है न चौकानेवाली खबर? हाँ लेकिन यह सच है। इन दिनोंमें रेल प्रशासन जहाँ कलकारखानों में जा जाकर, अपने वाणिज्य अधिकारियोंको भेज भेजकर रेल्वे से माल ढुलाई करने के लिए व्यापारियों, किसानों और कारखानदारोंको प्रोत्साहित करने के भरकस प्रयास कर रहा है, उसमे सफल भी हो रहा है, इसी बीच मध्य रेलवे की 21 जून की इस खबर से जाहिर है हर कोई चौक गया है।

दरअसल इस खबर को चौकाऊ बनाया है, इसके आधे अधूरे पन ने। जैसे सिक्के के दो पहलू होते है, इस खबर का दूसरा पहलू है अकोला स्टेशन का विकास। अकोला यह महाराष्ट्र का महानगर और महाराष्ट्र के विदर्भ उपविभाग का महत्वपूर्ण जंक्शन है। मुम्बई – नागपुर मार्ग की लगभग तमाम गाड़ियाँ यहाँपर रुकती है। अब आकोट लिंक भी शुरू होने जा रही है। ऐसी स्थितिमे पहलेसे ही यात्रिओंकी भीड़ रहती है वह और भी बढ़ने की संभावना है। मध्य रेलवे के पास कमोबेश 4 प्लेटफार्म और दक्षिण मध्य रेलवे की गाड़ियोंके लिए 2 प्लेटफार्म उपलब्ध है। जिसमे कुछ गाड़ियोंका शंटिंग याने लोको रिवर्सल भी होता है उस वक्त एक साथ दो लाइनें एंगेज रहती है। गाड़ियाँ ज्यादा देर भी खड़ी रहती है। प्लेटफॉर्म बढ़ाने के लिए जगह भी कम पड़ रही थी।
अब अकोला से 19 किलोमीटर दूर, बडनेरा मार्ग पर बोरगांव स्टेशनपर अकोला गुड्स शेड का काम शिफ्ट किया जा रहा है और अकोला स्टेशन की विद्यमान गुड्स शेड की जगहपर रेलवे प्लेटफार्म, बे एरिया में यात्री सुविधाएं बढ़ाई जाएगी। करीबन 9 करोड़ रुपये में अकोला स्टेशनपर होम प्लेटफार्म विकसित किया जाएगा साथ ही अकोला में रेल कोच फैक्ट्री के लिए यहांके सांसद रेल प्रशासन से 105 करोड़ रुपए आबंटित करवाने का प्रयास कर रहे है।
तो यह है अकोला गुड्स शेड बन्द कराए जाने के खबर के पीछे की खबर।