हाय! यह कैसा सवाल है? और इसका जवाब यहाँ क्या मायने रखता है? मित्रों, यह बात, यह सवाल यहाँपर सचमे बेमानी है। क्योंकी यह बातें बहुत ऊपरी स्तर की है और बड़े अर्थविदों एवं प्रशासन के बीच के निर्णय की है। हाल ही में रेलवे के अलग अलग संस्थाओं को एक दुसरेसे मिलाकर संस्थागत ढाँचे को सुसंगत बनाने की योजना कार्यन्वित की जा रही है। उसीके तहत CRIS और RAILTEL को IRCTC को सौंपने की बात की गई है।
आम यात्री तो इतना बेबस है, की रेल प्रशासन जिस तरह की गाड़ियाँ चलाए, विशेष हो, त्यौहार विशेष हो, मेमू डेमू कुछ भी। बिना किराया तालिका के किराए लगा यात्री रेल यात्रा करते जा रहे। गरीब रथ में सामान्य किराया लग रहा है, महामना में “उत्कृष्ट” के डिब्बे जोड़ कर चलाया जा रहा है। प्रत्येक स्टोपेजेस पर रुकनेवाली गाड़ियोंमे मेल/एक्सप्रेस का किराया लगाया जा रहा है। जिसने अपने जीवन मे कभी आरक्षित टिकट ना लिया हो ऐसे गरीब, अनपढ़ बेबस यात्रिओंको भी रेल प्रशासन ने आरक्षित टिकट लेने मजबुर कर दिया है। यात्री टिकटोंकी रियायतें बन्द है, कई इलाकोमे MST पासेस बन्द है, सामान्य टिकट, सवारी गाड़ियाँ बन्द है। बहुत सारे सवाल है, परेशानीयाँ है। सुविधाओं की मांग पर उत्तर रहता है, संक्रमण अभी थमा नही मगर आईआरसीटीसी की पर्यटन गाड़ियोंको किसी चीज की बाधा नही है।
ऐसे में यदि रेल प्रशासन के अधिकार क्षेत्र की CRIS सेंटर फॉर रेलवे इन्फर्मेशन सिस्टम और RAILTEL रेलवे की ऑप्टिकल फाइबर टेलेकॉम कम्पनी IRCTC आईआरसीटीसी रेलवे की ही मगर वाणिज्यिक कम्पनी को सौप दी जाए तो यूँ समझिए की रेलवे के शरीर से दिमाग और रक्तवाहिनियों को खींच लिया जाएगा।
CRIS वह कम्पनी है जो रेलवे के सारे ऑपरेशन्स अपने सॉफ्टवेयर के जरिए सम्भालती है। यात्री टिकट, आरक्षण, रेलवे समयसारणी और उनका परिचालन, मालगाड़ी का लदान, परिचालन और डिलेवरी यूँ समझिए रेलवे का दिमाग और इसका सपोर्ट है तकरीबन 5000 स्टेशनोंके बीच डली रेलवे की ऑप्टिकल फाइबर लाइन जो रेल टेल की है। अब आप क्रिस और रेल टेल का महत्व समझ सकते है।
हालाँकि रेल प्रशासन भी अपनी क्रिस और रेल टेल, यह दोनों कम्पनियाँ आईआरसीटीसी के हवाले करने में ज्यादा उत्सुक नही है। जिसके लिए कई तकनीकी कारण रेल अधिकारियों द्वारा बताए जा रहे है। रेल अधिकारियों को अपने परिचालन सम्बधी निर्णयों के लिए आईआरसीटीसी पर निर्भर रहना पड़ेगा, यात्रिओंके व्यक्तिगत जानकारी के गोपनीयता का भी प्रश्न है, और ऐसे बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्न रेल अधिकारियों द्वारा उपस्थित किए जा रहे है।
IRCTC का लॉन्ग फॉर्म है, इंडियन रेलवे कैटरिंग एन्ड टूरिजम कॉर्पोरेशन मतलब भारतीय रेलवे की पर्यटन और खानपान सेवा संभालने वाली कम्पनी। अब यह कम्पनी भारतीय रेलवे की ई-टिकट सेवा भी पूर्णतयः सम्भालती है और यदि क्रिस, रेल टेल इसे मील गयी तो सारी टिकिटिंग, परिचालन इसके जिम्मे हो जाएंगे। रही बात यात्रिओंकी तो वह भलीभाँति जानते है की आईआरसीटीसी जमीनी स्तर पर रेलवे के वाणिज्यिक कार्य किस तरह निभा रही है और सारे ही टिकिटिंग, परिचालन सेवा उनके पास चली जाएगी तो रेल प्रशासन का पूरा ही वाणिज्यीकरण हो जाएगा।
भारतीय रेलवे फिर शरीर मात्र रहेगी और सारी ही वाणिज्यिक एवं परिचालन व्यवस्था एक कम्पनी के जिम्मे चली जाएगी। भारतीय रेल इतनी दुर्बल, शक्तिहीन और निर्णयशून्य हो जाए ऐसा किसी भी रेल यात्री और रेल प्रेमियोंको रास नही आनेवाला है।