रेल प्रशासन ने आज 15 अगस्त से 5 सितंबर तक गणपति विशेष गाड़ियोंकी घोषणा की है। इन गाड़ियोंकी टिकट बुकिंग्ज आज ही से आरक्षण केंद्रों और आईआरसीटीसी के माध्यम से की जाएगी।
तमाम महाराष्ट्रवासियों मन मे एक ही सवाल है, क्या महाराष्ट्र से कोंकण में जाना किसी अलग राज्य में जाने के जैसा है? इस प्रश्न का कारण है, महाराष्ट्र शासन की राज्यअन्तर्गत रेल यात्रा करने की नीति। जबसे रेल प्रशासन ने संक्रमण के चलते अपनी सारी टाइम्टेबल्ड, रेग्युलर यात्री गाड़ियाँ रद्द कर देशभर में केवल 230 विशेष गाड़ियोंके जरिए यात्री रेल सुविधा जारी रखी है, तब से महाराष्ट्र शासन ने अपने राज्य के भीतर ही भीतर रेल यात्रा टिकट बुक नही किए जाएंगे ऐसी व्यवस्था रेलवे से करवाई थी। वहींपर राज्य से किसी दूसरे राज्य में जाने या किसी दूसरे राज्य से महाराष्ट्र में आने के लिए रेल टिकट बुक कराने में कोई बाधा नही है।
आज भी सैकड़ो जरूरतमंद महाराष्ट्रवासियों को किसी पड़ोसी राज्य से अपनी रेल यात्रा शुरू या समाप्त करनी पड़ रही है। उदाहरण के लिए जलगाँव से मुम्बई, पुणे रेल से जाना हो तो यात्री बुरहानपुर से मुम्बई या पुणे का टिकट बुक करा के वहीं से यात्रा कर रहे है। गौरतलब यह है, की आज से जो गणपति विशेष गाड़ियाँ शुरू की गई है, सारी गाड़ियाँ महाराष्ट्र के अंतर्गत ही चलाई जानी है और इनके टिकट सहजतासे उपलब्ध है। यह कैसी नीति है?
सारे महाराष्ट्रवासियों के मन मे रह रह कर एक ही प्रश्न उठ रहा है, क्या कोंकण महाराष्ट्र राज्यका भाग नही है? फिर यह अलग नीति क्यों? कोंकण प्रभाग में जाने के लिए मुम्बई से रेल टिकट दिया जा सकता है तो मराठवाड़ा, खान्देश, विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्रवासियों को रेल यात्रा की सहुलियित क्यों नही दी जा रही है।
आज देश का प्रत्येक नागरिक इस संक्रमण में क्या एहतियात बरतनी चाहिए यह भलीभाँति जानता है और उसका कड़ाई से पालन भी कर रहा है। हमारी महाराष्ट्र शासन से आग्रहपूर्वक अनुरोध है, कृपया समस्त महाराष्ट्र की जनता के लिए भी रेल यात्रा की बुकिंग्ज खोल दी जाए ताकि मजबूर जनता को महंगे सड़क परिवाहन से यात्रा करनेसे छुटकारा मिले। विगत 2-3 महीनोंसे सैकड़ों मरीज, व्यापारी, व्यवसायिक इस बंधन में पिसे जा रहे है। यदि उपरोक्त बन्धन शिथिल किया जाता है तो सारे महाराष्ट्रके अंतर्गत रेलसे यात्रा करने के जरूरतमंद यात्री प्रदेश शासन के आभारी रहेंगे।