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गाड़ियाँ अनलॉक मगर MST पर रेल प्रशासन की चुप्पी; जनआक्रोश की कोई सुनवाई नही

संक्रमणकाल के निर्बंध हटाए जा रहे और 70 फीसदी गाड़ियाँ पटरी पर लौट गई है। यूँ तो शार्ट डिस्टेन्स डेली कम्यूटर्स जैसे ही गाड़ियोंमे सेकन्ड क्लास टिकटें चल निकली वैसे ही रेल में यात्रा करना शुरू हो गए थे। मगर अब भी इनकी जेबें रेल ही खाली करती चली जा रही है।

आम भाषामें इन रोजाना रेल यात्रा करने वालोंको “अप-डाउन” वाले यात्री कहा जाता है। बहुत छोटे से से अंतर के लिए यह लोग वर्षोंसे रेल यात्रा करते चले आ रहे है। यहाँतक की इन लोगोंके जीवन का बड़ा हिस्सा डेली अप डाउन करते हुए रेल गाड़ियोंमे बीत जाता है। जिंदगी के महत्वपूर्ण त्यौहार भी यह लोग अपने रोजाना के सह यात्रिओंके साथ मनाते है। आपने मुम्बई – पुणे या मुम्बई मनमाड़ के बीच कई लोगोंको गणेशोत्सव, होली जैसे त्यौहार, किसी का जन्मदिन या शादी की वर्षगांठ जैसे व्यक्तिगत कार्यक्रम भी बड़े उत्साह से मिलजुलकर मनाते देखा होगा। अपने जीवन के बड़े हिस्से को रेलगाड़ी में बिताना इन लोगोंकी आवश्यकता बन गई है।

रेलगाड़ियोंके निर्बंध तो हटते चले गए मगर इन लोगोंके हाल उसी तरह चल रहे है। रेल प्रशासन ने गाड़ियाँ तो चला दी मगर MST मन्थली सीजन टिकट नामक, इन लोगोंकी अत्यधिक आवश्यक सुविधा अब तक भी शुरू नही की है। दरअसल MST में यात्री एक महीने की रेल यात्रा का रेल प्रशासन द्वारा तय किया हुवा किराया अग्रिम राशी देकर खरीद लेता है। जिससे उसको बार बार टिकट खरीदने के परेशानी से मुक्ति मिलती है और साथ साथ कुल किराया एक साथ देने से रेलवे के कुल किराए में उसे रियायत भी मिल जाती है। इसमें रेलवे का भी फायदा है, उसे महीनेभर का किराया अग्रिम मिल जाता है।

रेल प्रशासन ने अपने यात्री किरायोंकी सारी रियायत इस संक्रमण काल मे बन्द कर रखी है, जिसमे दिव्यांग व्यक्तियों की रियायत अपवाद है। मगर क्या रेल प्रशासन MST को भी रियायती टिकट समझती है? इसलिए इसको शुरू नही कर रही या रेल प्रशासन इस किरायोंके गणित को कुछ अलग तरह से गणना करना चाहती है?

MST टिकट इतना लोकप्रिय क्यों है, दरअसल MST टिकट एक तरह से एक महिनेका अग्रिम सेकन्ड/फर्स्ट क्लास टिकट है जिसमे 150 किलोमीटर के भीतर के किन्ही दो स्टेशनोंके बीच, कुल 60 एकल यात्रा करना निर्धारित है। मगर इन 60 एकल यात्रा का MST किराया अनुमानित तौर पर रेल प्रशासन केवल 15 एकल यात्रा का ही लगाता है। यह इसकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है। मुम्बई- पुणे और मुम्बई – नासिक के बीच 200 किलोमीटर का MST टिकट जारी करने की अनुमति है। चूँकि 15 एकल यात्रा का किराया वह भी सवारी गाड़ी के द्वितीय श्रेणी का, याने लगभग 25% किराए में महीनेभर का जाना आना हो जाता है तो अप डाउन वाले लोग इसीको प्राथमिकता देते है। जहाँ उपनगरीय गाड़ीयाँ चलती है वहाँपर तो ठीक है, मगर दूसरे गैर उपनगरिय खण्ड है और वहाँपर दिन में केवल 2-4 सवारी गाड़ियाँ चलती है वहाँपर यह लोग मेल/एक्सप्रेस में यात्रा करते है, जिनमे द्वितीय श्रेणी कोच लगे रहते है और जिनमे मन्थली पास धारकोंको यात्रा करने की अनुमति है।

अब इन यात्रिओंकी मुसीबत यह है, की कोई भी सवारी गाड़ी नही चल रही, MST टिकट उपलब्ध नही, हर बार जाते आते एकल यात्रा टिकट के लिए टिकट घर जाकर लम्बी भीड़ भरी कतार में लगकर टिकट खरीदने में बहुत वक्त जाया हो रहा है साथमे संक्रमण के फैलने का डर है सो अलग।द्वितीय श्रेणी मेल एक्सप्रेस का एकल यात्रा टिकट भी सवारी गाड़ी के किराए से दो, तीन गुना ज्यादा है। ऐसे में जो MST का खर्च करीबन 200 रुपये हर माह का था वह अब बढ़कर 1500 से 1800 रुपए लग रहा है और इससे कई लोगोंका जीवनयापन गड़बड़ा गया है।

तमाम MST धारकोंकी मांग है, रेल प्रशासन ने अब MST टिकट शुरू करने पर निर्णय ले लेना चाहिए। बीते जून 2020 से यह डेली अप डाउन करनेवाले लोग अतिरिक्त किराया भर कर परेशान हो गए है। हर जगह हर बार गुहार लगा चुके है। वह चाहते है, रेल प्रशासन MST धारकोंको रियायती टिकट नही जरूरत की नजर से देखे और जल्द इसे शुरू करने की व्यवस्था करे।

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