हाल ही मे सोशल मीडिया में रेलवे का एक पत्र वायरल हुवा। पत्र का मसौदा यह था, की द्वितीय श्रेणी के टिकटोंकी बिक्री टिकट वेंडिंग मशीन्स और UTS पर विविध क्षेत्रीय रेलवे अपनी जरूरत के अनुसार शुरू कर सकती है।
अब बात यह है, तमाम रेल गाड़ियाँ, एक दो रेलवे के जोन छोड़ दिए जाय तो पूर्णतयः आरक्षित आसन व्यवस्थाओंके साथ चलाई जा रही है। यहाँतक की सेकेण्ड क्लास आसन की भी 2S वर्ग के तरह आरक्षण किया जाता है। डेमू, मेमू और सवारी गाड़ियाँ नॉन सबर्बन खण्डोंपर लगभग बन्द ही है।
इसके पीछे क्या कारण हो सकते है, चलिए आज चर्चा करते है। सबसे महत्व की बात यह है, जब से संक्रमण और लॉक डाउन शुरू हुवा और गाड़ियाँ बन्द की गई थी, उन्हें वापस शुरू करने के लिए राज्योंकी और स्थानिक प्रशासन की अनुमति अनिवार्य कर दी गयी थी। आज भी यह व्यवस्था कायम है। यदि स्थानिक प्रशासन चाहे और सोचें की संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है तो रेलवे को पत्र देकर सवारी गाड़ियाँ और द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकिटिंग शुरू करने की अनुमति रेलवे को दे सकती है।
इस प्रकार की अनुमति देने में इतना सोच विचार इसलिए किया जा रहा है, की द्वितीय श्रेणी टिकिटिंग में किसी भी यात्री की कोई पहचान रेलवे के पास नही रहती। केवल टिकट यही यात्री की रेलवे में या रेल परिसर में प्रवेश किए जाने की वैधता रहेगी। वह कौन है, कहाँसे आया है, कहाँ जाना चाहता है, उसका सम्पर्क का पता, फोन कुछ भी रेल प्रशासन के पास नही होता और यही सबसे बड़ी तकलीफ इस द्वितीय श्रेणी टिकिटिंग में रहेगी। संक्रमण की स्थिति यदि उत्प्रन्न होती है, तो किसी भी तरह की कोई “कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग” नही हो पाएगी।
इसके बाद दूसरा मुद्दा खड़ा होता है यात्रीयोंकी बहुतायत संख्या का। रेलवे और स्थानिक प्रशासन को डर है, की संक्रमण के पहले वाली भीड़ वाली स्थितियां रेल गाड़ी के द्वितीय श्रेणी के डिब्बों में फिर से दिखाई देने लगेगी। संक्रमण के पहले सेकेण्ड क्लास में 90 यात्री क्षमता के डिब्बों में 150-200 यात्री यात्रा करते पाए जाना आम दृश्य था। इतनाही नही स्लिपर क्लास में भी प्रतिक्षासूची के यात्री बेहिचक सवार हो जाते थे। सीजन पास धारक और रेल कर्मचारियों का तो पूछना ही क्या? वही बात डेमू, मेमू, सवारी गाड़ियाँ और सबर्बन लोकल्स की है। अभी तक भी महाराष्ट्र राज्य में मुम्बई की सबर्बन गाड़ियोंमे आम यात्री को यात्रा करने की अनुमति नही दी गयी है। अलग अलग वर्ग फिर वह राज्य, केंद्र शासन के कर्मचारी हो या मेडिकल विभाग से सम्बंधित हो या कानून विभाग से जुड़े लोग ही यात्रा कर सकते है। कुछ समय का स्लॉट महिला यात्रिओंके लिए भी खोला गया है, लेकिन पहले जिस तरह टिकट ले ले कर सरे आम यात्री लोकल्स में घूमता था उसपर अभी भी बंधन है।
कुल मिलाकर यह है, की “अब भी दिल्ली दूर है” यानी अब भी आम यात्री के लिए द्वितीय श्रेणी का टिकट ले कर सर्र से रेलवे स्टेशन जा कर यात्रा के लिए निकल जाना प्रतिबंधित है। अनुमति का सर्क्युलर भले ही निकल जाए, मगर जब तक राज्य शासन और स्थानिक प्रशासन हरी झंडी नही देता लोकल, सवारी गाड़ियाँ रेलवे स्टेशनोंसे नही खुलने वाली।