अब प्रश्न यह आता है, एक तरफ माननीय रेल मंत्री उत्तर रेलवे की 35 अनारक्षित विशेष गाड़ियाँ 22 फरवरी से शुरू किए जाने की खबर ट्वीट करते है, वहीं दूसरे क्षेत्रीय रेलवे ने अपनी 30 विशेष गाड़ियाँ जो 1.3 विशेष किराया दरों पर चलाई जा रही, उनके अप्रैल से आगे भी चलाए जाने की घोषणा कर दी है।
क्या यात्रिओंके प्रति यह असमानताएं नही है। देश के एक भाग में यात्री न्यूनतम किराया श्रेणी में अनारक्षित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे यात्रा कर सकेगा और दूसरी ओर, दूसरे भाग में उसे सामान्य किराए से 1.3 गुना ज्यादा किराया चुकाना होगा? सामान्य यात्री के मन मे यह सवाल है, आखिर किस तरह ऐसे पर्याय भारतीय रेलवे अपने यात्रिओंके सामने रख रही है, वह समझ ही नही पा रहा है?
यह गाड़ियाँ त्यौहार विशेष श्रेणी में शुरू की गई थी, अब कौनसी श्रेणी है, जिनमे यह 1.3 गुना किराया ज्यादा लिया जा रहा है? यात्रिओंको इंतजार है, की अब उसे यात्रा करने के लिए गाड़ियाँ तो वहीं है केवल किराया किस नामपर चुकाना है, विशेष या त्यौहार विशेष?
