यह एकदम सहज बात है, की आमजन पीड़ा में है, तकलीफ में है तो सम्बन्धित वरिष्ठ अधिकारियोंसे आशा, अपेक्षाएं बनी रहती है, वे आएंगे तो कुछ तो राहत लेकर आएंगे, समस्याओंका निराकरण करेंगे।

कल भुसावल रेलवे मण्डल में मध्य रेल के महाव्यवस्थापक का दौरा सम्पन्न हुवा। यह मनमाड़ नासिक के बीच निरीक्षण दौरा था। वहांके कुछ रेलमार्ग के खंडोंकी स्पीड टेस्ट की गई। उसके पश्चात भुसावल मण्डल में रेल कर्मियोंको व्यवस्थापन की ओरसे उनके उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए पुरस्कार वितरण किया गया। महाव्यवस्थापक के दौरे निमित्त पत्रकार परिषद का भी आयोजन था, वह भी सम्पन्न हुवा। आपको यह जानकर आश्चर्य होना स्वाभाविक है, की लेख में, पत्रकार परिषद का उल्लेख एक वाक्य में ही पूरा हो गया?

जब कोई फलनिष्पत्ति नही होती है, तब कथन गढ़ने का कोई अर्थ नही है। पत्रकारोंके मन मे बहोत सारे सवाल थे। भुसावल रेलवे विभाग का अधिकार क्षेत्र, नासिक जैसे महानगर के इगतपुरी से लेकर विदर्भ में अमरावती तक और दिल्ली की ओर मुख्य मार्ग में खण्डवा तक व्यापक रूपसे फैला है। इसमें नासिक, जलगाँव, अकोला और अमरावती ऐसे 4 महानगर, नासिक, धुलिया, जलगाँव, बुलढाणा, अकोला, अमरावती, यवतमाल, बुरहानपुर, खण्डवा ऐसे जिले आते है। आज स्थिति यह है, संक्रमण काल मे जो यात्री गाड़ियाँ बन्द की गई उनमेसे केवल 45% गाड़ियाँ चल रही है। उनमें भी सारी यात्री गाड़ियाँ लम्बी दूरी की और केवल बड़े बड़े स्टेशनोंपर रुकनेवाला गाड़ियाँ है। कम दूरी वाली, छोटे व्यापारी, किसान, नौकरीपेशा यात्रिओंकी रोजमर्रा वाली सवारी, इण्टरसिटी और मेमू गाड़ियाँ शुरू होने का कोई आसार दिखाई नही देता है। भुसावल से दोपहर की गीतांजलि एक्सप्रेस जाने के बाद नागपुर की ओर जाने के लिए सीधी अगले दिन विदर्भ एक्सप्रेस ही है। इस मार्ग की लोकमान्य तिलक टर्मिनस हावडा एक्सप्रेस, मुम्बई नागपुर सेवाग्राम एक्सप्रेस, पुणे हावडा आज़ाद हिन्द एक्सप्रेस अब तक शुरू नही की गई है, तब भुसावल नागपुर सवारी, भुसावल नरखेड़ मेमू, भुसावल वर्धा सवारी की तो कोई सुदबुध ही नही। वही हालत मुम्बई, पुणे के लिए गाड़ियोंकी है भुसावल पुणे हुतात्मा और इस मार्ग की मुम्बई सवारी, देवलाली शटल बन्द होने से है।
डिवीजन के कई ऐसे छोटे बड़े शहर है, जो रेलवे के मायने महत्व नही रखते लेकिन रोजगार के लिए कई लोग वहाँपर रेलवे से जानाआना करते है। बुरहानपुर, नेपानगर, खण्डवा, वरणगाव, मलकापुर, नांदुरा, शेगाव, अकोला, मूर्तिजापुर, बडनेरा, जलगाँव, पाचोरा, चालीसगांव, कजगांव, नांदगांव, मनमाड़, लासलगांव, निफाड़, नासिक कई गाड़ियाँ जो चल रही है, इन स्टेशनोंपर नही रुकती। एक तरफ मुम्बई दिल्ली राजधानी रोजाना चलने का बड़ा प्रचार प्रसार किया जा रहा है, वही छोटे स्टेशनोंके यात्री संगठन अपनी अत्यावश्यक रेल सम्पर्क के लिए आक्रोश कर रहे है, आंदोलन करने के लिए विवश है। महाव्यवस्थापक दौरेमे बहुतांश विषय छोटे शहरोंकी सम्पर्कता के मांग के ही थे, उत्तर में आश्वासित किया गया है की राज्य शासन से समन्वय साधते हुए गाड़ियाँ शुरू की जाएंगी।
खण्डवावासियोंकी अलग मांग है, वहाँपर खण्डवा से इन्दौर और अकोला के बीच छोटी लाइन की गाड़ी चलती थी जो वर्षोंसे बड़ी लाइन में तब्दील करने के प्रक्रिया में बन्द पड़ी है। खण्डवा जंक्शन के छोटे लाइन के प्लेटफॉर्म औऱ पूरा यार्ड अब भी अविकसित ही है। खण्डवा स्टेशन का विकास मध्य रेलवे की उदासनिता के चलते ठप्प पड़ा है। खण्डवा से इन्दौर मार्ग पश्चिम रेलवे के अधिकार में तो खण्डवा अकोला मार्ग दक्षिण मध्य रेल के अधीन है, और खण्डवा स्टेशन मध्य रेल के भुसावल मण्डल में आता है। स्टेशन के प्लेटफार्म, यार्ड के विकास की जिम्मेदारी मध्य रेल भुसावल मण्डल के अधिकार क्षेत्र में है। मगर इस विषयपर भी इस पत्रकार परिषद में ठोस ऐसा जबाब नही मिला है।
भुसावल में मेमू शेड, LHB मेंटेनेंस यार्ड, भुसावल बाइपास पर अलगसे दौंड कॉर्ड की तरह स्टेशन का विकास करना इस तरह के प्रमुख विषय हमेशा की तरह अधूरे ही रहे। हर तरह के आश्वासन के साथ इस परिषद का समापन हुवा।
फोटो : उदय जोशी