भारतीय रेल, दुनिया में सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है और 2030 से पहले “शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जक” बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। नये भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रभावी, समयनिष्ठ और यात्रियों के साथ-साथ माल ढुलाई का एक आधुनिक वाहक रेलवे, पर्यावरण के अनुकूल, कुशल, लागत की समग्र दृष्टि से निर्देशित है। भारतीय रेल बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण कर के, दिन-प्रतिदिन पानी और कागज संरक्षण से लेकर रेलवे पटरियों पर जानवरों को घायल होने से बचाने के लिए अपने सबसे बड़े से लेकर छोटे कदमों से पर्यावरण की मदद कर रहा है।

मध्य रेल पर, 2014-21 के दौरान विद्युतीकृत कुल ट्रैक किमी महाराष्ट्र में 1895 किमी, मध्य प्रदेश में 145 किमी और कर्नाटक में 193 किमी है। कुल 555 ट्रैक किमी के तीन खंडों पर विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है।

हेड ऑन जेनरेशन (HOG) : भारतीय रेल हेड ऑन जेनरेशन (HOG) सिस्टम भी शुरू कर रहा है, जिसके तहत लोकोमोटिव के माध्यम से सीधे ओवर हेड इक्विपमेंट (OHE) से कोचों को बिजली की आपूर्ति की जाती है। यह ट्रेनों में अलग पावर कारों की आवश्यकता को समाप्त करता है। इस प्रकार अतिरिक्त कोचों को खींचने की आवश्यकता को कम करता है और दक्षता बढ़ाता है। कार्बन फुटप्रिंट में प्रतिवर्ष 31,88,929 टन की कमी आएगी। पावर कारों को खत्म करने से 2,300 करोड़ रुपये की ईंधन लागत में भी बचत होगी
इकोसिस्टम संरक्षण : डिब्बों में जैव-शौचालय और स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन
जैव शौचालयों के माध्यम से स्वच्छता में सुधार
“स्वच्छ भारत मिशन” के एक हिस्से के रूप में, भारतीय रेल ने अपने पूरे बेड़े में जैव शौचालयों की स्थापना का काम पूरा कर लिया है। इससे यह सुनिश्चित हो गया है कि ट्रैक पर चल रहे कोचों से कोई मानव अपशिष्ट डिसचार्ज नहीं होगा। इस प्रयास से पटरियों पर प्रतिदिन लगभग 2,74,000 लीटर मलमूत्र से बचा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, मानव अपशिष्ट के कारण रेल और फिटिंग के जंग लगने से भी बचाया जाता है। मध्य रेल ने अपने सभी 5,000 डिब्बों में जैव शौचालय लगाने का काम पूरा कर लिया है।

भारतीय रेल के स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन : रेलवे ने स्टेशनों में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे को कम तरीके, पुनर्चक्रण और निपटाने के लिए कई पर्यावरण अनुकूल पहल की हैं। इन पहल को और बढ़ावा देने के लिए 400 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर कुल 585 प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनें पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं और भारतीय रेल पर ऐसी मशीनें अधिक लगाने हेतु प्रक्रिया जारी है।
इकोसिस्टम संरक्षण : सौर ऊर्जा और ऊर्जा बचत एलईडी रेलवे पर्यावरण में सुधार हेतु योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में, यह पर्यावरण के अनुकूल उपायों जैसे अक्षय ऊर्जा के उपयोग जिसमें शामिल पवन और सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सभी रेलवे प्रतिष्ठानों और भवनों (20,000 से अधिक) मई 2020 में भारतीय रेल के सभी आवासीय क्वार्टर को भी एलईडी लाइटिंग सिस्टम में बदल दिया गया है।
मध्य रेल में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस सहित 5 रेलवे स्टेशन हैं जिन्हें इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) प्रमाणन मिला है।

महामारी में ऑक्सीजन की तरह माल ढुलाई, सड़क परिवहन की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल
रेलवे ने 19 अप्रैल, 2021 से शुरू होने के बाद से 350 से अधिक लोडेड ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई हैं, जिसमें 1,438 लोडेड टैंकर हैं, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में 24,387 टन ऑक्सीजन पहुंचाई गई है।
महाराष्ट्र में 614 टन ऑक्सीजन उतारी गई है। सड़क परिवहन की तुलना में रेलवे के माध्यम से माल ढुलाई अधिक पर्यावरण के अनुकूल है।