रेल मंत्रालय में नए मन्त्रियोने कार्यभार सम्भाल लिया है और मंत्रालय की कार्यवाही तेज गति से चले इसलिए अपने दल के कर्मियोंकी, मिनिस्टर सेल की काम की अवधि सुबह 7 बजे से रात 12 बजे तक कर दी गई है।
संक्रमण काल के बाद बहुत सी गाड़ियाँ पटरियों पर आ गयी है और सामान्य जनजीवन भी निर्बंधों का पालन करते हुए अपने कामकाज में लग गया है। रेलगाड़ियोंसे रोजाना अप डाउन करने वाले सरकारी, निजी संस्थान में काम करनेवाले कर्मचारी भी अपनी रोजमर्रा की दौड़धूप में जुट गए है। स्कुल कॉलेजेस के विद्यार्थि फ़िलहाल इस दौड़ में शामिल नही है मगर उनकी कवायद भी जल्द ही शुरू हो जाएगी।
कवायद? जी, रेलगाड़ियोंमें में रोजाना आनाजाना करना यह कवायद से बिल्कुल भी कम नही है। आपने मुम्बई के उपनगरीय गाड़ियोंमें यात्रिओंकी भीड़ देखी हो तो आप इस बात से बिल्कुल सहमत होंगे। इन दिनों यह कवायद कुछ ज्यादा ही भारी पड़ रही है। एक तो मुम्बई की उपनगरीय गाड़ियोंके “इसेंशियल सर्विस मैन” को ही यात्रा की अनुमति वाला निर्बंध और गैर-उपनगरीय क्षेत्र में साधारण गाड़ियोंका नही चलना। इन सब बातोंपर भारी है, MST पास का स्थगित किया जाना।
MST पास या मन्थली सीजन टिकट याने अप डाउन करने वालोंका रामबाण। यह पास महीनेमें एक बार या त्रिमासिक QST निकाल लो तो बार बार, हर बार टिकट बारी मे खड़े रहकर टिकट खरीदने से मुक्ति। सुविधाजनक ऐसी की किरायोंमे में रियायत मिल जाती है, याने पैसे की बचत, समय की बचत। मगर संक्रमण काल से ही रेल प्रशासन ने, इन पासेस को स्थगित कर रखा है। इससे डेली अप डाउन वाले हजारों यात्री बेहद परेशान है। अब इनकी परेशानी, समस्या दूर करने का वक्त आ गया है।
यूँ तो यह MST सेवा उपनगरीय रेल के मद्देनजर ही शुरू की गई थी मगर इसकी यात्रिओंके बीच उपयुक्तता देखते हुए गैर-उपनगरीय क्षेत्रोंमें भी इन्हें शुरू कर दिया गया। अब गैर-उपनगरीय क्षेत्रों में सवारी गाड़ियाँ बहुत कम रहती है अतः इन पास धारकोंको क्षेत्र की मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंके द्वितीय श्रेणी कोचेस में भी यात्रा करने की अनुमति मिल गयी और जिसका भरपूर दुरुपयोग होने लगा। यह MST धारक मेल/एक्सप्रेस से आरक्षित स्लिपर श्रेणी की कोच में भी यात्रा करने लगे। चूँकि शॉर्ट डिस्टेन्स यात्रा, और शायद एमिनिटी/चेकिंग स्टाफ़ की कमी के चलते कुछ MST धारक यात्री, आरक्षित यात्रिओंको भी परेशान करने लग गए थे। आरक्षित आसनोंपर कब्जा कर लेना, आरक्षित यात्रिओंको उनके जगह पर एडजस्ट करने के लिए बाध्य करना, जोर ज़बरदस्ती करना आदि। रेल प्रशासन भी शायद इन्ही कारणोंके चलते इस सेवा को अब तक भी स्थगित ही चलाए जा रही है।
MST सेवा जो रोजाना रेल यात्रा करनेवाले यात्रिओंके लिए बेहद सुविधाजनक है और बहुत से रेल यात्री इसके किराए और नियमोंमें सुधार होकर नए स्वरूप में लायी जाए इससे सहमत भी है। उपनगरीय क्षेत्र में इस सेवा में बदलाव हुवा तो केवल किराए का ही हो सकता है मगर गैर-उपनगरीय क्षेत्र में इस सेवा को शुरू रखने के लिए व्यापक बदलाव करना जरूरी है।
फ़िलहाल MST में 150 किलोमीटर तक के ही पास जारी किए जाने का बंधन है। इसके अलावा क्लबिंग ऑफ MST की भी मनाई है। ऐसे में गैर-उपनगरीय क्षेत्रोंमें किलोमीटर को और भी कम करीबन 100 किलोमीटर का बंधन किया जा सकता है। 2-3 पास जोड़कर, क्लबिंग कर के जलगाँव से मुम्बई तक हमेशा यात्रा करनेवाले यात्री मिल जाएंगे। क्लबिंग ऑफ MST के लिए, यदि 150 किलोमीटर के बंधन को घटाकर 100 किलोमीटर किया जाता है और MST धारकोंको फोटो आइडेंटिटी जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड ई. का पास पर अंकित किया जाना अनिवार्य करते है तो इससे दो पास को जोड़कर यात्रा करनेवाले यात्रिओंपर अंकुश लगाया जा सकता है।
किलोमीटर के बंधन को मुम्बई से नासिक 187 और पुणे 192 किलोमीटर के लिए मुक्त रखा गया है। इन क्षेत्रोंके लिए गाड़ियोंका खास बंधन रखा जा सकता है। जैसे नासिक मुम्बई के बीच पंचवटी, राज्यरानी और गोदावरी ऐसी और पुणे के लिए इंद्रायणी, डेक्कन, डेक्कन क्वीन, सिंहगढ़ केवल ऐसी ही शॉर्ट डिस्टेंस, इन्टरसिटीज के लिए यह पास जारी किए जाए, अन्य लॉन्ग डिस्टेन्स गाड़ियोंमे MST पासधारक का प्रवेश निषीद्ध किया जा सकता है। हालाँकि यह नियम अब भी लागू है, मगर जब पास ओर प्रिन्ट हो जाएगा कि ” वैलिड फ़ॉर ओनली इन्टरसिटीज” तब काफी फर्क पड़ेगा। उसी तरह गैर-उपनगरीय क्षेत्रोंमें MST धारकोंके लिए केवल सवारी/डेमू/मेमू गाड़ियाँ ही वैलिड रखी जा सकती है। बशर्ते इन गाड़ियोंकी फ्रीक्वेंसी जरूरत के अनुसार और अनुपात में बढ़ाई जानी चाहिए।
इस तरह के निर्बंधों से इतर मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे MST धारकोंकी रेलमपेल पर रोक लगाई जा सकती है और उनकी टिकट/पास सेवा भी अबाधित रह सकती है। फिलहाल जिस तरह यह अप डाउनर परेशान है, माननीय मन्त्री जी से गुजारिश है, की साधारण सेवाएं जल्द से जल्द पटरियों पर लाया जाए, MST के बारे में जो भी उचित निर्णय ले मगर उन्हें जल्द लागू कीजिए।