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वन्दे भारत! वन्दे मातरम!!

खबर बड़ी है, पहले 44 और अब 58 वन्देभारत ट्रेन सेट का टेंडरिंग किया गया है। यह सुनिश्चित भी किया जा रहा है, की पहली 58 वन्देभारत गाड़ियाँ अगस्त 2023 तक चल पड़े और बची फरवरी 2024 तक।

समझने वालोने अपने गणित को 2024 के महा इवेंट से जोड़ तो लिया ही होगा, खैर! हम उस विषय की और नही झाकेंगे, हमे बस रेल की बात तक ही सीमित रहना है। कुल 102 अत्याधुनिक, सम्पूर्ण वातानुकूलित, सेल्फ प्रोपल्ड वन्देभारत गाड़ियाँ। वाह! क्या सपना है? जबरदस्त!!

2023/24 तक रेलवे भारत भर में विद्युतीकरण लगभग पूरा कर चुकी होगी। कई मार्गोंका दोहरीकरण, तीसरी, चौथी लाइन का काम पूर्णत्व की ओर होगा। लगभग सारे लेवल क्रॉसिंग हटाए जा चुके होंगे और ट्रैक 130/160/200 की गति सीमा योग्य हो चुके होंगे। हवाई अड्डे के तर्ज पर रिडेवलपमेंट किए जा रहे रेलवे स्टेशन और उनके बीच दौड़ती यह वन्देभारत गाड़ियाँ।

रचनात्मक बुद्धिजीवी सोचते है, देशभर में 20/25 वातानुकूलित शताब्दी टाइप गाड़ियाँ चलाई जा रही है। कुछ शताब्दी को बदलकर ग़ैरवातानुकूलित इन्टरसिटीज में बदला गया है, ऐसे में यह आधुनिक और ज्यादा किरायोंवाली वन्देभारत गाड़ियाँ यशस्वी होंगी? वह मार्गोंकी और उनपर चलनेवाली गाड़ियोंकी और महंगे टिकट खरीदकर यात्रा करनेवाले यात्रिओंकी गिनती करने लगते है। हमसफ़र गाड़ियोंके ख़ाली चलने का, उनमें स्लिपर कोच जोड़े जाने का उदाहरण सामने रखा जाता है। क्या भारतीय रेल यात्री वन्देभारत गाड़ियोंका पूरे देशभर में वैसे ही स्वागत करेंगे जैसे नई दिल्ली कटरा वन्देभारत का होता है?

Courtesy : wikipedia

जी, महत्वाकांक्षी योजना है, क्रांतिकारी भी है। जब वन्देभारत शायिका के साथ आएगी, बेहद आकर्षक समयसारणी के साथ चलेगी तो अवश्य ही लोकप्रिय होंगी। अपारम्परिक मार्ग, क्षमतावान और साथ ही जरूरतमन्द मार्गोंकी खोज करके, मांग के अनुसार समय मिला कर के यह गाड़ियाँ यदि चलाई जाती है तो अवश्य ही बेहद लोकप्रिय होंगी।

जब आवश्यक हो तो यात्री हवाई जहाज से भी यात्रा करते है, और यह तो रेलवे है। जिस तरह सड़क यातायात को ” डोअर टू डोअर” सेवा कहा जाता है, तो रेलवे भी शहरोंके व्यापारिक केंद्रों के सीधे हृदव स्थली तक जा पहुंचती है। हवाई जहाज शहरोंसे मिलों दूर रह जाते है। वन्देभारत को चलाने का मुख्य अन्दाज यही तो है, तमाम व्यापारिक केंद्रों, व्यवसायी यात्रिओंको अपने कामकाज की जगह समयोनुसार पहुंचाना और देश की अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाना। तो बस थोडासा इन्तजार और कर लीजिए।

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