क्या एक रेल कर्मचारी होना गुना है इसका जीता जागता उदाहरण मुरादाबाद डिवीजन में एच. के. विद्यार्थी, सीनियर सेक्शन इंजीनियर सिग्नल – रोसा स्टेशन पर कार्यरत थे। वह कोविड-19 से संक्रमित हैं और फिलहाल अस्पताल में भर्ती है। इनके इलाज के लिए हर रोज ₹25,000 का खर्च लग रहा है। उनकी जान बचाने के लिए संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों के द्वारा एक मुहिम चलाकर अपने सीनियर सेक्शन इंजीनियर की जान बचाने के लिए सहायता राशि एकत्रित की जा रही है।
क्या रेल कर्मचारी को रेलवे विभाग द्वारा कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिलेगी? क्या उसका इलाज नहीं कराने में रेल प्रशासन असमर्थ है? क्या इस प्रकार मुरादाबाद डिवीजन में कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सुविधा नहीं है? क्या कर्मचारी कल्याण हित में मंडल के पास कोई राशि नहीं है? ऐसे अनगिनत सवाल है। इस तरह से रेल कर्मचारी किस-किस की जान बचाएंगे? रोजाना पूरे भारतीय रेल में इस तरह सैकड़ों केस आ रहे हैं। क्या इस तरह ही मुहिम चलाकर अपने कर्मचारियों को बचाना पड़ेगा?
आज संकेत एवं दूरसंचार डिपार्टमेंट अपनी पूर्ण इमानदारी और लगन से 135 करोड़ जनता के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। जिस गति से ऑक्सीजन ट्रेन, मालवाहक ट्रेन को जल्द से जल्द पहुंचाने का कार्य करता है वह सिर्फ और सिर्फ S&T डिपार्टमेंट है और उसी के कर्मचारियों का इतना शोषण हो रहा है की उनको अपने एक सहकर्मी सीनियर सेक्शन इंजिनियर की जान बचाने के लिए चंदा एकत्रित करना पड़ रहा है। यह कितने दुर्भाग्य की बात है।
इस विषय में मंडल रेल प्रबंधक, मुरादाबाद को संज्ञान लेना चाहिए एवं रेल मंत्री और सीआरवी महोदय को आगे आकर उस कर्मचारी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। सभी कर्मचारियों के इलाज के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। रेल कर्मचारी अपने रेल मंत्रालय से अपील करना चाहते हैं की संकेत एवं दूरसंचार विभाग का ख्याल रखे और इस महामारी में, उनके साथ जो शोषण हो रहा है उस पर ध्यान दें। समस्त संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने के लिए एक अलग से कार्यक्रम जारी कीया जाए क्योंकि यह फ्रंट लाइन योद्धा हैं। आशा है, इस घटना पर रेल मंत्रालय कोई ठोस कदम जरूर उठाएगा और अपने कर्मियोंके युद्ध स्तर पर किये गए कार्य का उचित मूल्यांकन कर उनकी सुरक्षा की तजवीज करेगा।
Railhunt.com, shri B L Meena द्वारा प्रेषित