आदर्शनगर और भी नए टर्मिनस बनाए जा रहे है। पुणे के लिए उसके आगे और पीछे शिवाजीनगर और हड़पसर, नागपुर के लिए अजनी और इतवारी, भोपाल के लिए हबीबगंज, संत हिरदाराम, जबलपुर के लिए मदनमहल, आधारतल जोधपुर के लिए भगत की कोठी, पटना के लिए दानापुर, राजेंद्रनगर और पाटलिपुत्र ऐसे कई कई उदाहरण देते आएंगे।
मित्रों, जिस तरह आप को तेज गाड़ी चलाना है, तो उसके ब्रेक्स सही होना अत्यंत आवश्यक है, उसी तरह उन्नत और तेज रेल यातायात के लिए उसको लगनेवाला हर इंफ्रास्ट्रक्चर अतिआवश्यक है।