प्रिय मित्रों, रेल दुनिया से आप भली भाँति परिचित है। हम हमेशा प्रयत्न करते है की आपको रेल्वेज की अद्यतन जानकारी मिलती रहे। यात्रिओंको रेलवे से क्या अपेक्षाएं रहती है यह हम अच्छे से जानते है। समयसारणी में बदलाव, नई गाड़ियाँ, मार्ग परिवर्तन, किरायोंमे और उनसे सम्बन्धित नियमोंमे बदलाव भी यात्रिओंको रेलवे ख़बरोंकी ओर आकृष्ट करता है। साथ ही साथ किसी विशेष घटना या किसी शहर विशेष की ताजा जानकारी भी यात्रिओंको चाहिए रहती है। आज हम इन्दौर की बात करते है।

हाल ही में पश्चिम रेलवे ने रतलाम मण्डल की इन्दौर से चलने वाली गाड़ियोंमे भारी बदलाव के प्रस्ताव दिए। इन्दौर से लिंगमपल्ली (हैदराबाद) और इन्दौर से पुरी के बीच साप्ताहिक हमसफ़र चला करती है। इन्दौर से लिंगमपल्ली हमसफर रतलाम, वडोदरा, सूरत, पनवेल, पुणे, सोलापुर, कलबुर्गी होकर लिंगमपल्ली को पोहोंचती थी जिसका सम्पूर्ण मार्ग परिवर्तन कर के भोपाल, इटारसी, नागपुर, बल्हारशाह, काजीपेट होकर लिंगमपल्ली का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया। ऐसा प्रस्ताव देखते ही रतलामवासियों और इन्दौरियों का माथा ठनका। “यह मार्ग परिवर्तन है या गाड़ी को पदभ्रष्ट किया जा रहा है?” इन्दौर से सोलापुर, कलबुर्गी की सम्पर्कता कराने वाली यह एकमेव गाड़ी थी।
इन्दौर पूरी साप्ताहिक हमसफ़र में मामूली सा ही बदलाव प्रस्तावित है। गाड़ी को उज्जैन होकर घुमाया गया है मगर यह भी इन्दौर के रेल प्रेमियोंको बड़ा नागवार गुजर रहा है। उज्जैन को पूरी की कनेक्टिविटी की आवश्यकता नही वहाँ से पहले ही दो जोड़ी गाड़ी पुरी के लिए उपलब्ध है। हालाँकि तीसरी और गाड़ी मिल जाए इसमें उज्जैनवासी तो खुश ही है। कहा जाता है, उज्जैन सांसद फिरोजिया जी ने इसके लिए व्यूहरचना की थी। इन्दौर से पुरी चलनेवाली गाड़ी कोई इन्दौर से पूर्ण क्षमता से भरती नही, इसीलिए इसे उज्जैन की ओर से ले जाना पड़ रहा है ऐसी उज्जैन वासियोंकी दलील है। तो इन्दौर की यात्री सक्षमता पर सवाल खड़े किए जाने से इन्दौरिए आहत है। इन्दौर पुरी साप्ताहिक की बजाए 2-3 दिन भी चले तो इन्दौर से यात्री मिलेंगे ऐसे इन्दौर के रेल प्रेमियोंका मानना है।
प्रस्तावों पर छिड़ी दो शहरों के बीच, रेल प्रेमियोंकी नोंकझोंक से समन्वय कम और छींटाकशी ज्यादा हो रही है। वैसे यह समस्या इन्दौर शहर और उसकी अधूरी अधूरी सी रेल निर्माण व्यवस्था को उजागर करती है। मीटर गेज काल मे इन्दौर जंक्शन से राजस्थान से आंध्रप्रदेश के बीच गाड़ियाँ सीधी चलती थी। एक तरफ रतलाम तो दूजी ओर खण्डवा मगर मीटर गेज लाइनें गेज परिवर्तन के लिए बन्द क्या हुए इन्दौर एकान्तवास में चला गया। यहाँ गाड़ियाँ आती और जाती है सीधी नही चलती अर्थात इन्दौर टर्मिनल जैसा स्टेशन बन गया है।
रतलाम मण्डल की शोभा इन्दौर शहर से है। हालाँकि रतलाम पश्चिम रेलवे की मुम्बई दिल्ली प्रीमियम मार्ग का बड़ा जंक्शन स्टेशन है, मगर मुख्य शहर इन्दौर का रेलवे के मुख्य मार्ग से कोई वास्ता नही। एक तरफ इन्दौर से रतलाम जंक्शन की दूरी बड़नगर होकर 120 किलोमीटर है तो उज्जैन जंक्शन की दूरी 80 किलोमीटर है। इन दो मुख्य जंक्शन्स के बीच इन्दौर फंस गया है। गाड़ियाँ जब आजूबाजू से निकलने लगे तो इन्दौर की छटपटाहट बढ़ जाती है। उसे अपनी यात्री सक्षमता की दुहाई देनी पड़ती है।
महू सनावद जुड़ जावे तो फिर राजस्थान – तेलंगाना सम्पर्कता बहाल हो जाएगी। मात्र इतना ही नही, इन्दौर से मुम्बई, पुणे, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र का निकटतम मार्ग भुसावल होकर निकलेगा और इन्दौर जैसे मेगा सिटी को अपनी मेगा सम्पर्कता के सामने ऐसी मार्ग परिवर्तन जैसी छोटी छोटी बातें बहुत मामूली लगेगी। यह बात और है की इन्दौर के जानेमाने, नए पुराने राजकीय आखाड़े के दिग्गज परिस्थितियों के आगे अपनी हतबलता, हताशा जाहिर करते नजर आते है।