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नया भिडू, नया राज। खेल वहीं खिलाड़ी बदले।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने टीम मे बदलाव कर के ताजा दम और नए जोश के खिलाड़ियों को मैदान मे उतारा है। हम बात कर रहे है, मंत्रिमंडल के नए बदलाव की। पीयूष गोयल जी की जगह नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जी को रेल मंत्रालय को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रेल राज्य मंत्री की दो जगह बनाई गई है, जिसमे महाराष्ट्र के जालना से रावसाहेब दानवे और गुजरात के सूरत से दर्शना जारदोष इनकी नियुक्ति की गई है।

अश्विनी वैष्णव उच्च शिक्षित, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्यूनिकेशन के इंजीनियर, आईआईटी कानपुर से MTech, विदेश से एमबीए इसके अलावा जनरल ट्रासपोर्टेशन और सीमेंस कंपनी मे भी उच्च पद पर इन्होंने काम किया है। रावसाहेब दानवे इनका मंत्रालय बदलकर उन्हे रेल राज्य मंत्री बनाया गया है तो श्रीमती दर्शना जारदोष यह पहली बार केन्द्रीय मंत्री बनी है।

जिस तरह रेल, तमाम भारतवासियों के मन मे बसी है और देश की जीवनरेखा कहलाती है, पूरे देशवासियों की नजर इस मंत्रालय के बदलाव पर थी। चूंकि अश्विनी वैष्णव जी पहली बार किसी मंत्रालय को संभालने जा रहे है तो इनके कामकाज के बारे मे समीक्षा करने का कोई प्रश्न ही नहीं मगर प्रशासनिक तौर पर बालासोर ओड़ीशा मे जिलाधिकारी पद और दो आंतरराष्ट्रीय कंपनियों मे उच्च पद पर काम कर चुके है। रेल मंत्रालय मे मा. प्रधानमंत्री मोदी जी व्यक्तिगत रुचि रखते है और भारत मे रेल विभाग मे आधुनिकता लाने का पुरजोर प्रयास कर रहे है। देशभर मे मालगाड़ियों के लिए समर्पित गलियारा, वर्ष 2024 तक रेल लाइनों का सम्पूर्ण विद्युतीकरण, रेल्वे के चल स्टॉक का अत्याधुनिकीकरण, देशभर मे रेल लाइनों का विस्तार, रेल गाड़ियों की गति पर विशेष ध्यान, रेल विभाग मे निवेश बढ़ाने के प्रोत्साहित हो इसके लिए विशेष नियोजन इस तरह रेल मंत्रालय का कामकाज चल रहा है।

अश्विनी वैष्णव जी को रेल मंत्रालय के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और प्रोद्योगिकी मंत्रालय भी दिया गया है। रेल मंत्रालय को आधुनिकता की ओर ले जाने का यह प्रयास है। वैसे आश्विनी जी को अपने पीपीपी मॉड्यूल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए जाना जाता है और फिलहाल रेल मंत्रालय मे विनिवेश और निजी निवेश लाने का माहौल चल रहा है। आने वाले 2-3 वर्षों मे निजी यात्री गाड़ियों को पटरी पर लाना है। मालगाड़ियों के समर्पित गलियारों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

इधर रेल यात्रियों की तरह तरह की मांगे बढ़ती ही जा रही है। हर राज्य चाहता है, की उसके क्षेत्र में रेल का विकास हो, भरपूर गाड़ियाँ चले, अबाध सम्पर्कता मिले, लेकिन रेल मार्ग के निर्माण में और सड़क निर्माण में बहुत अन्तर है। रेल विभाग का काम सिर्फ मार्ग की निर्मिति कर के खत्म नही होता, उस पर चलाए जाने वाले वाहन, उनके ठहराव के लिए स्टेशनोंकी निर्मिती, मार्ग का कायम रखरखाव, परिचालन एवं चल स्टॉक के रखरखाव के लिए कर्मचारी, और सबसे बड़ी कवायद मिलनेवाली नियंत्रित आय में अपने साजोसामान और कर्मचारियों का पालन करना साथ ही साथ विकास और उन्नयन का प्रयास करना। इसमें रेल विभाग एक ऐसा सरकारी संस्थान है जिसमे देश के सबसे ज्यादा कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मी है।

इस तरह कई आशा, अपेक्षाओं से लदा यह मंत्रालय सदा ही विकास के लिए निधि की कमी से जुझता रहता है। किसी जमाने मे रेल मंत्रालय को दुधारू गाय की उपमा दी गयी थी। आज स्थितियां यह है की दोहन तो लगातार किया जा रहा है मगर पोषण की अवस्था कठिन है।

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