सही मायने में झुक झुक गाड़ी!
आज कल के बच्चोंने तो शायद ही भाँप से चलनेवाले इंजिन और रेल गाड़ियाँ देखी होंगी। मुझे याद है, 1990 तक मेरे घर के सामने से दिन में 3 बार भुसावल – सूरत ट्रेन जाती थी और 3 बार आती थी। इन के समय सुबह 8 से 9 के बीच 1 जोड़ी, शाम 6 से 7 के बीच दूसरी और रात 1 से 2 के बीच तीसरी। अब आप यह पूछोगे यही 3 जोड़ी गाड़ियोंकी बात क्यों? भई, यह गाड़ियाँ तब भी स्टीम याने भाँप के इंजिन स चलती थी। चूँकि भुसावल मुम्बई विद्युतीकरण हो गया था और भुसावल इटारसी, नागपुर खण्ड पर भी डीजल इंजिन्स चलने लगे थे, लेकिन भुसावल जलगाँव होकर सूरत जानेवाली सवारी गाड़ियाँ तब भी स्टीम इंजिनसे ही चलती थी और मेरा घर भुसावल जलगाव रेल लाइन से पास ही है।
तो जब यह गाड़ियाँ घर के सामने से निकलती थी, मैं दौड़ के इसकी आवाज सुनने दरवाजेपर पोहोंच जाता था। कु ssss क कर के सिटी और झुक झुक कर के चलना बड़ा मजा आता था। खास तो जब, जब इंजिन स्पीड लेने की कोशिश करता और उसके पहिए जोर से घूम जाते थे, व्वा!
देखिए आज की वीडियो। थोड़ा मजा आप को मिलेगा क्योंकी अब यह चीजें फोटो और व्हिडियो में ही देखना पड़ती है।