अखबारोंमें छपी निम्नलिखित सुर्खियां देखिए, क्या वजह होंगी की रेलवे चेकिंग स्टाफ़ का करोड़ों, अरबों रुपए जुर्माना वसूल हो रहा है?





भारतीय रेल्वे ने इस बार टिकट चेकिंग करने मे वसूले जाने वाले जुर्माने की रकम के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। जुर्माने की रकम लाखों करोड़ों से आगे जा कर अरबों तक पहुँच गई है। बहुत आनन्द की बात है, टिकट चेकिंग स्टाफ अपना काम जबरदस्त मुस्तैदी से कर रहा है। मगर क्या यह सचमुच हम भारतीयों के लिए गौरव की बात है, क्या बिना टिकट रेल यात्रा करना सामाजिक अपराध नहीं? क्या इन जुर्माने के आंकड़ों को प्रदर्शित कर, उसे कमाई या रेल्वे की आय बताना गौरवपूर्ण है?
हजारों की संख्या मे बिना टिकट यात्री पकड़े जाना यह सिर्फ टिकट चेकिंग स्टाफ की मुस्तैदी नहीं अपितु रेल प्रशासन के टिकट उपलब्ध कराने मे बरती गई कुव्यवस्था की निशानी है और लचर, ढीली, सुस्त सुरक्षा प्रणाली को भी उजागर करती है। संक्रमणकाल के लगभग दो महीने मे तमाम यात्री गाड़ियोंका परिचालन बंद था और जैसे ही यात्री गाडियाँ एक एक कर पटरियों पर लाई जाने लगी, संक्रमण के निर्बंध मे छूट मिलने लगी तो यात्री अपने रोजगार पर निकल पड़े। हमारे देश मे रेल ही सबसे सुगम, सरल और सस्ता सार्वजनिक परिवाहन है। मगर जो रेल्वे का नियंत्रण केन्द्रीय प्रणाली से होता है उसे इन दिनों मे राज्य आपदा नियंत्रण समिति के नियमनोके आधार पर चलना था तो यात्री गाडियाँ निर्बंधित स्वरूप मे चलने लगी। विशेष गाड़ियोंमे कम दूरी यात्री टिकट के दाम आसमान छु रहे थे, बिना आरक्षण यात्रा नहीं की जा रही थी ( वह तो अभी तक भी कई क्षेत्रीय रेल्वे मे, राज्यों के निर्बंध के कारण नहीं की जा सकती ) लोकोपयोगी सवारी गाडियाँ, इंटरसिटी गाडियाँ, आम यात्रियोंका द्वितीय श्रेणी टिकट, रोजाना रेल से जाना आना करनेवाले यात्रीओं का मासिक, MST सीजन पास यह सब बंद कर दिए गए थे और अब भी कई क्षेत्रों मे बंद ही है। ऐसे मे आम यात्री क्या कर सकता है? उस ने वहीं अविवेक किया जिससे रेल्वे के यह अवांछनीय कीर्तिमान बने है और बन रहे है।
यह बात उतनी ही सत्य है, यदि रेल मे उस वक्त टिकट पर निर्बंध ना होते तो संक्रमण के फैलाव की स्थिति अनिर्बाध हो जाती लेकिन अब, जब तमाम रोजगार, व्यापार, उद्यम, कारखाने, दफ्तर, शिक्षा संस्थान सीमित समय के साथ ही सही पर खोले जा चुके है, नागरिक अपने रोजगार, रोजीरोटी के लिए यात्रा करने के लिए मजबूर है, सड़क मार्ग से कर भी रहा है। सड़कोंपर बसें, अन्य यात्री परिवाहन पूर्ण यात्री क्षमता से चल रही है तो सिर्फ रेल यात्रा ही प्रतिबंधित क्यों?
साहब, आम लोगों के लिए ऐसा दिखाई पड़ता है, रेल यात्रा नहीं, रेल टिकट ही प्रतिबंधित है। टिकट लेने मे कई सारे अड़ंगे है। आम यात्री की समस्या यह है, अनारक्षित टिकट बंद है, MST बंद है मगर गाडियाँ तो चलती दिखाई दे रही है, सड़क मार्ग के महंगे यात्रा खर्च से मजबूर यात्री का सारा विवेक जवाब दे जाता है। कुछ क्षेत्र मे चलने वाली अनारक्षित गाडियाँ बेहद कम, दिन भर मे एक फेरा, कुछ क्षेत्र मे MST पास को अनुमति मिली मगर उपयुक्त गाड़ियोंमे न के बराबर। उसमे हर 25-50 किलोमीटर पर रुकने वाली एक्स्प्रेस गाडियाँ भी आरक्षित? अनारक्षित टिकट की ऑनलाइन व्यवस्था UTS बंद, टिकट खिड़की पर अभी भी पूर्ण क्षमता से टिकट वितरण नहीं यह सारी रेल प्रशासन की कुव्यवस्था नहीं तो और क्या है?
बड़े स्टेशनोंपर आने जाने के रास्ते नियंत्रित किए गए है, टिकट जाँच किए जाने के बाद ही यात्री अपनी रेल यात्रा के लिए, रेल्वे प्लेटफॉर्मपर प्रवेश कर सकता है मगर प्लेटफॉर्मों के सिरे पर बने छुपे एंट्री/एग्जिट मार्गों का क्या? और छोटे स्टेशनोंपर जहाँ आरक्षित एक्स्प्रेस गाडियाँ भी ठहराव लेती है, वहाँ तो बमुश्किल एखाद चेकिंग स्टाफ, एखाद सुरक्षा कर्मी और आने जाने के लिए खुला मैदान, वहाँ रेल प्रशासन यात्रीओं को किस तरह रोक पाएगा? इस तरह यात्री गाड़ियोंमे सवार हो रहे है, और बहुत सहज बात है की बिना टिकट सवार यात्रियोमे बमुश्किल आधे भी धराये नहीं जा रहे है। आप देख सकते है, सम्पूर्ण आरक्षित द्वितीय श्रेणी के 90 यात्री क्षमता मे 200-300 लोग भर भर कर यात्रा करने की तस्वीरें, शिकायतें ट्विटर पर सहज उपलब्ध है. जिसमे द्वितीय श्रेणी डिब्बा आरक्षित तो कर दिया मगर उसकी निगरानी के लिए स्टाफ कभी दिखाई नहीं देता। डिब्बे में ओवर क्राउडिंग, अतिरिक्त यात्री संख्या की लगातर शिकायतें की जाती रही है मगर प्रशासनिक कार्रवाई क्या की गई यह कहीं नहीं मिलता।
रेल्वे प्रशासन को चाहिए की अपनी संक्रमणपूर्व काल की सभी गाडियाँ जल्द से जल्द चलाए। टिकट जारी करने के सारे संसाधन दुरुस्त हो। UTS, MST सीजन पास यथावत शुरू किए जाए। रेल प्रशासन MST और द्वितीय श्रेणी टिकटों मे बदलाव करना चाहता है और इस लिए कई क्षेत्रों मे रोके रखा है तो बदलाव के साथ लाए मगर उन्हे शुरू करना अति आवश्यक है। रेल प्रशासन यह बात ध्यान मे लेवे, रेल टिकट की अनुलब्धता, यात्री के बिना टिकट यात्रा करने की सबसे बड़ी मजबूरी है।
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