Uncategorised

महाराष्ट्र में, रेलवे की लम्बीत परियोजनाएं

हाल ही में सोशल मीडिया में रेलमन्त्री पीयूष गोयल का लम्बा पत्र वायरल हुवा है। उक्त पत्र रेलमन्त्री ने विविध मुख्यमंत्रीयोंको उनके राज्योंमें प्रलम्बित रेल परियोजना के सम्बन्ध में लिखा है। यह ऐसी परियोजनाएं है, जिसमे आवश्यक वह जमीन अब तक रेल प्रशासन को नही सौंपी गयी है जबकी रेलवे द्वारा भूमि अधिग्रहण का पैसा राज्य शासनोंको दे दिया गया है और राज्योंका हिस्सा चुकाया जाना बाकी होने से परियोजना लम्बीत हो रही है।

साथ ही कुछ परियोजना ऐसी है जो रेलवे और राज्य शासन ने मिलकर बनाने पर सहमति हुई है, उन परियोजना में भी राज्य शासन की ओरसे दी जानेवाली राशि बकाया है।

रेलमन्त्री ने अलग अलग राज्य के मुख्यमंत्रीयोंसे इस पत्र द्वारा नियोजित धन राशि का आबंटन करने का आग्रह किया है।

हम यहाँपर महाराष्ट्र राज्य के रेल परियोजना के बारे में जानेंगे। हम राज्योंकी देनदारी कितनी बाकी है, इस पर चर्चा नही करेंगे, केवल परियोजना क्या है, यह समझने का प्रयत्न करेंगे।

रेल परियोजना : भूमि अधिग्रहण लम्बीत

1: अहमदनगर – बीड – परली नई रेल लाइन

इस परियोजना के लिए 1775 हेक्टर भूमि का अधिग्रहण करने की आवश्यकता थी जिसमे से 1563 हेक्टर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है और 212 हेक्टर करना बाकी है। 261 किलोमीटर लम्बाई के इस परियोजना को वर्ष 2019 में पूरा होना था और खर्च 2272 करोड़ का बजट आधा आधा केंद्र और राज्य के द्वारा किया जाना निर्धारित हुवा था।

2: वर्धा – नान्देड नई रेल लाइन

इस परियोजना के लिए 1931 हेक्टर भूमि का अधिग्रहण करने की आवश्यकता थी जिसमे से 1724 हेक्टर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है और 207 हेक्टर करना बाकी है। 284 किलोमीटर लम्बाई के इस परियोजना का औसतन खर्च 3170 करोड़ और केंद्र और राज्य के द्वारा मिलकर किया जाना है। ताजा स्थिति यह है, फिलहाल भूमि अधिग्रहण जारी है।

3: कल्याण – कसारा तीसरी लाइन

MUPT 3A नामक 33690 करोड़ के कुल परियोजना में, कल्याण – कसारा तीसरी लाइन की यह योजना 600 करोड़ और 67 किलोमीटर की है। 35 हेक्टर भूमि में से केवल 6 हेक्टर भूमि का अधिग्रहण हो पाया है।

4: जलगाँव – भुसावल चौथी लाइन

करीबन 6 हेक्टर का भूमि, सारी भूमि निजी किसानोंकी, और पूरा के पूरा अधिग्रहण बाकी कुछ ऐसे हाल है इस परियोजना के। यूँ तो तीसरी लाइन की परियोजना घोषित हुई थी और उसपर काम शुरू होने से पहले ही चौथी लाइन भी घोषित हो गयी। तीसरी लाइन बनकर तैयार है मगर सुरक्षा स्वीकृति अभी हुई नही और चौथी लाइन का काम जहाँ रेलवे की जमीन है, वहाँपर कुछ कुछ हुवा है। राष्ट्रीय राजमार्ग के दो ROB पुलिया भी इस मार्ग की रुकावट है। कहा यह जा रहा है कि तीसरा मार्ग जून 21 तक और चौथा मार्ग दिसम्बर 23 तक परिचालित हो जाएगा।

5: इटारसी – नागपुर तीसरी लाइन

ग्रैंड ट्रंक लाइन का हिस्सा, 280 किलोमीटर की यह योजना वर्ष 2015 में रुपए 2326 करोड़ निर्धारित बजट के साथ घोषित हुई थी और पूर्णावधि का समय था 5 वर्ष। मगर अभी भी हिस्से हिस्से में बटी है। 41 हेक्टर में से 17 हेक्टर भूमि अधिग्रहण अभी बाकी है।

6: वर्धा – नागपुर चौथी लाइन

कुल 26 हेक्टर में से 5 हेक्टर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। 79 किलोमीटर के इस खण्ड की तीसरी लाइन वर्ष 2012 में और चौथी लाइन वर्ष 2016 में घोषित की गई। बजट था कुल 1780 करोड़ और पूर्णावधि काल था मार्च 2020 मगर अभी भी कुछ हिस्से ही शुरू हो पाए है।

7: वर्धा – बल्हारशहा तीसरी लाइन

फिर वही ग्रैंड ट्रंक, 132 किलोमीटर का मार्ग, 1445 करोड़ की परियोजना। वर्ष 2015 में घोषित और पूर्णत्व कालावधि 5 वर्ष मगर अभी भी काम के समापन के लिए लम्बा इंतज़ार। 136 हेक्टेयर में से अभी भी 83 हेक्टेयर का अधिग्रहण बाकी।

8: पुणे – मिरज – लौंडा दोहरीकरण

467 किलोमीटर का यह मार्ग करीबन 3600 करोड़ का बजट रेल्वे राज्यमंत्री स्व सुरेश आँगड़ी, वर्ष 2022 के आखिर तक इसे विद्युतीकरण के साथ परिचालित करने के लिए आग्रही थे। खैर अलग अलग खण्डोंमे दोहरीकरण, विद्युतीकरण किया जा रहा है। बाधा वही है भूमि अधिग्रहण की, 81 में से केवल 5 हेक्टेयर जमीन रेल विभाग को मिल पाई है।

9: मनमाड़ जलगाँव तीसरी लाइन

160 किलोमीटर की इस परियोजना के लिए 19 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करनी होगी, जो की पूरी ही होना बाकी है। जहाँपर रेलवे के पास जमीन है, कार्य शुरू हो चुका है। तकरीबन 1200 करोड़ के इस परियोजना में किसानोंकी जमीन का अधिग्रहण करना प्रमुख बाधा है।

10: रतलाम – महू – खण्डवा – अकोला गेज परिवर्तन

473 किलोमीटर लम्बे इस मार्ग में खण्डवा – अकोला का कुछ ही हिस्सा महाराष्ट्र में पड़ता है। उसमे में भी मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प बाधित होने से न सिर्फ वन विभाग बल्कि खुद मुख्यमंत्री भी इस परियोजना के लिए तैयार नही है। वैकल्पिक मार्ग सुझाया जा रहा है और यदि ऐसा हुवा तो न सिर्फ योजना की लागत बढ़ेगी अपितु भूमि अधिग्रहण, समयसीमा आदि कई सारी दिक्कतें बढ़ सकती है। फिलहाल पुराने डिजाइन से ही 35 हेक्टेयर यानी परियोजना के आधी भूमि का अधिग्रहण बाकी है। इस परियोजना में कई सारी बाधाएं पहले से ही मौजूद है। महू से खण्डवा के बीच और खण्डवा से आकोट के बीच घाट सेक्शन की चढ़ाई की समस्या है और कई बार मैप में बदलाव भी किए जा चुके है। कुल मिलाकर एक महत्वाकांक्षी, बहुप्रतीक्षित परियोजना बहुत काल से प्रलम्बित चल रही है।

11: वर्धा गडचिरोली नई रेल लाइन

206 हेक्टेयर में से बमुश्किल 13 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। महाराष्ट्र का जैसा गडचिरोली राज्य दुर्लक्षित है उसी तरह यह परियोजना भी उतनी ही मीडिया से दूर है।

12: बारामती लोणन्द नई रेल लाइन

वर्ष 2002 को प्रस्तावित यह 63 किलोमीटर और 750 करोड़ की इस परियोजना का काम 2017 में ही पुरा होना था। मगर 366 हेक्टेयर में से 140 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण होना अभी भी बाकी है। इस महत्वकांक्षी योजना में मनमाड़ से कोल्हापुर के बीच की गाड़ियाँ पुणे स्टेशन को बाइपास करते हुए जा सकती है। इससे पुणे स्टेशन गाड़ियोंका जमावड़ा काफी कम हो सकता है।

अब आप उपरोक्त रेल परियोजना के प्रलम्बित रहने के कारण समझ सकते है, प्रशासन की उदासीनता या परियोजना के लिए धन के आबंटन की कमी आखिर किन वजहॉसे इतने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स अधर में पड़े हुए है।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s