भारतीय रेल वर्ष 2023/24 तक पूर्णतयाः विद्युतीकरण की जा रही है, ऐसे में कई जंक्शन स्टेशन पर इंजिन, लोको के बदलाव के इंतज़ार में खड़ी गाड़ियाँ अब शायद ही दिखाई देती है।
मध्य रेलवे में लोंको बदलने, स्टाफ़ बदलने के लिए आधा एक घण्टा खड़ी रहने वाली गाड़ियाँ भुसावल, नागपुर, दौंड, पुणे, मनमाड़, वर्धा, इगतपुरी ऐसे स्टेशनोंपर दिखाई देती थी। वैसे पुराने जमाने मे मध्य रेलवे मुम्बई से लेकर तुगलकाबाद (दिल्ली) तक, भुसावल से मानिकपुर, भुसावल से नागपुर और कल्याण से वाड़ी तक पसरा हुवा था। ढेरों जंक्शन थे, जगह जगह पर स्टाफ़ बदलना, गाड़ी में पानी भरना और कुछ स्टेशनोंपर इलेक्ट्रिक लोंको, डीजल लोको का बदलाव होना लाज़मी था। मगर इन सब स्टेशनोंमें इगतपुरी की अलग विशेषता थी।

मुम्बई का रेल क्षेत्र भारत भर के 25 किलो वाट AC लाइन से जुदा था, यहाँपर 1500 वाट DC इलेक्ट्रिक लाइन थी। यह लाइन इगतपुरी से लेकर मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक और कल्याण से पुणे तक थी। इगतपुरी तक गाड़ियाँ AC लोको से आती और ट्रिप शेड के व्यवस्था से लाइन ट्रेक्शन बदलकर गाड़ी को DC लोको जोड़ा जाता था, जो आगे मुम्बई तक गाड़ी को ले जाता था। इसके चक्कर मे हर एक गाड़ी का इगतपुरी स्टेशनपर कमसे कम आधा घण्टा खड़ा रहना सहज था। इगतपुरी आते ही यात्री बड़े सकुन से गाड़ी से प्लेटफार्म पर उतर कर यहां के प्रसिद्ध वडा पाव का आनन्द लेते थे।
रेलवे प्रशासन को इगतपुरी का यह AC/DC का झंझट कभी न कभी खत्म करना ही था। मौजूदा डीसी ट्रैक्शन सिस्टम की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, 1996-97 में इसे 25 केवी एसी ट्रैक्शन में बदलने का निर्णय लिया गया। इगतपुरी – कल्याण खंड के डीसी से एसी ट्रैक्शन में परिवर्तन 12.11.2006 को पूरा हुआ। 24.10.2010 को पुणे – लोनावाला – कल्याण खंड; कल्याण – ठाणे खंड 24-1-2014 को और ठाणे – मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस 8-6-2015 को पूरा हुवा। इसके साथ, मध्य रेलवे में संपूर्ण विद्युतीकृत मेनलाइन रेल नेटवर्क 25 केवी एसी का उपयोग शुरू हुवा। कुछ घाट सेक्शन में लोको की कमी के चलते वर्ष 2016 में एसी लोको की गाड़ियाँ सीधी मुम्बई तक चलने लगी। यहाँपर इगतपुरी के ट्रिप शेड और AC/DC लोको का बदलाव पूरी तरह से खत्म हुवा। मगर अभी एक गाड़ी का लोको बदलाव जारी था।
यह गाड़ी थी हज़रत निजामुद्दीन से एर्नाकुलम के बीच चलनेवाली मंगला लक्षद्वीप एक्सप्रेस। यह गाड़ी चूँकि कोंकण रेलवे में इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन नही था तो डीजल से इगतपुरी तक आती थी और आगे निजामुद्दीन के लिए इलेक्ट्रिक लोको से चलाई जाती थी। अब 1 जून 2021 से इस गाड़ी को इलेक्ट्रिक लोको से ही इगतपुरी से आगे कोंकण रेलवे के रत्नागिरी तक चलाए जाने की घोषणा हो चुकी है।

इस तरह इगतपुरी के जंक्शन नही होने के बावजूद हर गाड़ी लम्बे समय तक खड़े रहने का मिथक टूटता हुवा दिखाई दे रहा है। फिलहाल मुम्बई से इगतपुरी और इगतपुरी से भुसावल तक अलग अलग लोंको चालक गाड़ी चलाते है मगर मध्य रेलवे की राजधानी के साथ इगतपुरी में लोंको स्टाफ़ का बदलाव भी खत्म किया गया है। राजधानी एक्सप्रेस के चालक मुम्बई से जलगाँव तक सीधे आते है। समय भर की बात है, इगतपुरी का स्टाफ बदलाव भी हो सकता है जल्द खत्म हो जाए और एक सुन्दर पहाड़ी रेलवे स्टेशन पर यात्रिओंका आधा घण्टा बिताने का सौभाग्य छीन जाए।