भारतीय रेल में अब हम गाड़ियोंके स्पीड की बातें करने लग गए है। 130/160 और आगे 200 kmph
मित्रों यह तभी सम्भव है जब हमारी सुरक्षा प्रणाली अद्ययावत और भरोसेमंद हो। गाड़ी सुरक्षित तभी मानी जाती है जब उसकी कन्ट्रोलिंग अद्ययावत हो।यह सब हमारी स्वदेशी तकनीक TCAS से सम्भव हो रहा है।
दक्षिण मध्य रेलवे के सिकन्दराबाद विभाग ने अपने सिकन्दराबाद मुदखेड़ मार्ग के उमरी सिवुणगाव स्टेशनोंके बीच TCAS प्रणाली कार्यान्वित की है। आपको जानने की उत्सुकता होगी की यह TCAS प्रणाली क्या है और इसका उपयोग कैसे होता है, चलिए बताते है।
TCAS का विस्तार है, ट्रेन कोलिजन एंड अवॉयडन्स सिस्टम, गाड़ी की टक्कर रोधी प्रणाली। यह सिस्टम एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन डिवाइस है। यह यंत्र रेल गाड़ी को लाल सिग्नल पार करने या इसी तरह की कोई मानवीय चूक होने से बचाता है। यह सिस्टम भारतीय रेल्वेपर बैठाने की शुरुआत सर्वप्रथम, दक्षिण मध्य रेलवे से ही हो रही है। हैदराबाद की “मेधा सर्वो डिवाइसेज” कम्पनी ने यह प्रणाली भारतीय रेल के लिए तैयार की है, और आगे इसे पूरे भारत के रेल नेटवर्क पर बिठाया जाना है।



यह प्रणाली रियल टाइम माध्यम से लोको पायलटों को सहायता प्रदान करती है जो सीधे लोंको की कैब में सिग्नलिंग, परिचालन एथॉरिटी, स्पीड रिस्ट्रिक्शन्स, दूरी, सिग्नल पहलुओं आदि के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
दक्षिण मध्य रेलवे ने भारतीय रेलवे के RDSO ( रिसर्च डेवलपमेंट एंड स्टैंडर्डस ऑर्गनाइजेशन) के सहयोग से लिंगमपल्ली – विकाराबाद – वाडी और विकाराबाद – बीदर मार्गों के बीच इसकी ट्रायल्स पहले ही पूरी की थी।
मनमाड – नांदेड़ – सिकंदराबाद – ढोंण – गुंटकल और बीदर – परली – परभणी खंडों के बीच 1,200 किलोमीटर के मार्ग के लिए टीसीएएस की तैनाती को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
टीसीएएस यंत्र के घटक
स्टेशन टीसीएएस यूनिट
लोकोमोटिव टीसीएएस यूनिट
रेल मार्ग के स्लीपरों में आरएफआईडी टैग
टीसीएएस की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:
SPAD (सिग्नल पास्ड एट डेंजर ) का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना
लोको पायलट को मूवमेंट एथॉरिटी की जानकारी दिखाना
निरंतर ट्रेन नियंत्रण (कन्टीन्यूअस ट्रेन कन्ट्रोल)
इन-कैब सिग्नलिंग, ट्रैक के सिग्नल यंत्र में दर्शाना
लूप-लाइन की गति नियंत्रण दर्शाना
स्पीड रिस्ट्रिक्शन्स को दर्शाना और उस अनुसार गाड़ी की गति को नियंत्रित करना
हेड-ऑन गाड़ी के सामनेसे और रियर-एंड याने पीछे से टक्कर की रोकथाम करना
टकराव की रोकथाम, गाड़ी के बाजू से भी कोई टकराव की स्थिति हो तो बचाव करना
भारतीय रेलवे ने पहले, मुंबई – दिल्ली और दिल्ली – हावड़ा के प्रस्तावित 160 किलोमीटर प्रति घंटे के रूट पर यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल 2 (ETCS L2) को शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन यह विदेशी तकनीक काफी महंगी होने से, इसे अपने देश मे ही डेवलप करने का फैसला लिया गया। पांच साल के अनुसंधान के बाद जब टीसीएएस सिस्टम बनकर तैयार हुवा तो इसे समस्त भारतीय रेलवे पर तैनाती के लिए चुना गया था।
यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल ETCS L1 को वर्तमान में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर DFC पर तैनात किया जा रहा है। ट्रेन सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली, ETCS L1 की एक संरचना, दिल्ली और आगरा के बीच और चेन्नई में उपनगरीय खंड में भी तैनात किया गया है।
कुल मिलाकर यह है, की भारतीय रेल में स्वदेशी अद्ययावत सुरक्षा प्रणाली का नया दौर शुरू हो गया है। यह यंत्रणा भारतीय रेलवे को 130, 160 और 200 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड तक बढाने में सहायक होगी।
फोटो और जानकारी : railpost.in के सहयोग से
Nice Developing our Country
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Nice Developing our Indian Rail
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धन्यवाद दादा
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