हाल ही में कोल्हापुर गोंदिया महाराष्ट्र एक्सप्रेस के गोंदिया से आगे रीवा तक विस्तारीकरण का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड ने मान्य किया है।
रेलवे ने इस प्रस्ताव के समर्थन में रेलवे बोर्ड की लाय ओवर पॉलिसी को कम कर रेलवे के स्टॉक्स का यथायोग्य उपयोग करने, किसी दो अलग गाड़ियोंको एक कर के चलाने की नीति को अपनाया है। इस विस्तारीकरण से रेलवे का करीबन 120 करोड़ का फायदा होगा जिसमे 100 करोड़ के यात्री कोच और 20 करोड़ के लोको की बचत होगी ऐसे रेलवे का मानना है।

01039 कोल्हापुर गोंदिया महाराष्ट्र एक्सप्रेस के 2 घण्टे स्पीड अप का मनमाड़, चालीसगांव, जलगाँव, अकोला के स्थानीय यात्रिओंने जो रोजाना इस गाड़ी से कम अंतर में जाना आना करते है, धुर विरोध किया था। हालांकि 100-200 डेली कम्यूटर्स के मुकाबले कोल्हापुर, पुणे से जलगाँव, अकोला, नागपुर और गोंदिया तक लम्बी यात्रा करने वाले सैकडों यात्रिओंने इसके समय बदलावोंपर खुशी ही जाहिर की थी।

अब गोंदिया से रीवा के विस्तारीकरण पर गोंदिया में हलचल निर्माण की जा रही है। गोंदिया के स्थानीय यात्री समिति के सदस्य मेठी जी इस विस्तारीकरण पर नाराजी जता चुके है, उनका मानना है, रेलवे चाहे तो कोल्हापुर से रीवा के बीच अलग गाड़ी चला दे मगर महाराष्ट्र एक्सप्रेस को ना छेड़े। गौरतलब यह है, महाराष्ट्र एक्सप्रेस नागपुर से गोंदिया विस्तारित की गई थी तब नागपुर के यात्री संगठन का बर्ताव कुछ इसी तरह का था और गोंदिया वासी उत्साहित थे।
गाड़ियोंके विस्तारीकरण पर ऐसा हमेशा ही होता रहा है। महाराष्ट्र एक्सप्रेस के गोंदिया से रीवा तक विस्तारीकरण के कुछ तथ्य है, आइए हम समझते है।
कोल्हापुर से रीवा के लिए इस गाड़ी से बेहतर शार्ट रूट उपलब्ध है, दूसरा 70% जगह गोंदिया के यात्रिओंके लिए छोड़ दी जाएगी ऐसा परीपत्रक में मान्य किया गया है। अतः यह गाड़ी एन्ड टू एन्ड फूल चलेगी और गोंदिया के स्थानीय यात्रिओंको इस गाड़ी में जगह नही मिलेगी ऐसा सीधा कहना उचित नही होगा।

गाड़ी एक्सटेंशन के बाद फुल्ल रैक 22-23 कोच LHB हो जाएगी मौजूदा ICF 18 डिब्बों के ऐवज में गाड़ी की यात्री क्षमता निश्चित ही ज्यादा होगी।
गोंदिया से कोपरगाँव तक गाड़ी डबल ट्रैक पर दौड़ती है। गोंदिया से पुणे तक का रेल मार्ग विद्युतीकरण पूर्ण हुवा है और पुणे से कोल्हापुर के बीच दोहरीकरण, विद्युतीकरण का कार्य जारी है। गाड़ी का लोको दौंड में नही बदलता अपितु पुणे में बदलता है। गाड़ी दौंड जंक्शन के बजाय दौंड कॉर्ड स्टेशन से 2 मिनिट के ठहराव पश्चात रवाना हो जाती है।
कोल्हापुर – रीवा के बीच यदि कोई अतिरिक्त गाड़ी चलती भी है तो वह भुसावल से खण्डवा, इटारसी, जबलपुर, सतना होते हुए रीवा निकल जाएगी ओर ऐसी सूरत में जबलपुर से गोंदिया के बीच के स्टेशनोंको जो लाभ महाराष्ट्र एक्सप्रेस की कनेक्टिविटी का मिलने जा रहा है, वह नही मिल पाएगा।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है, हर व्यक्ति अपने स्थानीय विचारोंसे प्रभावित होता है और उसकी सोच वहीं तक सीमित कर लेता है, मगर रेल प्रशासन को अपनी तमाम इन्वेंट्री, साजोसामान का बेहतर उपयोग करते हुए निर्णय लेना होता है। दूरदराज के क्षेत्रोंकी देश के अन्य भागोंसे सम्पर्कता बढ़ती है तो गाड़ियोंके विस्तारीकरण में हर्ज ही क्या है?
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