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रेल प्रशासन सवारी गाड़ियाँ अवश्य ही चलाए, यह हो पैटर्न।

हाल ही में रेलवे का एक पत्र जिसमे ATVM/UTS टिकट वेंडिंग मशीनोंको शुरू करने की मंजूरी दिए जाने के बारे में बोर्ड का उत्तर था, इस पत्र का विवेचन कई अखबारों और यू ट्यूबर, ब्लॉगर्स ने बेहद गलत तरीकेसे किया। उन्होंने सेकेण्ड क्लास के टिकट मिलने शुरू हो जाएंगे से लेकर सवारी गाड़ियाँ चल पड़ेंगी तक पतंग उड़ा दिए। अपनी अपनी समझ से शुरू होने की तारीखें भी ज़ाहिर कर दी। आखिरकार रेल प्रशासन को प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए एक परीपत्रक निकाल यह कहना पड़ा, ऐसा कुछ नही है, आरक्षित गाड़ियाँ यथावत आरक्षण व्यवस्थाओंके साथ ही चलेंगी और सेकेण्ड क्लास या सवारी गाड़ियाँ जब भी शुरू की जाएगी उनकी सूचना अलग से दी जाएगी। इसके बाद जिन जिन लोगोंने ऐसी अफवाह उड़ाई थी, इतने सन्नाटे में है की बाद का रेलवे का स्पष्टीकरण तक उन्होंने जाहिर नही किया। खैर!

हम यह कहना चाहते है, पूर्व, उत्तर पूर्व, दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम रेल्वेज ने अपने क्षेत्रोंमें सवारी गाड़ियाँ शुरू कर दी है। इन्ही क्षेत्रीय रेलवे की तरह बाकी क्षेत्रोंमें भी सवारी, डेमू, मेमू गाड़ियाँ शुरू कर दी जानी चाहिए। गौरतलब यह है, की इन गाड़ियोंमे आरक्षण नही होता, केवल सेकन्ड क्लास की टिकट चलती है। इन टिकटोंका किराया मेल/एक्सप्रेस के मुकाबले काफी कम रहता है और मार्ग लगभग सारे स्टापेजेस पर यह गाड़ियाँ रुकती है। अतः आम जनता को इन्ही गाड़ियोंके चलने की दरकार है।

रेल और राज्य प्रशासन को डर है, यदि सवारी, डेमू, मेमू गाड़ियाँ चलाई जाने लगी तो संक्रमण को नियंत्रित करने में काफी दिक्कतें आयेंगी। चूँकि सेकेण्ड क्लास टिकटधारक का रेलवे के पास कोई रिकॉर्ड नही होता तब कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग हो ही नही पाएगी। दूसरा जितनी डिब्बा यात्री क्षमता है, उससे कहीं ज्यादा यात्री टिकट बेचे जाते है और यात्री, इन गाड़ियोंमे यात्रा भी करते है। इस अनियंत्रित यात्री ट्रैफिक का ब्यौरा किस तरह रखा जाए या संख्या पर काबू कैसे किया जाए यह सबसे बड़ी समस्या है। इस पर एक उपाय है।

जो किसी एक ही मार्ग पर नियमित यात्रा करने वाले यात्री है, जैसे की मासिक पासधारक यात्री है, उनके पास के डाटा में आधार कार्ड जोड़ दे तो कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की समस्या सुलझ जाएगी। उसी तरह सेकेण्ड क्लास टिकट खरीदते वक्त भी यह फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। रेल प्रशासन को अपने टिकिटिंग सिस्टम में मामूली सा बदलाव करना होगा और यात्रा करते वक्त यात्रिओंको अपना आधार कार्ड रखना आवश्यक करना होगा। बदलते परिवेश में देश की जनता अपनी सुरक्षितता के लिए अपनाए गए नियमोंका पालन अवश्य ही करेंगी।

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2 thoughts on “रेल प्रशासन सवारी गाड़ियाँ अवश्य ही चलाए, यह हो पैटर्न।”

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