मंथली सीजन टिकट, रोजाना रेल यात्रा करने वाले यात्रीओंकी ऐसी सुविधा की जिसके क्या कहने! रोज टिकट निकालने के झंझट से मुक्ति और किराए केवल 25% क्योंकि 30 दिनों के महिने की 30 X 2 = 60 यात्रा के मुकाबले लगभग 15 यात्रा का ही किराया लगता है। है न बल्ले बल्ले? और तो और संक्रमण के पहले तक MST धारक गैर उपनगरीय क्षेत्र मे मेल एक्सप्रेस मे भी निकल जाओ, स्लीपर मे भी चढ़ जाओ तो कोई परेशानी नहीं थी, मगर अब MST धारकों की निरंकुश रेल यात्रा पर निर्बंध लगते दिखाई दे रहे है।
दरअसल सुविधाए बंद कर दी जाए तब ही उनका महत्व और उपयोगिता पता चलती है। संक्रमण काल के बाद गाड़ियाँ तो शुरू हो गयी थी मगर MST सुविधा अब भी कई क्षेत्रीय रेलवे ने शुरू नही की है। खास कर मध्य रेल में तो किसी भी गैर उपनगरीय खण्ड पर यह सुविधा उपलब्ध नही है। उपनगरीय क्षेत्रों में सीमित वर्ग को, निर्बंध के साथ अनुमति दी गयी है। खैर! जिस किसी क्षेत्रीय रेलवे में MST सुविधा प्रदान की गई है, उनमें एक विशेषता नजर आयी है, केवल और केवल मेमू/डेमू/कम अन्तर चलनेवाली इंटरसिटी मेल/एक्सप्रेस और वह भी अनारक्षित गाड़ियाँ उन्हीं में MST धारकोंको यात्रा करने की अनुमति दी गयी है। चौंक गए? लाज़मी है। जिस तरह MST धारक पास प्राप्त करने के लिए बेताब थे, रेल प्रशासन ने उनकी गाड़ियाँ ही सीमित कर दी है। यदि आप हमारे ब्लॉग से परिचित है, तो बीते लेख याद कीजिए, हमने MST शुरू किए जाने की मांग में MST धारकोंकी मन की बात सामने रखी थी। देखिए, आगे हमने क्या बात रखी थी वह यहाँ दे रहे है,
“किलोमीटर के बंधन को मुम्बई से नासिक 187 और पुणे 192 किलोमीटर के लिए मुक्त रखा गया है। इन क्षेत्रोंके लिए गाड़ियोंका खास बंधन रखा जा सकता है। जैसे नासिक मुम्बई के बीच पंचवटी, राज्यरानी और गोदावरी ऐसी और पुणे के लिए इंद्रायणी, डेक्कन, डेक्कन क्वीन, सिंहगढ़ केवल ऐसी ही शॉर्ट डिस्टेंस, इन्टरसिटीज के लिए यह पास जारी किए जाए, अन्य लॉन्ग डिस्टेन्स गाड़ियोंमे MST पासधारक का प्रवेश निषीद्ध किया जा सकता है। हालाँकि यह नियम अब भी लागू है, मगर जब पास पर प्रिन्ट हो जाएगा की ” वैलिड फ़ॉर ओनली xxxx इन्टरसिटीज” तब काफी फर्क पड़ेगा। उसी तरह गैर-उपनगरीय क्षेत्रोंमें MST धारकोंके लिए केवल सवारी/डेमू/मेमू गाड़ियाँ ही वैलिड रखी जा सकती है। बशर्ते इन गाड़ियोंकी फ्रीक्वेंसी जरूरत के अनुसार और अनुपात में बढ़ाई जानी चाहिए।”
अब यह निर्बंध तो रेल प्रशासन ने लगा कर कुछ क्षेत्रोंमें MST पास शुरू करवा दी, मगर क्या यात्रिओंकी जरूरत और मांग नुसार क्षेत्रीय रेलवे या मण्डल से गाड़ियोंके फेरे बढाना, समय मे बदलाव या कठोर समयपालन पर ध्यान दिया जाएगा? चूँकि उपनगरीय खण्ड पर यात्री समितियाँ यात्रिओंके साथ, उनके हितोंकी रक्षा के लिए बहुत मजबूती से खड़ी रहती है और मण्डल कार्यालय, इतर रेल अधिकारी इनकी बातोंको अग्र क्रम से मानते भी है, इनकी सुविधाओंको प्राधान्य देते है। क्या गैर उपनगरीय क्षेत्र में भी यात्रिओंकी समितियोंको रेल विभाग मान्यता देगा, उनकी माँगोपर विचार करेगा? यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा।
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश ई. राज्योंमें फ़िलहाल MST बन्द है। महाराष्ट्र के गैर उपनगरीय क्षेत्रोंमें तो अनारक्षित गाड़ियाँ भी नही चल रही है। फिलहाल MST शुरू कराने की अनुमति राज्य शासनोंके आपादा नियंत्रण समितियोंके आधीन है। यह लोग कहते है तो ही रेल विभाग इस दिशा में कदम उठा सकती है। MST शुरू हो भी जावे तो, अब तक का चलन देखते हुए, केवल अनारक्षित गाड़ियोंमे ही यात्रा करने का निर्बंध लगकर यात्रा की अनुमति रह सकती है। अब यह MST धारकों की सोच पर निर्भर करता है, की सुविधा पूर्ण रद्द से सुविधा सीमित स्वरूप में तो मिलती रहे यह ठीक है या कैसे?