आपने ट्रैफिक जैम यह सड़क मार्ग के लिए बहुत बार सुना होगा, अनुभव भी किया होगा, मगर रेल मार्ग भी गाड़ियोंसे जैम होते है?
जी हाँ। दरअसल बीते वर्ष में मुम्बई, पुणे और गुजरात से उत्तरी भारत के लिए लगातार श्रमिक गाड़ियाँ चली थी। तब वह स्थिति अकस्मात थी, पूर्वनियोजन नही हो पाया था और उसके चलते कई गाड़ियाँ रास्ते मे जैम के चलते 4-4 घंटे खड़ी रखी जा रही थी तो कई गाड़ियाँ जहाँ मार्ग खाली मिलते जा रहा था उस दिशामे निकाली जा रही थी। लेकिन इस बार भले ही 24, 48 घंटे की पूर्वसूचना पर गाड़ियाँ घोषित हो रही है और निकल रही है पर नियोजनबद्ध तरीके से निरीक्षण कर के बराबर चलाई जा रही है।
इन दिनों, बहुत रेल फैन्स को, जानकारोंको एक बात बड़ी अखर रही थी। मध्य रेलवे के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, पनवेल से गोरखपुर, छपरा, पटना के लिए सीधे भुसावल, इटारसी, जबलपुर का मार्ग छोड़कर वसई रोड, सूरत, रतलाम होकर क्यों चलाई जा रही है? इसका कारण है, भुसावल इटारसी मार्ग पर रोजाना करीबन 100-120 विशेष गाड़ियाँ नियमित रूपसे चल रही है, वहीं सतना – प्रयागराज मार्ग पर भी गाड़ियोंका भारी दबाव चल रहा है। यह देखते हुए पश्चिम रेलवे के प्रीमियम मार्ग सूरत, वडोदरा, रतलाम, उज्जैन, सन्त हिरदाराम नगर, बिना, आग्रा कानपुर, होकर गाड़ियाँ निकाली जा रही है। यही नही कटनी, सतना से मानिकपुर होकर झांसी से कानपुर लखनऊ गोरखपुर को गाड़ियाँ लेकर जा रहे है और यह सब नियोजनबद्ध तरीकेसे कर रेल ट्रैफिक को सुचारू कर चलाया जा रहा है। कोई गाड़ी अनावश्यक रूपसे कहीं पिट नही रही और ना ही कोई मार्ग अवरुद्ध हो रहा है।
यह सारी रेल ट्रैफिक, रेलवे मुख्यालय के परिचालन विभाग से लेकर क्षेत्रीय रेलवे, विभागीय मण्डल के कन्ट्रोल ऑफिसर्स अपने कौशल्यपूर्ण तकनीक से मैनेज कर रहे है। तो मित्रों, यदि कोई गाड़ी आपको किसी नए या अलग मार्ग से चलती दिखाई देती है तो उसमे अचरज़ की कोई बात नही है, वह ट्रैफिक नियोजन की वजह से चल रही है और वैसे भी फिलहाल सारी गाड़ियाँ स्पेशल श्रेणी में चल रही है अतः जितनी भी अतिरिक्त विशेष गाड़ियाँ है, वह जो उपलब्ध मार्ग है, उनपर ही उन गाड़ियोंका शेड्यूल बनाकर चलाई जा रही है।