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यह भी “योद्धा” ही है।

आप देश की सीमा पर तैनात वीर जवानोंके बारे अवश्य ही जानते है मगर इन के बारे में? शायद नही। ये है रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, चाबीवाला।

यह कर्मचारी दिन और रात चौबीसौं घंटे रेल पटरियों की पहरेदारी करता है। ठण्ड, गर्मी या बरसात मौसम चाहे जो हो, रेल गाड़ी के सामने इनकी गश्त लगी रहती है। कन्धे पर लगभग 20 किलो का बोझ जिसमे स्लिपर पर पटरी को लॉक करने वाली चाबियाँ, हथौड़ा, रेल का टुकड़ा, जॉइंट क्लिप, सिग्नल दिया जाने वाली बत्ती, नट बोल्ट, उनको कसने के पाने ई. लाद कर यह आदमी पटरी को अपने औजार से बजाता चलता है। पटरी की एक छन्न कर के आवाज से इसे समझ जाता है, की कही कोई गड़बड़ी तो नही?

बरसात के दिनोंमें रेल पर मलबा जमने, जमीन खिसकने, बहाव से गिट्टी बह जाने की खबरें और उनके चलते गाड़ियोंको रोके जाना, दूसरे मार्ग से चलाना या रद्द करना यह सब निर्णय इन ‘रेल के योद्धा’ लोगोंके प्राथमिक निगरानी की बदौलत लिए जाते है। बहुत सी तकनीकी योजनाएं आती जा रही है, मगर आज भी यह रेल कर्मचारी की उपयुक्तता बिल्कुल भी कम नही हुई है।

रेलदुनिया की ओर से रेलवे के इस योद्धा को सादर नमन।

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