बड़े गाजेबाजेसे यह खबर तमाम रेलवे ज़ोन अपने ट्विटर हैंडल से दिए जा रहे है, की अब रेलवे कर्मचारियोंको डिजिटल पास मिलेंगे और फलाँ दिन तक ही लिखित कागजी पास चलेंगे।
पास डिजिटलाइज होने के काफी फायदे है, कर्मचारियोंको पास निकालने दफ्तर के चक्कर नही काटने पड़ेंगे और न ही ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। किसी भी जगह से, अपने मोबाईल के सहायता से कर्मचारी अपनी पास जारी करवा सकेगा। सबसे महत्व का फायदा यह है, की मैन्युअल पास में उसे ई-टिकट नही बनाते आता था, काउंटर पर ही जाकर आरक्षण बनाया जा सकता था। लेकिन डिजिटल पास में वह आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर से अपनी पास पर आरक्षण कर सकता है।
आगे यह विचार और भी है, क्या यह पास के गैरकानूनी इस्तेमाल पर अंकुश है? तो इसका उत्तर है, कुछ अंश में हाँ। जब पासेस डिजिटलाइज कर दिए जाएंगे तो उसका सारा हिसाब किताब एक क्लिक पर उपलब्ध रहेगा। कौनसा कर्मचारी कहाँसे कहाँ तक का पास ले रहा है, कब यात्रा कर रहा है यह बात रेल बोर्ड से लेकर आखरी लेवल तक जाहिर रहेगी। दूसरा पास के हस्तांतरण पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। चूँकि पास को पढ़ने के लिए QR कोड का इस्तेमाल होने से सम्बंधित कर्मचारी का सारा रिकॉर्ड सामने पढा जा सकेगा। बिना आरक्षण के यात्रा की अनुमति न होने के कारण डिजिटल पास में एक बार यात्रा करने से पास समाप्त हो जाएगी अतः एक ही पास पर उसकी वैलिडिटी तक आसपास में सफर करने पर भी बन्धन आ जाएंगे।
कई कर्मचारी अनावश्यक रूप से लम्बी लम्बी दूरी के पास लेते है। यदि यह पास अतिरिक्त लम्बे मार्ग के हुए तो कर्मचारियोंको रिकवरी की नोटिसें भी मिलती है, इस डिजिटल सेवा में इसका हिसाब भी तुरतफुरत हो सकता है। जो की कर्मचारियोंके लिए ध्यान में रखने योग्य बात है।
रेल प्रशासन अपने सारे काम डिजिटलाइजेशन की ओर ले जा रही है, ऐसे में इस संक्रमण काल मे भी केवल कर्मचारियोंके और VIP टोकन के आरक्षण हेतु रेल्वेज को अपनी मैन्युअल सिस्टम फिर से शुरू करना पड़ी थी अतः रेलवे का कर्मचारियोंके पासेस और पीटीओ का डिजिटल करने में यह भी दृष्टिकोण समझ आता है।