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राज्य प्रशासन ने तो खोल दिए बंधन, अब रेल प्रशासन कब खोलेंगी सभी तरह के टिकट, MST?

महाराष्ट्र राज्य प्रशासन ने रेलवे पर से, रोजाना टिकट जारी करने के तकरीबन सारे निर्बंध खोल दिए है, उपरोक्त पत्र के दूसरे परिच्छेद में देखिए। राज्य प्रशासन ने केवल सम्पूर्ण टीकाकरण वाले नागरिक यात्रा कर सकते है इतनाही बंधन रखा है।

“इस प्रकार, राज्य सरकार की परिभाषा के अनुसार पूर्ण टीकाकरण प्राप्त सभी नागरिकों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। चूंकि बहुत पहले लंबी दूरी की यात्री ट्रेनों में एक बार टिकटिंग की अनुमति थी, इस छूट का मतलब है कि सभी पूरी तरह से टीकाकरण वाले नागरिक सभी मार्गों पर स्थानीय और यात्री ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं और दैनिक टिकट सहित रेलवे द्वारा जारी किए जा सकने वाले सभी प्रकार के टिकटों के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं। ट्रेनों में यात्रा के लिए किसी भी प्रकार के टिकट जारी करने के लिए पूरी तरह से टीकाकरण ही एकमात्र अनिवार्य शर्त होगी”

यह उस दूसरे परिच्छेद का हिन्दी भाषा मे रूपांतरण है। प्रशासन अपनी बात बार बार साफ कर रहा है, उसने जब लम्बी दूरी की गाड़ियोंमे एकल टिकिटिंग की अनुमति दे दी थी उसका मतलब रेल्वेने सभी तरह के टिकट जारी करने चाहिए, द्वितीय श्रेणी अनारक्षित भी और मासिक पास भी।

अब मध्य रेलवे CR पता नही क्यों अपनी यात्री गाड़ियोंमे अनारक्षित टिकिटिंग शुरू नही कर रही है और ना ही सवारी गाड़ियाँ चला रही है। आम यात्री, छोटे स्टेशन पर, कम दूरी की यात्रा करनेवाले और रोजाना अप डाउन करनेवाले यात्री बेहद परेशान है। अब तक यह समझा जा रहा था की राज्य की आपदा नियंत्रण समिति संक्रमण फैलने के डर से अनारक्षित रेल टिकटोंपर रोक लगा रही है, मगर यहाँपर तो साफ हो गया रेल प्रशासन ही नही चाहता या उसकी तैयारी नही है की अनारक्षित रेल यात्रा शुरू हो।

आम रेल यात्री रेल प्रशासन से निवेदन कर रहा है, कृपया यात्री गाड़ियोंमे अनारक्षित यात्रा, गैर-उपनगरीय क्षेत्रोंमें सीजन पासेस, सवारी गाड़ियाँ जिसमे आप जो भी डेमू, मेमू चलवाना चाहो, समयोंके, गन्तव्योंके बदलाव करना चाहो, कर के बस, चलवा दीजिए। महाराष्ट्र का आम आदमी बेहद परेशानी में पसीज रहा है, उसके धैर्य की परिसीमा हो चुकी है। राज्य प्रशासन और किस तरह की साफ भाषा मे पत्र दे तो रेल प्रशासन की समझ में आएगा? अब वे क्या अनारक्षित गाड़ियाँ, टिकट शुरू कीजिए इस तरह सीधा आदेश देने का रेल विभाग इन्तजार कर रही है? हद ही हो गयी भई, शासकीय पत्रोंको अपने हिसाब से परिभाषित करने की।

हे ईश्वर, इन रेल अधिकारियों को सुबुद्धि दीजिए, ताकि जो आम जनता ऐसे प्रशासकीय पत्रोंकी भाषा समझ रही है, वह उन्हें भी समझ में आए और उस अनुसार वे काम भी करें।

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