भारतीय रेल अपने कई वर्षों के इतिहास मे कभी थमी नहीं थी, जिस तरह इस बार संक्रमण काल मे रोकी गई। इस रुकावट का उद्देश्य काफी सोच समझकर किया गया, एक बेहद जबरदस्त एवं सटीक, ठोस निर्णय था, जो 100% कारगर भी रहा। जिस तरह का रेल यात्री यातायात हमारे देश मे रहता है उसमे संक्रमण का फैलाव होने का सीधा सीधा खतरा था। संक्रमण काल के बाद धीरे धीरे गाड़ियां चलाई जाने लगी मगर एक रक्षात्मक रुख अपनाया गया। सभी गाड़ियों को विशेष श्रेणी मे रखा गया ताकी जब चाहे रेल प्रशासन उनके परिचालन मे आवश्यक बदलाव कर सके। इस यात्री गाडियों के रद्दीकरण से रेल्वे के कई महत्वपूर्ण बुनियादी कामों को गति मिली उनमेसे एक काम था शून्याधारित समयसारणी का नियोजन।
इस शून्याधारित समयसारणी का प्रमुख उद्देश्य वर्षों से समयसारणी मे जगह अटकाने वाली, कई धीमी, अनुत्पादक, और तेज गति के परिचालन मे बाधा निर्माण करने वाली गाड़ियों को हटाना था। गाड़ियोके ठहराव को एक मापदंड लगाकर कम करना था, यात्रा के दौरान शंटिंग की जानेवाली लिंक एक्स्प्रेस गाड़िया और स्लिप कोच सेवा बंद कर परिचालन सुधारना था। अब तक समयसारणी मे मालगाड़ियों के लिए और रेल अनुरक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी उन समयों के स्लॉटस इस शून्याधारित समयसारणी मे बनाना था। इन सब मुद्दों मे कई यात्रीओं की चहेती लोकप्रिय एवं उपयोगी गाडियाँ रद्द की जाएगी, ठहराव समाप्त कीये जाएंगे और इसी की मार इस बांद्रा देहरादून बांद्रा गाड़ी को पड़ने वाली है।
दरअसल 19019/20 बांद्रा देहरादून बांद्रा की मंदसौर – कोटा – मेरठ लिंक एक्स्प्रेस मन्दसौर से निकल कर कोटा मे इस गाड़ी को जुड़ती थी और मेरठ मे निकलती थी। यह व्यवस्था सैनिकों मे और यहाँके स्थानिक यात्रीओं मे काफी लोकप्रिय थी। कहने को लिंक एक्स्प्रेस गाड़ियों की यही विशेषता थी की ब्रांच लाइनों को मुख्य मार्ग की गाड़ियों से सीधा जोड़ती थी। रेल्वे को अब यह सुन्दर व्यवस्था उनके तेज गति के परिचालन मे बाधा लग रही है अतः इस मन्दसौर लिंक एक्स्प्रेस को बंद किया गया और यात्रीओं को बांद्रा देहरादून गाड़ी ही पूरी रतलाम से कोटा के बीच मार्ग परिवर्तन कर मन्दसौर होकर चलाए जाने का नियोजन कीया गया।
मन्दसौर, नीमच, चितौड़गढ़ के यात्री तो अत्यंत प्रसन्न हो गए मगर रतलाम से कोटा के बीच जो 18 स्टेशन्स के यात्री उनका क्या? खाचरोद, नागदा, माहिदपुर, विक्रमगढ़ आलोट, सुवासरा, शामगढ़, भवानी मण्डी, रामगंज मण्डी ऐसे कई स्टेशन है जिनको इस गाड़ी का बड़ा सहारा था। रेल प्रशासन ने इनके बारे मे कुछ भी विचार क्यों नहीं किया? अब जब उत्तर रेल्वे अपनी नई समयसारणी के बदलावों की सूचना अखबारों मे प्रकाशित कीए जा रहा है, तो इन 18 स्टेशनों के यात्रीओं के सीने पर सांप लोट रहे है। एक तरफ ऐसी सूचनाए और दूसरी तरफ पश्चिम और पश्चिम मध्य रेल की चुप्पी। आखिर पूछे तो पूछे किसे?

यह 19019/20 गाड़ी पश्चिम रेल्वे मुख्यालय की है, मार्ग परिवर्तन भी उनके रतलाम मण्डल से ही होने जा रहा है। दूसरा क्षेत्र प म रेल का कोटा मण्डल है। दोनों ही इस विषय पर चुप है। फिलहाल यह गाड़ी 09019/20 बांद्रा हरिद्वार बांद्रा विशेष बनकर पूर्व नियोजित रतलाम नागदा कोटा ऐसे ही जा रही है और मन्दसौर से कोटा के बीच एक अलग से गाड़ी चलाई जा रही है, जो इस विशेष गाड़ी के समय को मिला कर चलती है। लेकिन उत्तर रेल्वे की सूचना के अनुसार नए समयसारणी मे बांद्रा देहरादून या हरिद्वार गाड़ी का मन्दसौर होकर चलना बताया जा रहा है और यही इस क्षेत्र के लिए बड़ा ही चिंता का विषय बना हुवा है।
पश्चिम रेल्वे इस विषय पर कोई अधिकृत सूचना जारी कर दे तो ही यात्रीओं को अपनी स्थिति समझ या सकती है जो फिलहाल न घर के ना घाट के वाली बनी हुई है।