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चौंक गए? यह वही यात्रिओंसे खचाखच भर भर चलनेवाली सवारी गाड़ियाँ है।

दाहोद नागदा विशेष मेमू

संक्रमण काल के अनलॉक व्यवस्था में भारतीय रेल यात्रिओंकी मांग के चलते कई गाड़ियाँ “विशेष” का टैग लगाकर चला रहा है। कुछ गिनेचुने क्षेत्र छोड़ दिए तो अन्य सभी रेल क्षेत्रोंमें सारी गाड़ियाँ आरक्षण आसन व्यवस्थाओंके के साथ चलाई जा रही है। इन गाड़ियोंमे केवल कन्फर्म हुए आरक्षित टिकटधारी यात्रिओंको ही यात्रा करने की अनुमति है। यदि आपका टिकट प्रतिक्षासूची में रह जाता है, तो यात्रा करने की अनुमति आपको नही मिलेगी। यहाँतक की आपको टिकट के बिना रेलवे प्लेटफार्म पर भी एन्ट्री नही है।

लम्बी दूरी की गाड़ियाँ आरक्षित हो, यह तो ठीक है क्योंकी लम्बा सफर करनेवाले रेल यात्री आरामदायक और सुनिश्चित आसन व्यवस्था के साथ यात्रा करना चाहते है मगर 100-200 किलोमीटर की छोटी सी और “इन्ट्रा डे” रेल यात्रा हो, पास के शहर मे रोजगार हेतु रोज का जानाआना हो तो कैसा आरक्षण? द्वितीय श्रेणी का टिकट हाथोंहाथ लिए और चल पड़े। प्रतिदिन के यात्री तो मासिक पास ही बनवा लेते है। पश्चिम रेलवे ने अपने क्षेत्र में डेमू/मेमू/सवारी गाड़ियाँ चलवा तो दी है, मगर सारी आरक्षित गाड़ियाँ है। अग्रिम आरक्षण करें बगैर आप इनमें यात्रा नही कर सकते। ऐसी स्थितियोंमे आम यात्रिओंको क्या दिक्कत होती है, क्यों यह गाड़ियाँ खाली चल रही है यह समझते है।

सवारी गाड़ियोंमे में सामान्यत: ऐसेे नजारे देखने को नहीं मिलते हैं। उपरोक्त तस्वीर शनिवार को प्लेटफाॅर्म नं. 5 पर खड़ी दाहोद नागदा मेंमू एक्सप्रेस की है। ट्रेन के कोच इस तरह खाली थे। संक्रमण के बढ़ते मामलाें के कारण लोग सफर करने से बच रहे हैं, वहीं, इस कदर खाली गाड़ियोंका, आरक्षित रहना भी एक प्रमुख कारण है। आम तौर पर सवारी गाड़ियाँ से मजदूर वर्ग, छोटे गांव के यात्री ही सफर करते है। इन लोगोंका कोई पूर्व नियोजन नही रहता की वह अग्रिम आरक्षण कर रेल यात्रा करें। जब उन्हें काम या रोजगार पर निकलना पड़ता है, तभी वह अपनी यात्रा करने का साधन भी खोजते है। ऐसी हालातों में रेलवे के नियमोंनुसार आरक्षण चार्ट छप चुका होता है, टिकट बुकिंग बन्द हो जाती है, और गाड़ी खाली ही रह जाती है।

रेल प्रशासन की अग्रिम आरक्षण बुकिंग यात्रा करने से पहले या तो PRS खिड़की या ऑनलाइन ऍप/वेबसाइट से ली जा सकती है। ऍप और वेबसाइट से निम्न वर्ग के यात्रिओंका कोई वास्ता नही होता और जै उनके स्मार्ट फोन में उन्होंने डलवा भी लिया तो ऑनलाइन पेमेन्टकी दिक्कतें होती है। PRS खिड़की पर जाने का वक्त उनके पास नही होता। तब क्या किया जा सकता है?

रेल प्रशासन एक तो इन गाड़ियोंको अनारक्षित व्यवस्थाओंके के साथ चलाना चाहिए और यदि इसी तरीके मतलब आरक्षित ही चलाना चाहती है तो कमसे कम इनके प्रत्येक स्टापेजेस पर गाड़ी छूटने के समय से पहले तक टिकट मिलते रहने की व्यवस्था चलती रहे। यह नही की शुरवाती स्टेशनपर पूरे सफर का ही चार्ट बन गया हो और एक बार चार्ट बन जाए तो बीच वाले किसी भी स्टेशन से टिकट लेना हो तो जबाब मिले,” चार्ट प्रिपेयर्ड, चार्ट निकल चुका है, ट्रेन डिपॉर्टेड”

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