निम्नलिखित पत्रकानुसार रेल प्रशासन की यह मंशा दिखाई दे रही है, जब भी नियमित गाड़ियाँ शुरू की जाएगी तब द्वितीय श्रेणी के डिब्बें भी गाड़ियोंमे लगाए जाने लगेंगे।
अब आप बोलेंगे, की डिब्बे तो अब भी लगाए जा रहे है, इसमें नया क्या है? तो मित्रों, फिलहाल संक्रमण काल की अवधिमे सभी गाड़ियाँ स्पेशल बन कर चलाई जा रही है और कोई भी यात्री बिना आरक्षण के यात्रा नही कर सकता। यहाँतक की जो द्वितीय श्रेणी के कोचेस है, उन में भी 2S द्वितीय श्रेणी सिटिंग की बुकिंग्ज की जाती है। हर यात्री का PNR (पैसेन्जर नेम रिकॉर्ड) के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है, की यात्री का नाम, उम्र, लिंग, उसका पता और उसे कहाँ जाना है उस जगह का पता, उसके राज्योंके संक्रमण हेतु जारी किए गए निर्देशोंके पालन करनेके प्रतिज्ञापत्र के साथ सारा रिकॉर्ड रेलवे दर्ज कर लेती है।
अब संक्रमण काल की यह जरूरत थी की यात्री का रिकॉर्ड रेल प्रशासन के पास रहें, लेकिन जब नियमित गाड़ियाँ चलेंगी और द्वितीय श्रेणी के टिकट UTS और टिकट खिड़कियों पर बेचे जाएंगे, तब ऐसे यात्रिओंका रेलवे के पास सिवाय टिकट नम्बर के कोई रिकॉर्ड नही रहेगा और न ही रेल प्रशासन का पहले के तरह यात्री संख्या पर नियंत्रण रहेगा। वहीं ढाक के तीन पात। फिर उसी तरह सेकन्ड क्लास जनरल डिब्बे अनियंत्रित भीड़ से भरे रहेंगे। फिर तुरतफुरत वाले यात्री सेकन्ड क्लास का टिकट लेकर स्लिपर क्लास या वातानुकूलित डिब्बों के TTE/ कंडक्टर के पास, जगह के लिए मंडराते नजर आएंगे। शार्ट डिस्टेन्स ट्रैवेलर्स फिरसे स्लिपर शयनयानोंमें अपना रौब जमाते, लम्बी दूरी के यात्रिओंको धमकाकर, उन्हें अपनी सिटोसे खस्काकर यात्रा करते नजर आएंगे। कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण से पहलेवाली अराजकता रेलगाड़ियोंमें फिर से बहाल होने जा रही है।
हम मानते है, द्वितीय श्रेणी तिकिट्स होने जरूरी है, लेकिन उसके बाद जो अनियंत्रितता आती है, उस पर निजात पाना बेहद जरूरी है, उसके लिए सेकेंड सिटिंग यह बेहतरीन पर्याय रेलवे के पास उपलब्ध है। सेकन्ड क्लास केवल मेमू, डेमू, इण्टरसिटी और उपनगरीय गाड़ियोंके लिए ठीक है। बाकी सभी मेल/ एक्सप्रेस गाड़ियोंमे सेकन्ड सिटिंग याने 2S क्लास की व्यवस्था कायम की जानी चाहिए। बिना रिकॉर्ड के कोई भी यात्री लम्बी दूरी की गाड़ियोंमे, किसी भी श्रेणी में प्रवेश न कर पाए यही व्यवस्था उचित है।
