12 मई को 30 राजधानी गाड़ियाँ शुरू की गई, उसके बाद नियमित अन्तरालपर गाड़ियाँ खुलते चली जा रही है। कभी 100, कभी 80 तो आगे छिटपुट 2-4-6 ऐसी।
ऐसे सुनने में है, रेल प्रशासन को गाड़ियाँ खोलने में कोई आपत्ति नही है बस राज्य प्रशासन अपने राज्योंकी स्थितियां देख कर अनुमति दें, और रेल प्रशासन गाड़ियोंके चलने की घोषणा करें। जब इस तरह के हालात है तो राज्यों और रेल दोनोंही मिलकर अब निर्णय लेने का वक्त आ गया है, की गाड़ियोंका राशनिंग बन्द कर सभी गाड़ियाँ खोल दी जानी चाहिए।
आज ऐसी स्थितियाँ है की श्रमिक लोग अपने कामोंपर लौटने को बेताब है। हजारों, लाखों कर्मचारी जो रोजाना 25 से लेकर 100,150 किलोमीटर तक अप डाउन करते थे, अपने टू व्हीलर या कारोंसे जाना आना कर रहे है। जितने भी महानगर है, वहाँपर आजूबाजू के छोटे शहरों, गाँवोंसे यह कर्मचारी वर्ग के लोग आ जा कर अपनी ड्यूटी पर हाजिर होते है। नागपुर, अमरावती, अकोला, जलगाँव, नासिक, मुम्बई, पुणे, सोलापुर, औरंगाबाद ऐसे महानगरोंमें किराए का घर इन लोगोंके बजट में नही बैठ पाता, अतः पासपड़ोस के गांवों या शहरोंसे ये लोग काम करने शहरोंमें पोहोंचते है। रेलवे से MST/QST पास बना ली तो 400/500 रुपए महीने में काम चल जाता है वही अब बाइक, रोड़ यातायात या कार से 5 से 7 हजार रुपए महीने का खर्च हो रहा है।
महीने का वेतन 15 से 20 हजार और नौकरी पर पोहोंचने का खर्च 5,7 हजार? केवल अपनी नौकरी बचाए रखने की मजबूरी इन को सड़क मार्ग से जाने के लिए मजबूर कर रही है। उपरोक्त शहरोंके नाम हमने केवल महाराष्ट्र के लिये लेकिन अमूमन पूरे देश भर की हालत यही है। तमाम नौकरीपेशा वेतनभोगी कामगार वर्ग में त्राहिमाम मचा है। एक तो सड़क मार्ग से जाना 10 से 15 गुना ज्यादा खर्चीला है, दूसरा सड़क मार्ग की हालत इतनी बदतर है की रोज इन मार्गोंपर जाना आना करना याने खुद की जान जोखिम में डालना है।
उपनगरीय गाड़ियोंमे एक अलग ही किस्सा है। एक तो उपनगरीय गाड़ियाँ जरूरत से काफी कम फेरे कर रही है, दूसरे आम यात्रिओंको इसमें यात्रा करने की अनुमति भी नही है। जो लम्बी दूरी की गाड़ियां चल रही है, उनमें आरक्षण किए बगैर जा नही सकते। जहाँ सीमित गाड़ियोंके चलते, लम्बे दूरी के यात्रिओंको ही जगह उपलब्ध नही हो पाती तो यह शार्ट डिस्टेन्स ट्रैवलर्स को बेचारे, कहाँ जगह बुक करा पाएंगे?
रेल प्रशासन, राज्य प्रशासन हो या केंद्र शासन जिनके भी दायरेंमे रेल गाड़ियाँ चलवाने का अधिकार हो, हम आग्रहपूर्वक विनंती करते है, आप लोग यह रेल गाड़ियोंका राशनिंग बन्द कर दीजिए। अब सारी गाड़ियाँ, सवारी गाड़ियोंसहित शुरू करवा दीजिए, नहीं तो कर्मचारी वर्ग जो की देश का मिडल क्लास भी है, हमेशासे ही चुपचाप हर पीड़ा सहन करने का काम करते रहता है, बरबाद होता जा रहा है। यह कोई श्रमिक नही जिनकी हालत पर सरकारों और समाजसेवियोंको तरस आता है और न ही धनिक व्यापारी या व्यवसायिक वर्ग है जो अपना धन, कमाई कई महीनोंतक न भी रहे तो भी जीवित रह सकता है। यह लोग हर महीने की आय पर अपना घर चलाते है। आज अपनी नौकरियाँ बचाने हड्डितोड़ और जेबकाटू सड़क मार्गोंसे जाना आना करने के लिए मजबूर है।
रेल प्रशासन और इसके जिम्मेदारोंको यह सोचना चाहिए की रेल यातायात पूर्ण क्षमता से शुरू करना कितना जरूरी है। यदि रोजगारोंपर कर्मचारियोंको लौटना है, देश की अर्थव्यवस्था को फिर से कार्यान्वित करना है, तो सभी रेल गाड़ियोंको उनके यार्डस में से निकाल कर पटरियोंपर दौड़ाना नितांत आवश्यक है।
Very true.
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