हाँ, हाँ फिर ना, ना और फिर पक्का, छपा वाला शासकीय ‘हाँ’। 02284/83 हज़रत निजामुद्दीन एर्नाकुलम हज़रत निजामुद्दीन साप्ताहिक दुरान्तो विशेष के सूरत ठहराव की यह राजकीय और प्रशासकीय कहानी।
रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोष ने सुरतवासियोंको 22 सितम्बर को परिपत्रक के जरिए कह तो दिया था स्टापेज होगा, मगर रेल प्रशासन अपनी स्टापेज के लिए जरूरी तकनीकी सेटिंग में मन्त्री जी की दी हुई तारीख मिस कर गया। जब यह बात सुर्खियों में आयी तब अफरातफरी में कल घोषणा भी हुई और वेबसाइटों पर ‘सुरत’ ‘दर्शन’ भी हो गए।


रेल प्रशासन और राजकीय नेता इनका तालमेल नही ऐसी बात नही। ऐसा रेल मन्त्री पीयूष गोयल के साथ भी हो चुका है। याद कीजिए मध्य रेल की पुशपुल राजधानी। घोषणा प्रतिदिन चलने की हो गयी और उधर उ रे ने अपनी असमर्थता जाहिर कर कह दिया, छह दिन ही चल पाएगी। अन्दर अन्दर क्या हुवा, यह तो उच्च स्तर वाले ही जाने, मगर रेल प्रशासन ने आखिरकार म रे राजधानी प्रतिदिन चलवा दी।
यात्री गाड़ियोंकी घोषणा प्रशासन द्वारा सभी तकनीकी व्यवस्था किए जाने के बाद होती है वहीं राजकीय घोषणा जनमानस से सीधे जुड़े होने से तुरन्त ही आ जाती है। याद कीजिए मार्च 2021 में जसीडीह से पुणे और वास्को गाड़ियोंकी घोषणा बाहर आ गयी थी और उद्धाटन हाल ही में हुवा। खैर उसमे तो परिचालन की तिथि भी नही दी थी, मगर यात्री अपनी सुविधाओंको लेकर बड़े अधीर हो जाते है।