भारतीय रेल मे गाड़ियोंके विशेष दर्जे को हटाकर उनके गाड़ी क्रमांक के नियमितीकरण की प्रक्रिया दिनांक 15 नवंबर से शुरु कर दी गई है। इन विशेष श्रेणी की कई गाड़ियोंमे जो त्यौहार स्पेशल कहलाती थी , यात्री किराये भी 1.3 गुना ज्यादा लगते थे, यात्रा दूरी का भी निर्बंध था वह इस गाड़ियोंके नियमितीकरण मे हट जाएगा। मगर आम यात्री की जो धारणा गाड़ियोंके नियमितीकरण होने से थी उसमे और इसमे बहुत अंतर रह गया है।
आम यात्री ने जैसे ही गाड़ियोंका नियमितीकरण हो रहा है ऐसी खबर सुनी तो उसकी बाँछे खिल गई थी। उसे लगा, अब पुराने गाड़ी क्रमांक से चलने लगेगी, समयसारणी, बिछड़े स्टोपेज नियमित हो जाएंगे, नियमित किराया श्रेणी बहाल हो जाएगी। उसे तो वाकई संक्रमणधारित निरबन्धो से मुक्ति मिलने का एहसास हुवा। मगर हाय! यह क्या? अब भी किन्तु, परन्तु, यदि, यद्यपि अभी खत्म नहीं हुए है। अभी भी रेल्वे का सम्पूर्ण नियमितीकरण बाकी है।
अभी भी यात्री रियायतें जिसमे दिव्यांग और मरीज की रियायतें छोड़कर सभी रियायते बंद ही है, खास तो ‘वरिष्ठ नागरिक रियायत’ जिस का बहुत वरिष्ठ नागरिकों को इंतजार था, वह यात्री मन मसोसकर रह गए। आम यात्री ही क्या बड़े बड़े अखबारों तक के पत्रकार चकमा खा गए और “जनरल टिकट याने द्वितीय श्रेणी टिकट, अब सभी गाड़ियों मे मिलेगा, द्वितीय श्रेणी सवारी गाड़ियोंकी टिकटें वहीं 10/- रुपए मिनिमम किराये वाली टिकट फिर से बहाल हो जाएगी, पुराने दिनों जैसे MST धारक यात्रा कर सकेंगे” ऐसी खबरे उन्होंने छपवा दी। मुसीबत यह थी की रेल्वे प्रशासन ने अपने परिपत्रक मे कुछ लाइने लिखी थी उन पर उन्होंने गौर ही नहीं किया। द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकट मिलेगी लेकिन केवल क्षेत्रीय रेल्वे द्वारा निर्देशित गाड़ियों मे ही मिलेगी। सवारी गाड़ियोंका एक्सप्रेस गाड़ियोंमे, मेमू/डेमू गाड़ियों मे रूपांतरण कर दिया है। इनमे सीधे सीधे मेल/एक्स्प्रेस के द्वितीय श्रेणी अनारक्षित किराए लग रहे है। गौरतलब यह है समयसारणी, ठहराव सब सवारी गाड़ियों के मगर किराया मेल/एक्स्प्रेस का। यह बात आम यात्रीओं को हजम होने मे मुश्किल हो रही थी और रहीसही कसर इन उत्साही पत्रकारों और सोशल मीडिया के ज्ञानवंतों ने कर दी।
अभी भारतीय रेल के किसी भी क्षेत्रीय रेल्वे मे सवारी गाड़ियोंकी टिकट श्रेणी नहीं चल रही है और न ही कोई सवारी गाड़ी चलाई जा रही है। लंबी दूरी की बहुतांश गाड़ियों मे द्वितीय श्रेणी आरक्षित रूप मे ही उपलब्ध है केवल कम दूरी की कुछ ही गाड़ियोंमे संबंधित क्षेत्रीय रेल्वे द्वारा कुछ कोच अनारक्षित घोषित किए गए है और उसमे ही अनारक्षित टिकट धारक यात्रा की जा सकती है। अभी भी बहुत सी गाडियाँ पटरी पर नहीं आई है, जिसमे मुख्यतः वही सवारी गाडियाँ और ज्यादा ठहरावों वाली इंटरसिटी गाडियाँ है, जो कम दूरी की यात्रा करनेवाले यात्रीओं की मूलभूत जरूरत है। ऐसे कई क्षेत्रीय रेल्वे है, जहाँ अभी भी अनारक्षित टिकट, मासिक पास शुरू नहीं किए गए है और दैनिक यात्रीओंकी परेशानी की सबब बने हुए है। केवल गाड़ी क्रमांक के नियमितीकरण से रेल यात्रा नियमित नहीं हो जाएगी अभी बहुत कुछ नियमित करना बाकी है….