उत्तर रेलवे ने अपनी 30 सुपरफास्ट सहित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमें द्वितीय श्रेणी अनारक्षित यात्री सेवा शुरू कर दी है। निम्नलिखित परिपत्रक में 30 गाड़ियोंकी सूची दर्ज है साथ ही उनके कौनसे और कितने कोच अनारक्षित निर्धारण किए गए है यह भी लिखा गया है।

यहाँपर चिन्तनीय बात यह है, मध्य रेलवे यह कदम अपने क्षेत्र के यात्रिओंके लिए कब ले रही है इसका स्थानीय यात्रिओंको बेसब्री से इंतजार है। जहाँतक प्रश्न इतर क्षेत्रीय रेलवे का आता है, देशभर के लगभग सभी जगहोंपर अनारक्षित द्वितीय श्रेणी यात्री टिकट सामान्य रूप से मिल रहा है। सुपरफास्ट सहित मेल/एक्सप्रेस यात्री गाड़ियोंमे भी सामान्य अनारक्षित टिकट उपलब्ध है।
कल ही मध्य रेलवे ने अपने चालीसगांव – धुळे मार्गपर 2 जोड़ी अनारक्षित मेमू सेवा चलाने की घोषणा की है और इससे पूरे मध्य रेल पर रोजाना अप डाउन करनेवाले यात्रिओंके मन मे आशा की किरण जगी है। आजतक भी मध्य रेल के कई क्षेत्र में स्थानियोंको के लिए गाड़ियाँ उपलब्ध नही और जो है वह या तो आरक्षित व्यवस्था में चलाई जा रही है या एक्का दुक्का सेवाएं दी जा रही है। उदाहरण के लिए भुसावल बड़नेरा नागपुर मार्ग पर केवल एक भुसावल बडनेरा भुसावल मेमू चल रही है। दूसरे हिस्से में बड़नेरा – नरखेड और अमरावती – नागपुर चलाई जा रही है। संक्रमणपूर्व काल मे सिर्फ भुसावल से नरखेड, वर्धा और नागपुर ऐसी 3 जोड़ी गाड़ियाँ चल रही थी।
वहीं हाल भुसावल -खण्डवा – इटारसी मार्ग का है। सिर्फ एक गाड़ी मेमू एक्सप्रेस रूप में शुरू की गई है, जब की इस मार्ग पर भी 2 जोड़ी सवारी गाड़ियाँ रोजाना यात्रिओंके लिए चलती थी। सबसे भयंकर हाल भुसावल – मनमाड़ – मुम्बई मार्ग का है। इस मार्ग पर भुसावल देवलाली और भुसावल मुम्बई के बीच प्रत्येकी एक जोड़ी गाड़ी चलती थी, जो विगत पौने दो वर्षोंसे बन्द है और अब तक भी शुरू किए जाने के कोई आसार दिखाई नही दे रहे है। मनमाड़ इगतपुरी के बीच शटल भी बन्द है। 11025/26 भुसावल – पनवेल – पुणे के बीच रोजाना चलनेवाली हुतात्मा एक्सप्रेस अब तक भी शुरू नही की गई। जबकी राज्य शासन द्वारा जारी किए गए अनुमति पत्र में इस गाड़ी के शुरू करने का भी जिक्र था।
स्थानीय यात्रिओंके बेहद हाल बेहाल है। मुख्य मार्ग की गाड़ियोंमे द्वितीय श्रेणी अनारक्षित खोला नही जा रहा है। इसके चलते आम यात्री, रोजाना वाला यात्री आखिर अपने रोजगार पर किस तरह पहुंचे? महाराष्ट्र में तो राज्य परिवहन के बसें भी हड़ताल में बन्द चल रही है। एक तरफ भुसावल मण्डल के वाणिज्य विभाग को तकरीबन 8 करोड़ जुर्माना वसूलने के लिए मध्य रेल मुख्यालय से पुरस्कृत किया गया है। यहाँ का आम यात्री बेबस और मजबूर है टिकट के अभाव में जुर्माना भर भर के यात्रा करने के लिए और वहाँ सत्कार और पुरस्कार बाँटे जा रहे है। बड़ी कोफ़्त होती है।
यही पुरस्कार यदि यात्री सेवा के लिए दिया जाता तो कितना गौरवपूर्ण होता? खैर! कुछ यही हाल मनमाड़ -दौंड – पुणे, पुणे – सोलापुर – वाड़ी, पुणे – सांगली – कोल्हापुर इन मार्गोंके यात्रिओंके भी हो रहे है। यूँ कहिए, मध्य रेल के सभी गैर-उपनगरीय क्षेत्र के यात्री मध्य रेल के इस रवैये से बेहद परेशान है। खास बात तो यह है, ढेर प्रश्नोंपर उत्तर ही नही देना यह रेल प्रशासन की फ़ितरत हो गयी है।