मित्रों, यह कोई खबर या आश्वासन किसी नेता या अफसर का नही है, यह हमारी अटूट आशा है, विश्वास है, की एक न एक दिन रतलाम से लेकर काचेगुड़ा तक सीधी बड़ी लाइन की गाड़ी जरूर चलेगी।
हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमांर्ग विभाग के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, NHAI की बिल्डिंग का ऑनलाइन आभासी (वर्चुअल) उद्धाटन कर रहे थे और उस बीच उन्होंने एक भाषण दिया। आम तौर पर ऐसे भाषण वाहवाही और अपनी पीठ थपथपाने वाले होते है, लेकिन यह भाषण बिल्कुल ही अलग अंदाज वाला था। केंद्रीय मंत्री ने बजाय वाहवाही के, इस कार्य मे सम्बन्धित लोगोंको, इस कार्य में हुई देरी के लिए खेद और शर्मिंदगी जाहिर की और इस प्रोजेक्ट के निर्णायक सारे अधिकारियों की तस्वीरें एक बार तो भी इस बिल्डिंग में लगाई जाए ऐसी व्यंगात्मक बात की। पहले आप इस वीडियो की झलक देख लीजिए, फिर आगे की बात करते है।
मित्रों, एक ही शासन है। यह है सड़क परिवहन मंत्री जो अपने काम मे हुई देरी के लिए शर्मिंदगी प्रकट कर रहे है और उसी शासन, प्रशासन के रेल विभाग जो बरसों पहले घोषित, महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर एक शब्द नही बोल रहे?
रतलाम – अकोला यह गेज कन्वर्शन भी 2008 में घोषित किया गया 472 किलोमीटर का प्रोजेक्ट है। जिसमे से रतलाम – महू, सनावद – मथेला और आकोट – अकोला केवल इतना गेज कन्वर्शन पूरा हुवा है और महू से सनावद और खण्डवा से आकोट खण्ड का काम बाकी है। सनावद खण्डवा भी पूरी तरह से जुड़ा नही है। 12 वर्ष हो गए है और देश का एक महत्वपूर्ण रेल लिंक बन्द पड़ा है। उत्तर भारत के राजस्थान को दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश को मध्यप्रदेश होते हुए जोड़नेवाला यह बेहद महत्वपूर्ण मार्ग टुकड़ों टुकड़ों में चल रहा है। कई खण्ड ऐसे है की जिनको बरसों हो गए, रेल विदाई होने के बाद रेल देखने के लिए। जिन रेलवे स्टेशनोंके भरोसे आबाद होने का सपना लिए लोग बैठे थे, उनकी आँखे पथरा गयी इंतजार करते करते। बड़े बड़े दिग्गज राजनेता तक को भरोसा नही रहा कि यह प्रोजेक्ट उनकी जीवितामे पूरा भी होगा या नही।
देरसवेर, जब भी यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, और गड़करीजी का पैटर्न यदि माना जाए तो हमें आश्चर्य नही होगा की इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले अफसरों और मंत्रियोंकी तसवीरोंसे एखाद संग्रहालय भर जाए या प्रोजेक्ट हिस्ट्री का एक मोटासा ग्रंथ ही बन जाए। प्रोजेक्ट पूरा होने का विश्वास तो हम सबमे है, बस कब और कैसे ऐसे अनसुलझे सवाल मन मे है।