संक्रमणकालीन नियमावली के अनुसार, रेलवे के एखाद क्षेत्र छोड़े तो 95 फीसदी गाड़ियाँ पूर्णतयः आरक्षित यात्री सेवाएं चल रही है। यहाँतक की पश्चिम रेलवे की डेमू ट्रेनों में भी वीना आरक्षण यात्रा की टिकट उपलब्ध नही है। ऐसे में डेमू/सवारी गाड़ी का निम्न रोजगार वाला यात्री बेचारा थपेड़े खा रहा है।
अब रेल विभाग के सूत्र कहेंगे, टिकट आरक्षित करने के लिए ढेर व्यवस्थाए है। मोबाईल ऍप है, वेबसाइट है, अधिकृत किए गए दलाल है और रेलवे के खुद के PRS यानी आरक्षण काउंटर्स लगे पड़े है, तो भईया, तकलीफ काहे की बताइए?

“तकलीफ का है, हमहू बतावत है” हमारे रामजी काका कहते है। अब उनकी भाषा मे समझेंगे तो अच्छे अच्छों का भी सिर चकरा जाएगा, अतः हम ही सीधे सीधे बताते है।

रामजी काका का कहना है, उनकी लिखाई पढ़ाई यथातथा ही है। आरक्षण काउंटर पर जाएंगे तो उहाँ पर फॉर्म भरना पड़ता है। एक फॉर्म पर क्या लिखे यह मुसीबत, जै समझ समझ कर लिख भी लिए तो आरक्षण बाबू को समझाए पड़ी की का लिखे है। दूसरा टिकट खिड़की पर जै भीड़ के भईया एक दिन का तो रोजगार ही डुबाइके पड़ी, उससे अच्छा तो ई लागत है, की कौनो रेलसे जावे का जरूरत नाही, टैम्पा में बैठो या बसवां में ठेठ कर चले जावो।
अब दूजा एजंटवा के पास टिकट कटवाने जावत है तो ससुरा, बहुत ज्यादा पैसे मांगत रहा। 90 क़ाय टिकट, 20 रुपैय्या सर्विस का और कहता है पूरा राउंड ऑफ ऐसन कहता रहै, डेढ़ सौ रुपया पूरा ही दे दीजिए। अब इतना ज्यादा कैसे दे दे भाई?
रेल वाले कहते है मोबाइल पर ही टिकट बन जाती है, एक तो हमारा फोन उतना का कहत रहे, उतना इस्मार्ट नही है ना, ओंके लिए, चलिए जान पहचान वाले के मोबाइल से बनवाए खातिर कहते है तो पैसे कैसे चुकाएंगे? उसके लिए पैसे निकालने/देने वाला कार्ड भी होना चाहिए ना? जै फ़ोनवाले के कार्ड से पैसे चुकाएंगे तो उ भी ज्यादा का पैसा जोड़कर बताता है।
कुल मिलाकर ग्रामीण यात्री रेल से यात्रा करने से दूर ही रह गया है। उसे टिकट काउन्टर पर भीड़, सीमित समय की परेशानी है। आरक्षित टिकट के मुकाबले, द्वितीय श्रेणी का टिकट बड़ी आसानी से लिया जा सकता है। रेलवे की ई सेवाए उसकी पहुंच और समझ से दूर है, दूसरे पेमेंट्स के ऑप्शन भी उसके पास नही है। वह केवल नगद व्यवहार आसानी से कर सकता है। इसका फायदा एजेंट बनकर बैठे कुछ लोग खूब ले रहे है।
रेलवे प्रशासन को चाहिए की अपनी आरक्षण काउंटर्स व्यवस्था बढाए। दूसरा डेमू ट्रेनोके टिकट यदि आरक्षित ही रखे जाने है तो प्रत्येक स्टेशनपर गाड़ी आने तक टिकट खरीदने के लिए उपलब्ध रहे ऐसी व्यवस्था PRS के जरिए की जानी चाहिए अन्यथा द्वितीय श्रेणी में ही इन गाड़ियोंको चलाए।
चित्र सौजन्यता : आर के लक्षमण कॉमन मैन, इन्टरनेट सामग्री